h n

हूल से उलगुलान तक : आदिवासी विद्रोहों की जड़ में रहे हैं वन कानून

अठारहवीं और उन्नीसवीं सदियों के आदिवासी विद्रोहों के पीछे थे राज्य द्वारा कानून बनाकर और बल प्रयोग से वनवासियों को उनकी ज़मीनों और जंगलों से बेदखल करने के प्रयास. हालांकि अब आदिवासियों की उनकी ज़मीनों से बेदखली रोकने के लिए कानून हैं परन्तु केवल कागजों पर। बता रहे हैं गोल्डी एम. जार्ज

मानव सभ्यता सदियों से जंगलों पर निर्भर रही है। बीसवीं सदी के प्रारंभ में सिन्धु घाटी में खुदाई में मिली सीलों और रंगे हुए मिट्टी के पात्रों में पीपल और बबूल के पेड़ों के प्रतीकात्मक चित्रण से यह संकेत मिलता है कि मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की सभ्यता (5000-4000 ई.पू.) में भी इमारतों के लिए लकड़ियां आदि तमाम वनोपजों का प्रयोग होता था। गुप्तकाल (200-600 ई.) का वनों से संबंधित विवरण, मौर्य काल से मेल खाता है। वहीं मुग़लकाल (1526-1707) में इमारती लकड़ी और खेती के लिए बड़े पैमाने पर जंगलों का सफाया किया गया। ब्रिटिश शासन आने के बाद, सरकार और आदिवासियों में सीधा टकराव शुरू हुआ और वन इसका एक प्रमुख कारण थे।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : हूल से उलगुलान तक : आदिवासी विद्रोहों की जड़ में रहे हैं वन कानून

लेखक के बारे में

गोल्डी एम जार्ज

गोल्डी एम. जॉर्ज फॉरवर्ड प्रेस के सलाहकार संपादक रहे है. वे टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज से पीएचडी हैं और लम्बे समय से अंग्रेजी और हिंदी में समाचारपत्रों और वेबसाइटों में लेखन करते रहे हैं. लगभग तीन दशकों से वे ज़मीनी दलित और आदिवासी आंदोलनों से जुड़े रहे हैं

संबंधित आलेख

वायकोम सत्याग्रह : सामाजिक अधिकारों के लिए पेरियार का निर्णायक संघर्ष
गांधी, पेरियार को भी वायकोम सत्याग्रह से दूर रखना चाहते थे। कांग्रेस गांधी के प्रभाव में थी, किंतु पेरियार का निर्णय अटल था। वे...
बी.पी. मंडल का ऐतिहासिक संबोधन– “कोसी नदी बिहार की धरती पर स्वर्ग उतार सकती है”
औपनिवेशिक बिहार प्रांत में बाढ़ के संदर्भ में कई परामर्श कमिटियां गठित हुईं। बाढ़ सम्मलेन भी हुए। लेकिन सभी कमिटियों के गठन, सम्मलेन और...
जब महामना रामस्वरूप वर्मा ने अजीत सिंह को उनके बीस हजार का चेक लौटा दिया
वर्मा जी अक्सर टेलीफोन किया करते थे। जब तक मैं उन्हें हैलो कहता उसके पहले वे सिंह साहब नमस्कार के द्वारा अभिवादन करते थे।...
जब हमीरपुर में रामस्वरूप वर्मा जी को जान से मारने की ब्राह्मण-ठाकुरों की साजिश नाकाम हुई
हमलोग वहां बस से ही गए थे। विरोधियों की योजना यह थी कि वर्मा जी जैसे ही बस में चढ़ें, बस का चालक तेजी...
जगजीवन राम को कैसे प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया गया?
जयप्रकाश नारायण को संसदीय दल के नेता का चुनाव करवा देना चाहिए था। इस संबंध में प्रख्यात पत्रकार कुलदीप नैय्यर ने अपनी पुस्तक ‘एक...