h n

‘अधिकांश स्वर्णकार कारीगर-मजदूर हैं’

संत नरहरी सोनार की जयंती, 'अधिकार महारैली' के रुप में गर्दनीबाग पटना में 3 फरवरी को मनाई गयी। महारैली में विभिन्न जिलों से करीब दस हजार लोग पहुंचे

6औरंगाबाद (बिहार): संत नरहरी सोनार की जयंती, ‘अधिकार महारैली’ के रुप में गर्दनीबाग पटना में 3 फरवरी को मनाई गयी। महारैली में विभिन्न जिलों से करीब दस हजार लोग पहुंचे। इस अवसर पर बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि स्वर्णकारों का व्यवसाय काफी संघर्षपूर्ण है। उन्होंने कहा कि स्वर्णकारों को धनी माना जाता है मगर धनवानों से दस गुना अधिक कारीगर हैं, जो मजदूर हैं। जदयू नेता ललन सर्राफ ने कहा कि स्वर्णकारों की अति पिछडी जातियों में शामिल किये जाने की मांग जायज है। इन्हें पिछडा वर्ग की सूची के हटाकर अति पिछडा वर्ग में रखा जाना चाहिए। इस अवसर पर एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया। समारोह में ‘स्वर्णकार समाज विकास एवं शोध संस्थान’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष किरण वर्मा, प्रदेश अध्यक्ष अरुण वर्मा एवं महासचिव अशोक वर्मा भी उपस्थित थे।

(फारवर्ड प्रेस के मार्च, 2015 अंक में प्रकाशित )


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

उपेंद्र कश्‍यप

पत्रकार उपेंद्र कश्‍यप ने अपनी रिर्पोटों के माध्‍यम से बिहार के शाहाबाद क्षेत्र की अनेक सांस्‍कृतिक-सामाजिक विशिष्‍टताओं को उजागर किया है। जिउतिया के बहुजन कला-पक्ष को सर्वप्रथम सामने लाने का श्रेय भी इन्‍हें प्राप्‍त है

संबंधित आलेख

हूल विद्रोह की कहानी, जिसकी मूल भावना को नहीं समझते आज के राजनेता
आज के आदिवासी नेता राजनीतिक लाभ के लिए ‘हूल दिवस’ पर सिदो-कान्हू की मूर्ति को माला पहनाते हैं और दुमका के भोगनाडीह में, जो...
यात्रा संस्मरण : जब मैं अशोक की पुत्री संघमित्रा की कर्मस्थली श्रीलंका पहुंचा (अंतिम भाग)
चीवर धारण करने के बाद गत वर्ष अक्टूबर माह में मोहनदास नैमिशराय भंते विमल धम्मा के रूप में श्रीलंका की यात्रा पर गए थे।...
जब मैं एक उदारवादी सवर्ण के कवितापाठ में शरीक हुआ
मैंने ओमप्रकाश वाल्मीकि और सूरजपाल चौहान को पढ़ रखा था और वे जिस दुनिया में रहते थे मैं उससे वाकिफ था। एक दिन जब...
When I attended a liberal Savarna’s poetry reading
Having read Om Prakash Valmiki and Suraj Pal Chauhan’s works and identified with the worlds they inhabited, and then one day listening to Ashok...
मिट्टी से बुद्धत्व तक : कुम्हरिपा की साधना और प्रेरणा
चौरासी सिद्धों में कुम्हरिपा, लुइपा (मछुआरा) और दारिकपा (धोबी) जैसे अनेक सिद्ध भी हाशिये के समुदायों से थे। ऐसे अनेक सिद्धों ने अपने निम्न...