h n

गोंडवाना रत्न सुन्हेरसिंह ताराम की स्मृति में कार्यक्रम का आयोजन 18 को

गोंडी भाषा व संस्कृति के विकास के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले गोंडवाना रत्न सुन्हेर सिंह ताराम जी का निधन 7 नवंबर 2018 को हो गया था। उनकी स्मृति में 18 फरवरी 2019 को महाराष्ट्र के गोंदिया जिले के धनेगांव में एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया है

गोंदिया (महाराष्ट्र)। गोंडवाना रत्न सुन्हेरसिंह ताराम जी को उनके निवास स्थान पर 18 फरवरी, 2019 को श्रद्धाजंलि दी जाएगी। उनका निधन 7 नवंबर 2018 को हो गया था। श्रद्धांजलि कार्यक्रम उनके निवास स्थान आदिवासी भाषा शोध संस्थान, धनेगांव में रखा गया है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता गोंडवाना भू-भाग के वरिष्ठ लेखक, रायपुर के तिरुमाल कोमलसिंह जी मरई करेंगे।

प्रमुख अतिथियों में गोंडवाना के सरसेनापति (नागपुर) तिरुमाल शीतलजी मरकाम, ‘भोरमदेव’ के वरिष्ठ लेखक औ राजनाद गांव इतिहास के अभ्यासक तिरुमाल भरतलाल कोरामजी, तिरुमाल रामनाथ ओईमाजी (इलाहाबाद), हम्पी के वरिष्ठ लेखक और कर्नाटक विद्यापीठ के विभागाध्यक्ष तिरुमाल डॉ. के.एम. मैत्री, गोंडी अध्यापक तिरुमाल शेरसिंह ओंचला तथा तिरुमाल अ‍ॅड. लालसु नगोटी (भामरागड) उपस्थित होंगे।  

गोंडवाना रत्न सुन्हेरसिंह ताराम (4 अप्रैल 1942 – 7 नवंबर 2018)

यह भी पढ़ें : गोंडवाना रत्न सुन्हेरसिंह ताराम : गोंडी भाषा और साहित्य का दीपक जलाने वाले कर्मनिष्ठ समाज-सेवक

बता दें कि सुन्हेरसिंह ताराम ने गोंडवाना भाषा और लिपि संबंधी कई महत्वपूर्ण लेखन किया और गोंड संस्कृति को मजबूत किया। सुन्हेरसिंह ताराम जी की पत्नी और आदिवासी भाषा विकास की संचालिका उषाकिरन के अनुसार, ‘‘तारामजी ने अनेक राज्यों में गोंडी भाषा के 18 बड़े कार्यक्रम कर गोंडी भाषा की पहचान कायम की। 1983 से 32 साल तक उन्होंने लगातार गोंडी भाषा में गोंडवाना दर्शन पत्रिका (जो आदिवासी समाज की भारत की पहली पत्रिका है।) निकाली।’’

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें

आरएसएस और बहुजन चिंतन 

मिस कैथरीन मेयो की बहुचर्चित कृति : मदर इंडिया

बहुजन साहित्य की प्रस्तावना 

दलित पैंथर्स : एन ऑथरेटिव हिस्ट्री : लेखक : जेवी पवार 

महिषासुर एक जननायक’

महिषासुर : मिथक व परंपराए

जाति के प्रश्न पर कबी

चिंतन के जन सरोकार

लेखक के बारे में

प्रेम बरेलवी

उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के प्रेम बरेलवी शायर व स्वतंत्र पत्रकार हैं। इनकी कई रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हैं

संबंधित आलेख

‘कितने अर्थशास्त्री किसी कारखाने के अंदर गए हैं?’
प्रोफेसर ज्यां द्रेज़ का कहना है कि शैक्षणिक समुदाय का भारत की राजनीति में कोई ख़ास प्रभाव नहीं है। और यह भी कि अमरीकी...
अकादमिक शोध में आचार्यों का खेल– सब पास, आदिवासी फेल
विभिन्न विश्वविद्यालयों में पिछले दो दशकों में प्राध्यापक बने आदिवासियों का अनुभव भी कम भयानक नहीं है। वे बताते हैं कि कैसे आदिवासी विषय...
झारखंड : केवाईसी की मकड़जाल में गरीब आदिवासी
हाल ही में प्राख्यात अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज के नेतृत्व में एक टीम ने झारखंड के आदिवासी इलाकों में सर्वे किया और पाया कि सरकार...
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : आंबेडकरवादी पार्टियों में बिखराव के कारण असमंजस में दलित मतदाता
राज्य में दलित मतदाता और बुद्धिजीवी वर्ग आंबेडकवादी नेताओं की राजनीति और भूमिकाओं से तंग आ चुके हैं। आंबेडकरवादी राजनेता बहुजन समाज के हितों...
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : दलित राजनीति में बिखराव
भाजपा, अजीत पवार की एनसीपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ मिलकर उन जातियों को लुभाने की कोशिश कर रही है, जो पारंपरिक...