h n

बदले समीकरणों ने बदला गणित, गुजरात में जाति का सवाल हुआ महत्वपूर्ण

चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं ने गुजरात की जनता के समक्ष चाहे जो भी वादे किये और आरोपों-प्रत्यारोपों के जरिए हवा बनाने की कोशिश की, लेकिन जमीनी स्तर पर जनता का मन-मिजाज बदला हुआ है। आम आदमी वह चाहे किसान हो या फिर व्यापारी या रिक्शाचालक सभी 22 वर्षों से चली आ रही सरकार के खिलाफ हैं। वे कारपोरेटपरस्त गुजरात मॉडल को खारिज कर रहे हैं। इसके पीछे केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां हैं । इससे भी महत्वपूर्ण जातिगत समीकरण हैं जो इस बार निर्णायक बन चुके हैं। लिहाजा इस बार चुनावी गणित के बदलने के पूरे आसार हैं।

यह लेख केवल अंग्रेजी में उपलब्ध है।

 


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें :

महिषासुर : मिथक व परंपराएं
https://www.amazon.in/dp/B077XZ863F

महिषासुर : एक जननायक (Mahishasur: Ek Jannayak)

https://www.amazon.in/dp/B06XGBK1NC

जाति के प्रश्न पर कबीर (Jati ke Prashn Par Kabir)

https://www.amazon.in/dp/B075R7X7N5

चिंतन के जन सरोकार (Chintan Ke Jansarokar)

https://www.amazon.in/dp/B0721KMRGL

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना (Bahujan Sahitya Ki Prastaawanaa)

https://www.amazon.in/dp/B0749PKDCX

लेखक के बारे में

आशीष रंजन/नीलांजन सिरकार

संबंधित आलेख

स्मृतिशेष : केरल में मानवीय गरिमा की पुनर्स्थापना के लिए संघर्ष करनेवाले के.के. कोचू
केरल के अग्रणी दलित बुद्धिजीवियों-विचारकों में से एक 76 वर्षीय के.के. कोचू का निधन गत 13 मार्च, 2025 को हुआ। मलयाली समाज में उनके...
बिहार : क्या दलित नेतृत्व से सुधरेंगे कांग्रेस के हालात?
सूबे में विधानसभा चुनाव के सात-आठ महीने रह गए हैं। ऐसे में राजेश कुमार राम के हाथ में नेतृत्व और कन्हैया को बिहार में...
फ्रैंक हुजूर के साथ मेरी अंतिम मुलाकात
हम 2018 में एक साथ मिलकर ‘21वीं सदी में कोरेगांव’ जैसी किताब लाए। आगे चलकर हम सामाजिक अन्याय मुक्त भारत निर्माण के लिए एक...
पसमांदा मुसलमानों को ओबीसी में गिनने से तेलंगाना में छिड़ी सियासी जंग के मायने
अगर केंद्र की भाजपा सरकार किसी भी मुसलमान जाति को ओबीसी में नहीं रखती है तब ऐसा करना पसमांदा मुसलमानों को लेकर भाजपा के...
क्या महाकुंभ न जाकर राहुल गांधी ने सामाजिक न्याय के प्रति अपनी पक्षधरता दर्शाई है?
गंगा में डुबकी न लगाकार आखिरकार राहुल गांधी ने ज़माने को खुल कर यह बताने की हिम्मत जुटा ही ली कि वे किस पाले...