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दलित लेखकों की तीन पुस्तकें लोकार्पित

आवाज 'द ग्रुप ऑफ लिटरेचर एंड आर्ट' की ओर से 13 जुलाई को एक होटल में युवा दलित कवि व आलोचक सुशील शीलू के कविता संग्रह 'मैं शपथपत्र नहीं लूंगा' व आलोचना पुस्तक 'दलित कविता : परम्परा और परिप्रेक्ष्य' तथा क्षेत्र के उभरते युवा कवि सुनील 'पागल' के कविता संग्रह 'ये समय और बुत' का लोकार्पण किया गया

नारनौल : आवाज ‘द ग्रुप ऑफ लिटरेचर एंड आर्ट’ की ओर से 13 जुलाई को एक होटल में युवा दलित कवि व आलोचक सुशील शीलू के
कविता संग्रह ‘मैं शपथपत्र नहीं लूंगा’ व आलोचना पुस्तक ‘दलित कविता : परम्परा और परिप्रेक्ष्य’ तथा क्षेत्र के उभरते युवा कवि सुनील ‘पागल’ के कविता संग्रह ‘ये समय और बुत’ का लोकार्पण किया गया।

कार्यक्रम में चर्चित कवि पवन करण ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में कहा कि दोनों कवियों की रचनाएं पाठक को चेतनशील बनाती हैं। उन्होंने दलित साहित्य की आवश्यकता के विषय में कुछ लोगों की नकारात्मक सोच का जवाब देते हुए कहा कि दलित साहित्य की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि अब इन लोगों के मन में भी अपनी व्यथा प्रकट करने की इच्छा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कामरेड दलीप सिंह ने की। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता कामरेड इन्द्रजीत सिंह व उपाध्यक्ष किसान सभा थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में उप जिला प्रमुख सुनीता वर्मा, राधेश्याम गोठवाल, पूर्व जिला पार्षद थे।

 

(फारवर्ड प्रेस के अगस्त 2014 अंक में प्रकाशित)


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संजय मान

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