पंजाब के किसान फसल बर्बाद होने की वजह से आत्महत्या करने पर मजबूर हो रहे हैं। अब तक सिर्फ भटिंडा जिले में 100 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। पंजाब के आठ किसान और मजदूर संगठन, 17 सितम्बर से अपनी मांगों को लेकर मिनी सचिवालय के सामने धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन के पहले दिन मुक्तसर जिले के एक मजदूर का दिल का दौरा पडऩे से मौत हो गई। इस प्रदर्शन में पचास हजार किसानों ने हिस्सा लिया था।
पंजाब के मालवा क्षेत्र के तीन जिलों – भटिंडा, मनसा और फरीदकोट – के किसानों ने ‘नरमा’ कपास फसल बोई थी। मगर सफेद मच्छर की वजह से फसल बर्वाद हो गयी। किसान संगठनों का आरोप है कि पंजाब सरकार ने जो बीज और कीटनाशक दिये थे, वे घटिया होने की वजह से कपास की फसल बर्वाद हुई है। फसल बर्वाद होने पर राज्य सरकार ने 10 करोड़ रूपये मुआवजा देने की घोषणा की है, जो अपर्याप्त है। किसान 40 हजार रुपये प्रति एकड के हिसाब से मुआवजा चाहते हैं तथा खेतीहर मजदूर, जो फसल बर्वाद होने की वजह से बेरोजगार हो गये है, उन्हें प्रति परिवार 20 हजार रूपये मिलने चाहिए, ऐसी उनकी मांग है। लेकिन पंजाब सरकार उनकी मांगों को मानने के लिए तैयार नहीं है।
भटिंडा, पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का गृह जिला है। फिर भी मुख्यमंत्री की ओर से किसानों से हमदर्दी व्यक्त करते हुए या उन्हें मदद का आश्वासन देते हुए कोई बयान तक नही आया है।
किसान यूनियन के नेता सिंगार सिंह मान का कहना है कि, ‘अगर कोई किसान फसल बर्वाद होने के आघात से से दिल के दौरे से से मरता है तो इसे आत्महत्या माना जाये।’
भटिंडा के कलेक्टर डॉ बसंत गर्ग कहना है कि किसी किसान ने आत्महत्या नहीं की है। उन्होंने कहा कि सिर्फ एक मजदूर की मौत प्रदर्शन के दौरान हुई है, जिसके परिवार को मुआवजा बतौर पांच लाख रुपये का चेक प्रशासन ने दे दिया है।