दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ-साथ विश्वविद्यालय में चुनावी माहौल बनना शुरू हो गया है। सभी शिक्षक संगठन अपने-अपने तरीके से गुणा-भाग कर जिताऊ कंडिडेट के चयन में जुट गये हैं। हालांकि इस कड़ी में डेमोक्रेटिक टीचर फ्रंट (डीटीएफ) आगे निकल गया है और उसने डूटा अध्यक्ष के साथ-साथ अन्य पदों के लिए अपने प्रत्याशियों के पैनल की भी घोषणा कर दी है। इससे अन्य शिक्षक संगठनों पर भी अपने-अपने पैनल की घोषणा करने का दबाव बढ़ गया है और माना जा रहा है कि इस हफ्ते तक प्रत्याशियों के नामों की तस्वीर साफ हो जाएगी।
21 अगस्त तक दाखिल हो सकेंगे नामांकन के पर्चे
विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के अध्यक्ष और 15 अन्य सदस्यों के चयन के लिए डीयू में 29 अगस्त को मतदान होगा। मतदान प्रक्रिया के लिए राजनीति विज्ञान विभाग के प्रोफेसर उज्ज्वल सिंह को चुनाव अधिकारी नियुक्त किया गया है। बीते रविवार को डूटा कार्यकारिणी की बैठक के बाद चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की गई। डीयू के विभिन्न कॉलेजों और विभागों के 10 हजार से अधिक शिक्षक भाग ले सकेंगे।

मतदान में हिस्सेदारी करने के लिए 11 अगस्त शाम 5 बजे तक मतदाता के रूप में पंजीकरण किया जा सकता है। 21 अगस्त को मतदाताओं की अंतिम सूची जारी होगी। 21 अगस्त की दोपहर 2 से शाम 7 बजे तक और 22 अगस्त की सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक चुनाव लड़ने के लिए आवेदन किए जा सकेंगे। 23 अगस्त दोपहर 12 बजे तक नाम वापस लिए जा सकेंगे और 23 अगस्त को उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की जाएगी। 29 अगस्त की सुबह 10 से शाम 5:30 बजे तक मतदान होगा। उसी दिन शाम 6:30 बजे से मतगणना शुरू होगी।
डीटीएफ की ओर से उम्मीदवारों की सूची जारी
डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) की बात करें तो उसने डूटा के निवर्तमान अध्यक्ष राजीव रे पर दोबारा भरोसा जता इस चुनाव में उन्हें अध्यक्ष पद का प्रत्याशी बनाया है। इसके साथ-साथ चार सदस्यीय पैनल की भी घोषणा की गयी है। इनमें निवर्तमान एक्जिक्यूटिव काउंसिल की मेम्बर आभा देव हबीब, विद्वत परिषद के पूर्व सदस्य वी.एस. दीक्षित, आदिवासी समुदाय से आने वाले तेज-तर्रार युवा शिक्षक नेता जीतेंद्र मीणा व विश्वजीत मोहंती शामिल हैं।

बता दें कि डीटीएफ दिल्ली विश्वविद्यालय में सक्रिय मजबूत शिक्षक संगठनों में से एक है और इसकी मजबूती का अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि पिछले चार डूटा चुनाव में अध्यक्ष पद पर वाम संगठन डीटीएफ के उम्मीदवार ही जीतते आ रहे हैं। साल 2011 में डीटीएफ प्रत्याशी डा. अमरदेव शर्मा, 2013 और 2015 के चुनाव में प्रो. नंदिता नारायण और 2017 में हुए पिछले चुनाव में राजीव रे विजयी रहे थे।
हालांकि इन चुनावों में भाजपा समर्थित शिक्षक संगठन एनडीटीएफ से ही मुकाबला हुआ था, इसलिए अगर कोई बड़ा फेरबदल नहीं हुआ तो मुख्य प्रतिद्ंद्वी के तौर पर एनडीटीएफ को ही माना जा रहा है। इसके अलावा यूनियन टीचर्स एसोसिएशन (यूटीए), एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट (एएडी) आदि भी विश्वविद्यालय में सक्रिय हैं और इस चुनाव में इनकी भूमिका क्या रहती है, यह देखने वाली बात होगी।
– दांव-पेंच, समीकरणों के आधार पर उम्मीदवार तय करने में जुटे शिक्षक संगठन
– डीटीएफ ने पहले घोषणा कर एनडीटीएफ सहित अन्य शिक्षक संगठनों पर बनाया दबाव
– डीटीएफ ने डूटा के निवर्तमान अध्यक्ष राजीव रे पर ही जताया भरोसा
पिछले चुनाव का हाल
साल 2017 में हुए पिछले चुनाव परिणाम पर गौर करें तो विश्वविद्यालय में सक्रिय शिक्षक संगठनों की स्थिति का मोटा-मोटी अंदाजा लगाया जा सकता है। वर्ष 2017 में अध्यक्ष पद के लिए डीटीएफ प्रत्याशी राजीव रे ने बीजेपी समर्थित एनडीटीएफ प्रत्याशी वी.एस. नेगी को 261 मतों से हराया था। इसके अलावा यूनियन टीचर्स एसोसिएशन (यूटीए) व एकेडमिक फॉर एक्शन एंड डेवलपमेंट (एएडी) के संयुक्त प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह राणा को 1930 मत मिले थे जबकि बीटीएफ के सुनील बाबू को केवल 48 वोट मिले थे।
राजीव रे को जीत का विश्वास
बहरहाल, डूटा के निवर्तमान अध्यक्ष व इस बार डीटीएफ की तरफ से अध्यक्ष पद के प्रत्याशी राजीव रे का दावा है कि पिछली चार बार से जीत का सिलसिला जो जारी है, वह पांचवीं बार भी जारी रहेगी। उनके मुताबिक शिक्षकों के हित में लड़ाई लड़ते रहे हैं इसलिए मुंह की खाने का सवाल ही नहीं उठता है। शिक्षा के बाजारीकरण पर रोक लगाने के लिए किए गए संघर्ष को शिक्षक समुदाय कभी नहीं भूलेगा। साथ ही 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम का विरोध कर देशव्यापी 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम बहाली के लिए संघर्ष और उसे अंजाम तक पहुचाने के लिए किया गया संघर्ष के साथ-साथ पेंशन पर हमले की कोशिश को निकाम करना उनके संगठन और डूटा कार्यकारिणी की बड़ी सफलता है। वह इन्हीं सभी मुद्दे को लेकर चुनाव में जा रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि शिक्षक समुदाय उन्हें इस बार भी अपना समर्थन जरूर देंगे।
(कॉपी संपादन : नवल)
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