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तामील हुआ निशंक का फरमान, राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ ने जारी किया विज्ञापन 

पिछले दिनों संसद में यह सवाल उठा था कि राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरूपति में 38 पद रिक्त हैं। जवाब में केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सदन को आश्वस्त किया था। अब उनके निर्देश का पालन करते हुए विद्यापीठ ने विज्ञापन जारी कर दिया है

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के निर्देश पर राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति (आंध्र प्रदेश) द्वारा शैक्षणिक और ग़ैर-शैक्षणिक पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। इन रिक्तियों के लिए योग्य अभ्यर्थी 9 अगस्त तक आवेदन कर सकते हैं। आवेदकों को निर्धारित प्रारूप पर देय शुल्क के साथ आवेदन करना होगा। आवेदन फॉर्म विद्यापीठ की वेबसाइट से डाउनलोड किए जा सकते हैं।

ग़ौरतलब है कि केंद्र की बीजेपी सरकार संस्कृत को बढ़ावा देने और इसके प्रचार प्रसार के दावे करती रही है। हाल ही में संस्कृत विद्यालयों में रिक्तियों का मामला संसद में ज़ोर-शोर से उठा था। 24 जून को लोक सभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने आश्वासन दिया था कि इन रिक्त पद जल्द भर जाएंगे। केंद्रीय मंत्री ने सदन को बताया था कि राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ तिरुपति में कुल 109 स्वीकृत पद हैं और इनमें 38 रिक्त हैं।

सरकार ने वैदिक शिक्षा को आगे बढ़ाने के संबंध में एन गोपालस्वामी समिति की रिपोर्ट को लागू करने का भी दावा किया था। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने ताज़ा भर्ती को इसी दिशा में एक क़दम बताया है।

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक

लोकसभा में प्रश्न का जवाब देते केंद्रीय

राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरुपति के अधिकारिक वेबसाइट पर जारी विज्ञापन के मुताबिक़ प्रोफेसर पद के लिए कुल 2 रिक्तियां हैं। इनमें एक न्याय जबकि दूसरी रिक्ति साहित्य के लिए है। दोनों ही पद अनारक्षित श्रेणी में हैं। एसोसिएट प्रोफेसर पद पर कुल 6 नियुक्तियां होनी हैं। इनमें संस्कृत के एक, योग के एक, व्याकरण के एक, शोध एवं प्रकाशन के लिए 2 जबकि कंप्यूटर विज्ञान के लिए एक रिक्ति घोषित की गई है। इन 6 में कुल एक पद अनुसूचित जाति और एक अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। विद्यापीठ के ज्योतिष, योग, कंप्यूटर साइंस समेत अन्य संकायों में असिस्टेंट प्रोफेसर के कुल 32 पद भरे जाने हैं। इनमें 8 अनुसूचित जाति जबकि 3 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। असिस्टोंट प्रोफेसर के 11 पद ओबीसी और 1 पद  शारीरिक रुप से अक्षम व्यक्तियों के लिए आरक्षित किया गया है। अनुवाद विभाग का एक पद आर्थिक रुप से पिछड़े लोगों के लिए आरक्षित किया गया है।

राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ, तिरूपति, आंध्र प्रदेश

विद्यापीठ में 2 ग़ैर-शैक्षणिक नियुक्तियां भी होनी हैं। इनमें 1 डिप्टी लाइब्रेरियन और 1 सहायक निदेशक, शारीरिक शिक्षा की है। ये दोनों ही रिक्तियां अनारक्षित श्रेणी में हैं। जिन अभ्यर्थियों ने नवंबर 2017 और जुलाई 2018 में भर्ती संबंधी विज्ञापन के प्रकाशन के उत्तर में आवेदन किया था, उन्हें दोबारा आवेदन करने की ज़रुरत नहीं है। लेकिन इन अभ्यर्थियों के योग्यता संबंधी अतिरिक्त जानकारी 9 अगस्त, 2019 तक देनी ज़रुरी है। इन रिक्तियों के संबंध में ज़्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करें।

यह भी पढ़ें : डॉ. हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए आवेदन का मौक़ा

ध्यातव्य है कि केंद्रीय संस्कृत विद्यापीठ की स्थापना भारत सरकार ने 1961 में संस्कृत कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद की थी। इसका मक़सद संस्कृत के अलावा पारंरपरिक शास्त्रों में विधियों में लोगों को शिक्षित करना है। 1987 में विद्यापीठ को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा मिला। सरकार ने पिछले कार्यकाल में राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ के अलावा दो अन्य संस्कृत संस्थानों को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने के कोशिश की थी। हालांकि सरकार संसद से अपना प्रस्ताव पारित कराने में नाकाम रही थी।

(फारवर्ड प्रेस उच्च शिक्षा जगत से संबंधित खबरें प्रकाशित करता रहा है। हाल के दिनों में कई विश्वविद्यालयों द्वारा नियुक्तियों हेतु विज्ञापन निकाले गए हैं। इन विज्ञापनों में आरक्षण और रोस्टर से जुड़े सवालों को भी हम  उठाते रहे हैं; ताकि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दलित-बहुजनों समुचित हिस्सेदारी हो सके। आप भी हमारी इस मुहिम का हिस्सा बन सकते हैं। नियोजन संबंधी सूचनाओं, खामियों के संबंध में हमें editor@forwardmagazine.in पर ईमेल करें। आप हमें 7004975366 पर फोन करके भी सूचना दे सकते हैं)

(कॉपी संपादन : नवल)


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लेखक के बारे में

सैयद ज़ैग़म मुर्तज़ा

उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले में जन्मे सैयद ज़ैग़़म मुर्तज़ा ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से लोक प्रशासन और मॉस कम्यूनिकेशन में परास्नातक किया है। वे फिल्हाल दिल्ली में बतौर स्वतंत्र पत्रकार कार्य कर रहे हैं। उनके लेख विभिन्न समाचार पत्र, पत्रिका और न्यूज़ पोर्टलों पर प्रकाशित होते रहे हैं।

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