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Dr Siddharth Ramu

‘जाति का विनाश’ में संतराम बीए, आंबेडकर और गांधी के बीच वाद-विवाद और संवाद
वर्ण-व्यवस्था रहेगी तो जाति को मिटाया नहीं जा सकता है। संतराम बीए का यह तर्क बिलकुल डॉ. आंबेडकर...
त्रिवेणी संघ, हिंदी पट्टी का पहला बहुजन संगठन, कायम है जिसके बिगुल की गूंज
बिहार के शाहाबाद जिले के करगहर में 30 मई, 1933 को गठित त्रिवेणी संघ के मूल में देशी...
क्यों दक्षिण भारत के उच्च न्यायालयों के अधिकांश जज ओबीसी, दलित और आदिवासी होते हैं तथा हिंदी पट्टी में द्विज-सवर्ण?
जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस खन्ना के कार्यकाल में देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में हुई जजों की नियुक्तियों...
वर्ण और जाति के सापेक्ष दो महापंचों की संपत्ति
यह सिर्फ दो न्यायाधीशों/व्यक्तियों के बीच धन-दौलत, जमीन-जायदाद और सोना-चांदी की तुलना नहीं है। वस्तुत: ये दो सामाजिक...
सरकारी क्षेत्र में नौकरियों के घटने और निजी क्षेत्र में बढ़ने से क्या खो रहे हैं दलित, आदिवासी और ओबीसी?
उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण के नाम पर अर्थव्यवस्था को ऐसी शक्ल पिछले 25 वर्षों में दे दी गई...
Raidas: A modern revolutionary thinker from the feudal medieval era
Raidas’ radical thinking and works didn’t get wider national and international acceptance. In fact, his modern vision wasn’t...
रैदास: मध्यकालीन सामंती युग के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतक
रैदास के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतन-लेखन को वैश्विक और देश के फलक पर व्यापक स्वीकृति क्यों नहीं मिली? सच...
डॉ. आंबेडकर : भारतीय उपमहाद्वीप के क्रांतिकारी कायांतरण के प्रस्तावक-प्रणेता
आंबेडकर के लिए बुद्ध धम्म भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक लोकतंत्र कायम करने का एक सबसे बड़ा साधन था।...
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