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छत्तीसगढ़ : राम की तलाश में जुटे बघेल, पिता सहित अनेक ने की आलोचना

भूपेश बघेल सरकार का मानना है कि छत्तीसगढ़ में राम से जुड़े 51 स्थान हैं। इनमें से नौ स्थानों के विकास पर दस करोड़ रुपए खर्च किये जाने की योजना है। राज्य सरकार की इस पहल का दलित, आदिवासी व ओबीसी बुद्धिजीवियों ने विरोध किया है। विरोध करने वालों में भूपेश बघेल के पिता नंदकुमार बघेल भी शामिल हैं। तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट

कोरोना की दहशत के बीच, छत्तीसगढ़ सरकार राम की तलाश कर रही है। बीते 26 अप्रैल, 2020 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस सम्बन्ध में घोषणा भी की। सरकार का मानना है कि अपने वनवास के दौरान राम छत्तीसगढ़ के जंगलों में भी रहे थे। सरकार अब उन स्थानों को चिन्हित कर पर्यटन के लिहाज से उनका विकास करेगी। राज्य सरकार की इस पहल का अनेक दलित, आदिवासी व ओबीसी बुद्धिजीवियों ने विरोध किया है। उनके मुताबिक राज्य सरकार का यह कदम द्विजों के सांस्कृतिक वर्चस्ववाद को बढ़ावा देगा और दलित-बहुजनों के सांस्कृतिक प्रतिवाद के आंदोलन को कमजोर करेगा। विरोध करने वालों में मुख्यमंत्री के पिता नंदकुमार बघेल भी शामिल हैं।

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लेखक के बारे में

तामेश्वर सिन्हा

तामेश्वर सिन्हा छत्तीसगढ़ के स्वतंत्र पत्रकार हैं। इन्होंने आदिवासियों के संघर्ष को अपनी पत्रकारिता का केंद्र बनाया है और वे विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरंतर रिपोर्टिंग करते हैं

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