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दलित पैंथर के सह-संस्थापक ज.वि. पवार बता रहे हैं कि पहली बार उन्होंने कब डॉ. आंबेडकर को जाना। मुंबई मिरर की संपादक मीनल बघेल से बातचीत में पवार यह भी बता रहे हैं कि वे कैसे नौका से बम्बई पहुंचे, कैसे उन्होंने अपना जीवनयापन किया और किस तरह वे एक सामाजिक कार्यकर्ता बने. और यह भी कि शिवसेना का उदय कैसे हुआ
जलवायु परिवर्तन का असर हमसे ज्यादा जंगलों पर पड़ रहा है। इसके विस्तार को जानने की कोशिश एएमयू में होगी तो अहमदाबाद में गूगल और माइक्रोसाफ्ट जैसी ख्यात कंपनियों के कर्ताधर्ता डेटा विश्लेषण को लेकर मिलेंगे। देश के अन्य शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थानों की गतिविधियों की जानकारी पढें, इस हफ्तावार कॉलम में
संजीव खुदशाह बता रहे हैं कि डॉ. आंबेडकर ने हिंदू धर्म को लोकतंत्र के लिए विसंगत बताया था। यदि आज वे होते तो बाबरी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से आहत होते
दिल्ली से सटे गाजियाबाद में इस बार डॉ. आंबेडकर के महापरिनिर्वाण के मौके पर ज. वि. पवार की किताब ‘दलित पैंथर : एक आधिकारिक इतिहास’ का विमोचन किया जाएगा। इस मौके पर एक विचार गोष्ठी भी आयोजित है। इसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर व प्राख्यात दलित लेखक श्योराज सिंह बेचैन मुख्य वक्ता होंगे
उत्तरी सिक्किम में कई अन्य जगहों की तरह ‘द्ज़ुम्सा’ नाम की स्वयं शासन की व्यवस्था है, जिसमें हर परिवार का सदस्य पारंपरिक व्यवस्था के अंतर्गत शहर के प्रशासन में अपना हाथ बंटाता है. इस व्यवस्था में मुखिया ‘पिपोन’ जनतांत्रिक ढंग से निर्वाचित होता है
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के संस्थापक हीरा सिंह मरकाम का मानना है कि शिक्षा गोंड आदिवासियों के लिए सबसे जरूरी है। वे एक ऐसी शिक्षा का प्रस्ताव कर रहे हैं जो सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और आर्थिक रूप से उत्कृष्ट बनाए। सूर्या बाली की उनसे विशेष बातचीत
अकादमियों यानी विचारों की दुनिया में कट्टरपंथियों की मौजूदगी और हिंदू-मुस्लिम विमर्श ही नहीं बल्कि मिट्टी-पत्थर आकाश से लेकर मानवीय रिश्तों और सामाजिक स्थितियों पर विचार हो रहा है। आगामी आयोजनों के इस स्तंभ में देखते हैं देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों और अन्य संस्थानों में आने वाले दिनों में क्या-क्या खास हो रहा
साहित्यिक, बौद्धिक और अकादमिक जगत कबीर की रचनाओं को आज याद करके सामाजिक सौहार्द कायम करना चाहता है। एक विमर्श उनकी जाति को लेकर भी है। यह विमर्श दिल्ली विश्वविद्यालय में होगा। इसके अलावा कमल चंद्रवंशी का हफ्तावार कॉलम में बता रहे हैं देश के विभिन्न प्रांतों के शैक्षणिक संस्थाओं में होने वाले आयोजनों के बारे में
भारतीय ज्ञान परंपरा में आधुनिक विचार से लेकर मीडिया और हिंदी के प्रचार प्रसार को लेकर ऐसे तमाम आयोजन हो रहे हैं जिनमें आने वाले दिनों में देश के बौद्धिक और अकादमिक समाज के लोग काफी व्यस्त होंगे। ये आयोजन क्या हैं, इस हफ्तावार कॉलम में पहले से और अधिक आगामी कार्यक्रमों का ब्यौरा दे रहे हैं कमल चंद्रवंशी
Raja Dhale passed away today. Here, using excerpts from his former colleague J.V. Pawar’s book, ‘Dalit Panthers: An Authoritative History’, we try to piece together a portrait of the man who infused life into the Dalit Panther
गत 16 जुलाई 2019 को राजा ढाले हमेशा के लिए हमसे दूर चले गए। श्रद्धांजलि के रूप में हम उनके साथी जे.वी. पवार की पुस्तक ‘दलित पैंथर्स: एन एथोरीटेटिव हिस्ट्री’ के चुनिन्दा अंशों की मदद से हम दलित पैंथर में जान फूंकने वाले इस जुझारू नेता के व्यक्तित्व का खाका खींचने का प्रयास कर रहे हैं