दलित और पिछड़े वर्गों के शोधार्थियों के लिए अच्छी खबर। केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय की नींद पांच माह बाद खुली है। अब दलित और पिछड़े वर्ग के शोधार्थियों को फेलोशिप की राशि में वृद्धि का लाभ मिलेगा। मंत्रालय के द्वारा इस संबंध में फैसला लिए जाने के बाद बीते 7 नवंबर 2019 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने एक सूचना अपने आधिकारिक वेबसाइट पर जारी की है। जबकि विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के द्वारा विभिन्न फेलोशिप के तहत राशि में वृद्धि 11 जून 2019 को ही की जा चुकी है।
बहरहाल, जारी सूचना के अनुसार नेशनल फेलोशिप फॉर एससी (एनएफएससी), नेशनल फेलोशिप फॉर ओबीसी (एनएफओबीसी) और मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप के तहत जेआरएफ (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) के रूप में पहले दो वर्षों तक 31 हजार रुपए प्रति माह मिलेंगे। पहले यह राशि 25 हजार रुपए थी। इसी प्रकार एसआरएफ (सीनियर रिसर्च फेलोशिप) के रूप में अब शोधार्थियों को 35 हजार रुपए प्रतिमाह मिलेंगे जो पूर्व में 28 हजार रुपए थी।
फेलोशिप | 31 दिसंबर 2018 तक | 1 जनवरी 2019 से लागू |
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नेशनल फेलोशिप फॉर एससी | जेआरएफ - 25,000/- एसआरएफ - 28,000/- | जेआरएफ - 31,000/- एसआरएफ - 35,000/- |
नेशनल फेलोशिप फॉर ओबीसी | जेआरएफ - 25,000/- एसआरएफ - 28,000/- | जेआरएफ - 31,000/- एसआरएफ - 35,000/- |
मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप | जेआरएफ - 25,000/- एसआरएफ - 28,000/- | जेआरएफ - 31,000/- एसआरएफ - 35,000/- |
आवासीय भत्ते के रूप में 8%, 16% और 24% राशि का भुगतान होगा |
यूजीसी द्वारा जारी सूचना यह भी बताती है कि इस वृद्धि का लाभ शोधार्थियों को 1 जनवरी 2019 के प्रभाव से मिलेगा। यानी अब जो उन्हें फेलोशिप की राशि मिलेगी उसमें की गयी बढ़ोत्तरी शामिल होगी। साथ ही शेष बकाये का भुगतान भी किया जायेगा।

यूजीसी ने यह साफ किया है कि आवासीय भत्ता के मद में दी जाने वाली राशि में भी बदलाव हुए हैं। नये फैसले के मुताबिक दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर जैसे मेट्रो शहरों में रहकर शोध करने वाले शोधार्थियों को प्रतिामाह 24 फीसदी आवासीय भत्ता मिलेगा। लखनऊ, पटना और रांची जैसे बड़े शहरों में रहने वालों को 16 प्रतिशत और सुदूर इलाकों में रहने वालों को 8 प्रतिशत आवासीय भत्ता मिलेगा।
कुल मिलाकर केंद्रीय सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय के फैसले के बाद दलित और ओबीसी वर्ग के शोधार्थियों को लाभ मिलेगा। लेकिन सवाल तो बनता ही है कि फेलोशिप में वृद्धि को लागू करने में देरी क्यों की गयी।
(कॉपी संपादन : सिद्धार्थ)
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