गत 15 जून को ‘‘द इकानामिक टाईम्स’’ में छपा कि पी. चिदंबरम द्वारा उद्घाटित डिक्की एसएमई (स्माल एंड मीडियम इन्टरप्राइजेस) फंड बंद होने की कगार पर है। खबर में डिक्की (दलित इंडियन चेम्बर आफ कामर्स एंड इण्डस्ट्री) के अध्यक्ष मिलिन्द कांबले को उद्धृत करते हुए कहा गया था कि ‘‘फंड ने अभी काम शुरू नहीं किया है। हम आवश्यक धन नहीं जुटा पाए क्योंकि वित्तीय संस्थान, फंड में निवेश करने के लिए राजी नहीं हुए।’’
इकानामिक टाईम्स ने फंड के कर्ताधर्ताओं के करीबी एक अनाम व्यक्ति के हवाले से लिखा कि ‘‘बैंकों और एलआईसी ने कोई रूचि नहीं दिखाई। कुछ बैंकों ने योगदान देने से साफ इंकार कर दिया। यहां तक कि डिक्की के धनी सदस्यों ने भी फंड में निवेश नहीं किया।’’
परंतु जब फारवर्ड प्रेस ने 17 जुलाई को मिलिंद कांबले से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि यद्यपि यह सही है कि फंड अभी काम नहीं कर रहा है परंतु जल्दी ही करने लगेगा। ‘‘हम कतई इसे बंद करने नहीं जा रहे हैं’’, कांबले ने कहा। ‘‘हम उच्च परिसंपत्तियों वाले व्यक्तियों, वित्तीय संस्थानों और विदेशी संस्थागत निवेशकों से धन जुटायेंगे।’’
भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के शुरूआती रूपए दस करोड़ के अंशदान के अलावा, कांबले ने बताया, फंड मैनेजर वरहद केपिटल ने पांच करोड़ का अंशदान दिया और तीन करोड़, उच्च परिसंपत्तियों वाले व्यक्तियों से इकट्ठा किये गए। उन्होंने कहा कि डिक्की का कोष 50 करोड़ रूपए करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए और रूपए 32 करोड़ की आवश्यकता है, जो कि अगले छः माह में जुटा लिए जायेंगे। उन्होंने कहा कि ज्योंही डिक्की का कोष रूपए 50 करोड़ होगा, वह निवेश शुरू कर देगा।
कांबले ने स्वीकार किया कि डिक्की फंड की राह इसलिए कठिन हो गई क्योंकि भारत सरकार ने इसी तरह के अन्य फंडों की स्थापना की घोषणा कर दी, जिनमें इस साल जनवरी में एनडीए सरकार द्वारा स्थापित दलित वेंचर केपिटल फंड शामिल है। जून 2013 में डिक्की एसएमई फंड की शुरूआत करते हुए तत्कालीन यूपीए सरकार के वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने डिक्की की इस पहल का स्वागत किया था और वायदा किया था कि एलआईसी जैसे सरकारी वित्तीय संस्थान इस फंड में योगदान देंगे परंतु ऐसा नहीं हुआ। उसके स्थान पर इंडस्ट्रीयल फायनेंस कार्पोरेशन आफ इंडिया (आईएफसीआई) के जरिए सरकार ने रूपए 200 करोड़ का प्रावधान दलितों की मध्यम, लघु और सूक्ष्म इकाईयों को कर्ज देने के लिए कर दिया। बाद में इसी कोष को दलित वेंचर केपिटल फंड का नाम दे दिया गया। इन फंडों की स्थापना का उद्देश्य है दलित उद्यमियों को यूपीए सरकार द्वारा 2012 में लिए गए एक नीतिगत निर्णय से लाभ उठाने का मौका देना, जिसके तहत भारत सरकार के सभी मंत्रालयों और सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के लिए आवश्यक है कि वे अपनी कुल वार्षिक खरीदी का कम से कम चार प्रतिशत एसएमई इकाईयों से खरीदें।
फारवर्ड प्रेस के अगस्त, 2015 अंक में प्रकाशित
Mai Dicci se jurna chahta hu saath hi mujhe dicci ke bare mai hindi main jankari chahiya kyoki mujhe English nahi aati hai aur aapki website hindi mai kyon nahi hai
hindi mein bhi he. aap article headline ke niche black box mein click kar ke dekhiye
https://www.forwardpress.in/2015/11/dicci-sme-fund-not-shutting-up-shop-yet-hindi/
Main bikaner Rajasthan se hu or silica sand ka business Karna chahta hu lekin iske liye mere pass paryapt dhan rashi nai hai to Mujhe koi Sahi margdhrshan dene wala h ya Mujhe koi mere business ke liye km byaaj pr loan dila sakta hai….
Ya abhi pardhanmantri ji ne Jo sc/st ko loan dene ki baat kahi h uska fayda me kaise utha sakta hu plz reply……lalitkumar Meghwal(SC)