बीते 26 नवंबर को संविधान दिवस के मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव और भाजपा सासंद सावित्री बाई फुले ने केंद्र सरकार को चेताया। संविधान दिवस के मौके पर तीसरे दलित इंटरनेशनल कांफ्रेंस का आयोजन अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति परिसंघ के तत्वावधान में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में किया गया। इस मौके पर देश-विदेश से आए विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और संविधान की रक्षा का संकल्प लिया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने बहुजन समाज को आगाह किया कि अगर अब भी एकजुट नहीं हुए तो न्याय मिल पाना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पहले ही एक लाख से अधिक जातियों में बहुजन को बांट दिया गया है। हमें इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि जो साजिश की गई थी, उसे खत्म करने के लिए जाति से जमात बनाना होगा। तभी हम अपने अधिकार की रक्षा कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि केंद्र में सत्तासीन भाजपा किस तरह बहुजन के खिलाफ काम कर रही है, यह बताने की जरूरत नहीं है। संविधान बचाने के लिए संघर्ष की बात उठनी शुरू हो गई है और अगर 2019 के आम चुनाव के बाद फिर से सत्ता में आई तो संविधान व लोकतंत्र दोनों को बचाना मुश्किल हो जाएगा।

कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि भाजपा सांसद सावित्री बाई फूले ने कहा कि वह खुद भी शरद यादव जी के कथन से इत्तेफाक रखती हैं। भाजपा की सांसद होने के बावजूद मुझे यह कहने से कोई गुरेज नहीं है कि संविधान से छेड़छाड़ की साजिश अंदरखाने में चल रही है, क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो आरएसएस के जरिए संविधान की समीक्षा की कोशिशें नहीं होतीं। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी के ही सांसद खुलकर बोलना शुरू कर दिया है कि संविधान बदलने के लिए ही तो भाजपा की सरकार बनी है।
सावित्री बाई फूले ने कहा कि उन्होंने पार्टी के भीतर बाहर दोनों जगहों पर इसका पुरजोर विरोध किया और तब कहा गया कि शांत हो जाओ नहीं तो पॉलिटिकल कैरियर खत्म कर दिया जाएगा।

भाजपा सांसद ने कहा कि ऐसी धमकी देने वालों से वह डरने वाली नहीं हैं। उन्होंने कहा कि आरक्षण की वजह से आज वह सांसद हैं, किसी के रहमोकरम पर नहीं। बाबा साहेब के सिद्धांत पर चलकर यह मुकाम उन्हें हासिल हुआ है और उनके बनाए संविधान पर आंच आई तो मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि जब भाजपा की अगवाई में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी थी तब भी संविधान समीक्षा आयोग बनाकर उसे कमजोर करने की नापाक कोशिश की गई थी, लेकिन तब कांशीराम जी ने इसका पुरजोर तरीके से विरोध किया था और दो टूक शब्दों में कह दिया था कि संविधान नहीं बदलने देंगे।
कार्यक्रम के अंत में संकल्प लिया गया कि दलित-बहुजन संविधान के साथ छेड़छाड़ की किसी भी कोशिश को सफल नहीं होने देंगे। धन्यवाद ज्ञापन अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति परिसंघ के प्रधान महासचिव के.पी. चौधरी व सुखीराम ने किया और भरोसा दिलाया कि जरूरत पड़ने पर परिसंघ संघर्ष के लिए हर समय तैयार रहेगा।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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