बिहार विधान सभा की अनुसूचित जाति-जनजाति समिति की गुरुवार को बेगूसराय में समीक्षा बैठक थी। इसमें अधिकारियों के साथ समीक्षा करने के बाद समिति के अध्यक्ष श्याम रजक और समिति के सदस्य अगिआंव विधायक प्रभुनाथ प्रसाद, मोहनियां विधायक निरंजन राम और रजौली विधायक प्रकाश वीर बेगूसराय से खगडि़या जा रहे थे। अगले दिन समिति की समीक्षा बैठक खगडि़या में निर्धारित थी। श्याम रजक ने बताया कि बंद समर्थक इनियार व बलिया थाना क्षेत्र के बीच इनियार ढाला के पास सड़क जाम कर रहे थे। इस बीच समिति के सदस्यों का काफिला ढाला के पास पहुंचा। श्याम रजक को उपद्रवी पहचानते थे।

वे लगातार एससी-एसटी एक्ट के समर्थन में मुखर रहे थे। बाकी सदस्य उपद्रवियों के लिए अपरिचित थे। इस कारण बंद समर्थकों ने श्याम रजक को ही निशाना बनाया। उपद्रवियों ने काफिले पर हमला कर दिया। इस बीच श्याम रजक के बॉडीगार्ड ने सुरक्षा के लिए जवाबी फायरिंग की। इस दौरान उपद्रवियों ने बॉडीगार्ड और स्कार्ट पार्टी पर भी रोड़ेबाजी की। इससे अफरा-तफरी का माहौल बन गया। फायरिंग के बाद उपद्रवी भाग गये। रोड़ेबाजी में श्याम रजक का बॉडीगार्ड अखिलेश शर्मा और स्कार्ट पार्टी का जवान विद्या मांझी भी घायल हो गया। उपद्रवियों के भागने के बाद कमेटी के सदस्यों ने बलिया थाने में पहुंच प्राथमिकी दर्ज करायी और फिर खगडि़या के लिए रवाना हुए।
प्रशासन के हस्तक्षेप पर बची जान
उपद्रवियों के हमले के शिकार अगिआंव के विधायक प्रभुनाथ प्रसाद ने घटना के संबंध में बताया कि समिति के काफिले में आगे-आगे श्याम रजक चल रहे थे। उनके बाद की गाड़ी पर प्रभुनाथ प्रसाद और मोहनियां के विधायक निरंजन राम सवार थे। इनियार ढाला के पास उपद्रवियों ने जाम कर रखा था। श्याम रजक के बॉडागार्ड जाम हटवाने की कोशिश करने लगे तो उपद्रवी पहुंच गये। श्याम रजक को देखते ही उपद्रवी हमलावार हो गये और रोड़ेबाजी करने लगे। इस बीच श्याम रजक के बॉडीगार्ड ने जवाबी फायरिंग की। इसी दौरान वहां पुलिस पहुंची और फायरिंग की, तब उपद्रवी भाग खड़े हुए। पुलिस के सहयोग से समिति के काफिले को जाम से बाहर निकाला गया और फिर समिति खगडि़या के लिए रवाना हुई। रोड़ेबाजी में विधायक प्रभुनाथ प्रसाद के सहायक मदन यादव भी जख्मी हो गये।

कौन हैं श्याम रजक
लंबे समय तक लालू यादव के विश्वस्त रहे श्याम रजक बाद में नीतीश कुमार के करीब आये और राजद की सदस्यता छोड़कर जदयू की सदस्यता ग्रहण की। नीतीश राज में भी उन्हें मंत्री बनाया गया। इस बार महागठबंधन की सरकार बनने के बाद श्याम रजक को मंत्री नहीं बनाया गया। इसके बाद से वे नीतीश से खफा बताये जाते हैं, लेकिन खुलकर कभी सामने नहीं आये। इधर दलित मुद्दों को लेकर पार्टी लाइन से अलग हटकर भी अपनी राय देते रहे हैं। एससी-एसटी एक्ट को लेकर मुखर बने रहे। उपद्रवियों की नाराजगी एससी-एसटी एक्ट को लेकर उनकी मुखरता से भी रही होगी। फिलहाल श्याम रजक बिहार में प्रमुख दलित चेहरा हैं। वर्तमान में वह विधान सभा की अनुसूचित जाति-जनजाति समिति के सभापति हैं। समिति के दौरे को लेकर ही वे गुरुवार को बेगूसराय गये थे।
(कॉपी संपादन : सिद्धार्थ)
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