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असिस्टेंट प्रोफेसर बहाली मामलें में बीपीएससी पर उठे सवाल, केंद्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने मांगा जवाब

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने बीपीएससी से दस दिनों के अंदर जवाब मांगा है। इसका सबब यह कि इस वर्ष बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर हुई नियुक्तियों में आरक्षित वर्गों की अनदेखी के मामले प्रकाश में आए हैं। आरटीआई के द्वारा मांगी गयी जानकारी भी बीपीएससी को कटघरे में खड़ा करती है। रामकृष्ण यादव की रिपोर्ट

बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति अंतिम चरण में है। वर्षांत तक नियुक्ति प्रक्रिया के सम्पन्न हो जाने की संभावना है । इस बीच विभिन्न स्रोतों से जो जानकारी हासिल हुई है, उससे स्पष्ट है कि आयोग द्वारा नियुक्ति में आरक्षित वर्गों के संवैधानिक अधिकारों की अनदेखी की गई है। सामान्य वर्ग को लाभ पहुंचाने के लिए आरक्षण के प्रावधानों को मनमाने ढंग से लागू किया गया है। इतना ही नहीं, इंटरव्यू में अंक प्रदान करते समय जाति-वर्ण का ध्यान रखा गया है। इस मामले में अब राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने बीपीएससी को नोटिस भेजा है और दस दिनों के अंदर जवाब मांगा है।

उल्लेखनीय है कि बीपीएससी द्वारा राज्य के दस विश्वविद्यालयों में 3364 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती के लिए 2014-15 में विषयवार अलग-अलग आवेदन आमंत्रित किया गया था। इसमें सामान्य वर्ग के 1720, अनुसूचित जाति के 542, अनुसूचित जनजाति के 22, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के 590, पिछड़ा वर्ग के 403 एवं पिछड़ा वर्ग महिला के 87 पद आरक्षित था। विषयवार अलग-अलग विज्ञापन के अनुसार साक्षात्कार की तिथि समय-समय पर निर्धारित की गई। साक्षात्कार के बाद कई विषयों के परिणाम घोषित हुए और नियुक्तियां भी हुईं। कुछ विषयों के असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्तियां प्रक्रियाधीन हैं।

बिहार लोक सेवा आयोग, पटना

ध्यातव्य है कि असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती के लिए राज्य सरकार ने 2014 में एक परिनियम बनाया था, जिसकी अधिसूचना राजभवन द्वारा 14 सितंबर,2014 को जारी की गई थी। अधिसूचना में उल्लेख किया गया था कि “असिस्टेंट प्रोफेसरों के चयन हेतु 85 अंक एकेडमिक तथा 15 अंक इंटरव्यू में प्रदर्शन के आधार पर देय होगा। चयन प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से सम्पन्न होगी। बीपीएससी द्वारा शैक्षणिक एवं साक्षात्कार में प्रदर्शन के आधार पर मेधासूची तैयार की जाएगी। प्रत्येक विषय की एक प्रतीक्षा सूची भी होगी। मेरिट लिस्ट के आधार पर असिस्टेंट प्रोफेसरों का चयन किया जाएगा। चयन मेंं राज्य सरकार की वर्तमान आरक्षण नीति का दृढ़तापूर्वक अनुपालन किया जाएगा। अगर आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग के लिए चुना जाता है तो उसकी नियुक्ति अनारक्षित कोटि में होगी।”


किन्तु अब तक जिन विषयों के असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति हुई है उसमें नियमों का आयोग द्वारा अक्षरशः पालन नहीं किया गया है। अधिसूचना में पारदर्शिता की बात कही गई थी, पर न तो अभ्यर्थियों के एकेडमिक अंकों को सार्वजनिक किया गया, न ही मेधासूची जारी की गई। मेधासूची के लिए अभ्यर्थियों को सूचना के अधिकार का सहारा लेना पड़ा।

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दिनांक 14 मई 2019 को सूचना के अधिकार से प्राप्त संयुक्त मेधा सूची के अनुसार जो तथ्य सामने आए हैं, वे बताते हैं कि साक्षात्कार में आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के साथ भेदभाव किया गया है। सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की तुलना में उन्हें कम अंक प्रदान किए गए हैं। कई अभ्यर्थियों का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया था है ताकि आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी सामान्य वर्ग की सूची में स्थान बनाने में कामयाब न हो सकें। आरक्षित वर्ग के वैसे अभ्यर्थी जो बेहतर अंकों के आधार पर सामान्य वर्ग की मेधा सूची में स्थान बनाने में सफल हो गए, उन्हें उनके आरक्षित वर्ग में समायोजित कर दिया गया, जबकि नियम में स्पष्ट किया गया था कि उनकी नियुक्ति अनारक्षित कोटि में ही होगी।

बीपीएससी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना से भी अभ्यर्थियों के आरोपों की पुष्टि होती है। (देखें सारणी)

सामान्य वर्ग 

क्रमअभ्यर्थी का नामइंटरव्यू में मिले अंक
1हरि त्रिपाठी12
2अशिता शुक्ला12
3मार्तंड प्रगल्भ13
4निशा11
5शुभमश्री12
6अनूप कुमार सिंह14
7कंचन12
8आशुतोष14
9छाया चौबे13
10नेहा मिश्रा10

अनुसूचित जाति वर्ग

क्रमअभ्यर्थी का नामइंटरव्यू में मिले अंक
1शिप्रा प्रभा8
2प्यारे मांझी8
3कृष्ण कुमार11
4हरेंद्र प्रसाद4
5साधना रावत8
6अर्चना कुमारी11
7प्रियंका कुमारी7
8राकेश रंजन5
9योगेंद्र कुमार14
10उमाशंकर पासवान7

अनुसूचित जनजाति वर्ग

क्रमअभ्यर्थी का नामइंटरव्यू में मिले अंक
1संतोष गोंड6
2मुन्ना साह3

पिछड़ा वर्ग

क्रमअभ्यर्थी का नामइंटरव्यू में मिले अंक
1रंजीत यादव7
2अनिल कुमार10
3राकेश रंजन8
4विद्या भूषण13
5कुमार धनंजय14
6संदीप यादव12
7सुशांत कुमार9
8अभिषेक कुंदर14
9नम्रता कुमारी7
10सिमरन भारती7

अत्यंत पिछड़ा वर्ग

क्रमअभ्यर्थी का नामइंटरव्यू में मिले अंक
1संदीप कुमार10
2स्नेहा सुधा14
3राकेश रंजन14
4उदय कुमार8
5संगीता कुमार5
6श्रीधर करूणानिधि7
7कौशल कुमार13
8दिनेश पाल8
9भारती कुमार11
10राधे श्याम6

इस संबंध में सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गयी सूचना में बीपीएससी ने स्पष्ट किया है कि उम्मीदवारों द्वारा दिए गए अधिमान क्रम के आधार पर वांछित विश्वविद्यालयों के लिए उनकी सुयोग्यता तथा आरक्षण कोटिवार रिक्त पदों की उपलब्धता के आधार पर उम्मीदवारों को उनकी श्रेणी में समायोजित किया गया है। यहाँ प्रश्न उठता है कि जब अभ्यर्थियों ने एक ही पद के लिए अधिमान क्रम में 8-10 विश्वविद्यालयों का विकल्प दिया था। तो सामान्य वर्ग में रिक्त पद उपलब्ध होने के बावजूद उनका चयन सामान्य के बजाए आरक्षित श्रेणी के पद पर क्यों किया गया? एक तर्क है कि अभ्यर्थियों की इच्छा/पसंद का ख्याल रखते हुए बेहतर विकल्प का ध्यान रखा गया। यहाँ गौरतलब है कि अभ्यर्थियों के च्वॉइस का ख्याल रखा गया, पर आरक्षित वर्ग के प्रभावित अभ्यर्थियों की मेरिट का ध्यान नहीं रखा गया, जो मेधा सूची के अनुसार आरक्षित श्रेणी में चयन के हकदार थे।


ध्यातव्य है कि इसी तरह के एक मामले में पटना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों के पक्ष में न्याय-निर्णय दिया था। मामला मेडिकल कॉलेज में दाखिले से संबंधित था। न्यायादेश में न्यायालय ने स्पष्ट कहा था कि “यदि जेनरल मेरिट में आनेवाला आरक्षित वर्ग का अभ्यर्थी काउंसलिंग के दौरान आरक्षित वर्ग के लिए निर्धारित सीट का चयन करता है तो उसे वह सीट उपलब्ध कराया जा सकता है, परन्तु उसके द्वारा छोड़े गए जेनरल सीट पर आरक्षित वर्ग के प्रभावित अभ्यर्थी का समायोजन सुनिश्चित करना होगा।”

स्पष्ट है कि असिस्टेंट प्रोफेसरों के चयन में माननीय कोर्ट के फैसले का भी ध्यान नहीं रखा गया। इस संबंध में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, दिल्ली द्वारा बीते 31 अक्टूबर 2019 को एक नोटिस बीपीएससी के सचिव को भेजी गयी है। इसमें कहा गया है कि प्राप्त शिकायत के मद्देनजर वह जवाब दस दिनों के अंदर आयोग को उपलब्ध करायें।

बहरहाल, वर्षांत तक असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती हेतु लगभग 8000 रिक्तयां निकलने की संभावना है। अब ये नियुक्तियां बीपीएससी के माध्यम से न होकर नवगठित विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा होंगी। यदि इन नियुक्तियों में भी बीपीएससी की आरक्षण नीति अपनायी जाएगी, तो पिछड़े वर्ग के सैकड़ों अभ्यर्थियों को नुकसान होना तय है।

(संपादन : नवल)


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लेखक के बारे में

रामकृष्ण यादव

बिहार राज्य साक्षारता मिशन प्राधिकरण द्वारा 1998 में श्रेष्ठ कहानी लेखन के लिए तथा शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए 2012 में बिहार सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा सम्मानित डा. रामकृष्ण यादव की रचनायें और आलोचनात्मक लेख हंस, हिन्दुस्तान, अक्षर पर्व सहित अनेक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं. सम्प्रति आर.पी.एस. राजकीय इंटरस्तरीय विद्यालय कवई,रोहतास में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत

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