मुल्क में कोरोना वायरस के संकट के बीच एक नया विवाद सामने आ गया है। केरल में एक गर्भवती हथिनी की पटाखों से भरा अनानास खाने से मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। मीडिया और सोशल मीडिया में इस घटना को लेकर हंगामा मचा हुआ है। पिछले ढाई महीने में इतना हंगामा तब भी नहीं मचा जब लॉकडाउन से देश भर में लोग बुरी तरह प्रभावित हुए और करोड़ों प्रवासी मजदूरों को अपनी जान हथेली पर रख कर अपने घर लौटना पड़ा। क्वारेंटाइन सेंटरों पर बदइंतजामियों के सामने आने पर भी टीवी चैनलों के टीआरपी का पारा इतने ऊपर नहीं चढ़ा। यहां तक कि प्रवासी मजदूरों की विभिन्न दुर्घटनाओं में मौत भी आई-गई हो गई। लेकिन केरल में एक हथिनी की मौत से मानों तूफ़ान बरपा हो गया।
क्या हथिनी की मौत का था इंतजार?
वैसे किसी की भी मौत दुखद होती है, फिर चाहे वह जानवर हो या फिर इंसान। भारत में मौत और लाश पर राजनीति की पुरानी परंपरा है। दरअसल हथिनी की मौत के मामले में असली उबाल तब आया जब इस घटना को धर्म विशेष से जोड़ दिया गया। जो बात छनकर सामने आयी वह यह थी कि हथिनी हिंदू थी जो केरल के मुस्लिम बहुल कहे जाने वाले मलप्पुरम जिले में मारी गयी। केंद्रीय वन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने तुरंत जांच के आदेश दे दिए। इसी बीच भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी भी इस मामले में कूद पड़ीं। उन्होंने एएनआई से बातचीत में कहा कि “केरल में हर साल 600 के तक़रीबन हाथी मारे जाते है।” अगले ही वाक्य में वे खुद के आंकड़ों में उलझ गयीं। उन्होंने कहा कि “… हर तीसरे दिन एक हाथी मरता है।”
मेनका गांधी के मुताबिक केरल में एक साल में औसतन 121 हाथियों की मौत होती है और यदि हर तीसरे दिन से उनका तात्पर्य आधे से है, तब भी 183 हाथियों की मौत होती होगी। तो फिर यह 600 का आंकड़ा कहां से आया?
ऐसे में क्या यह सवाल नहीं उठता है कि केंद्र सरकार के पास क्या कोई ऐसी रिपोर्ट है जो देश भर में हाथियों के हालात को बयान करती हो? यदि है तो अब तक ये सवाल सामने क्यों नहीं लाए गए? क्या गर्भवती हथिनी की दुखद मौत का इंतजार हो रहा था?
Mallapuram is know for its intense criminal activity specially with regards to animals. No action has ever been taken against a single poacher or wildlife killer so they keep doing it.
I can only suggest that you call/email and ask for action pic.twitter.com/ii09qmb7xW— Maneka Sanjay Gandhi (@Manekagandhibjp) June 3, 2020
खैर, मेनका गांधी यहीं नहीं रूकीं। उन्होंने कहा कि “…और उन्हें मंदिर में मारपीट करके मारते है, इनको परेड पर ले जाते है, धूप में खड़ा करके, भूखे मार देते हैं।” वे गर्भवती हथिनी के मौत के लिए मलप्पुरम जिले के लोगों को जिम्मेदार बताती हैं। उनके बयान का असर यह हुआ कि मलप्पुरम को भारत का इस्लामिक तालिबान का केंद्र घोषित कर दिया गया। बताते चलें कि मलप्पुरम केरल का वह जिला है जहां की आबादी में 70 फ़ीसदी मुस्लिम हैं।
लॉकडाउन के दौरान यह पहली दफा नहीं है जब मुसलमानों को निशाना बनाया गया हो। अप्रैल के मध्य में द इंडियन एक्सप्रेस ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के लिए कुल 802 गिरफ्तारियों की सूचना दी, जिनमें से कम से कम 50 को लॉकडाउन के दौरान बताया गया। द हिंदू के अनुसार 22 मार्च से 17 अप्रैल के बीच पूर्वोत्तर दिल्ली के हिंसा प्रभावित मुस्लिम बहुल इलाकों में लगभग 25 से 30 गिरफ्तारियां हुई। द क्विंट के अनुसार, हर रोज छह-सात लोगों को पुलिस उठा रही है, जिसमें अधिकतर मुसलमान हैं।

इन गिरफ्तारियों के संबंध में सामाजिक कार्यकर्ता हर्षमंदर बताते है कि गिरफ्तार किये गए लोगों में से अधिकांश का दंगों से कुछ लेनादेना नहीं है, बल्कि ये लोग सीएए-एनआरसी के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय थे। इसी तर्ज़ पर तबलीगी जमात का मसला भी उछला। ऐसा लगता है कि लॉकडाउन के दौरान सरकार ने अपने पूरे तंत्र को मुसलमानों को कटघरे में खड़ा करने में लगा दिया।
सवाल यह है कि मलप्पुरम को सबसे हिंसक जिला बताया जाना क्या राजनीतिक प्रोपेगेंडा है? नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की “क्राइम इन इंडिया-2018” रिपोर्ट के अनुसार केरल में अपराध और हत्याओं के मामलों में तिरुवनंतपुरम जिला सबसे आगे है। केरल में भाजपा का एकमात्र विधायक भी तिरुवनंतपुरम से ही है और भाजपा को अधिकतम वोट शेयर भी तिरुवनंतपुरम से ही मिला है। यदि आप हत्याओं की संख्या को देखें तो मलप्पुरम जिला त्रिशूर, कोल्लम और एर्णाकुलम के बाद आता है। हाथियों के खिलाफ पशु क्रूरता के मामले में सबसे आगे त्रिशूर है, जहां ‘त्रिशूर पूरम’ होती है।
हथिनी की मौत का सच
अब सच की पड़ताल करते हैं। पटाखों से भरा अनानास खाने के बाद गर्भवती हथिनी की मौत की घटना मलप्पुरम में नहीं बल्कि पालक्कड़ जिले में हुई। मेनका गांधी के बयान के विपरीत, केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय ने राज्यसभा में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 2014 से 2019 के बीच भारत में 510 और केरल में 42 हाथी मारे गए । इनमें वे हाथी भी शामिल हैं जो ट्रेन से कटकर या बिजली की लाइन के संपर्क में आकर मरे। पिछले दो वर्षों से केरल में एक भी हाथी का शिकार नहीं हुआ है। केवल एक मामला जहर दिए जाने का सामने आया है।
गर्भवती हथिनी की मौत को लेकर केरल पुलिस और वन विभाग द्वारा जांच आरंभ हो चुकी है और इस क्रम में कई लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ किये जाने की सूचना केरल से प्रकाशित अखबारों के जरिए सामने आ रही है। इनके मुताबिक एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हुई है। हालांकि यह बात भी प्रकाश में आयी है कि जंगली सूअरों के हमले से फसलों को बचाने के लिए गांव के लोग पटाखों का उपयोग अवैध रूप से करते हैं।

वन विभाग की प्रारंभिक जांच में यह अनुमान व्यक्त किया गया है कि संभवतः हथिनी ने गलती से पटाखों वाले अनानास को खा लिया होगा। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार 27 मई को उसकी मौत से लगभग एक सप्ताह पहले उसने वह अनानास खाया था। विस्फोट से हथिनी के मुंह का ऊपरी और निचला हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ, जिससे हुए घाव और संक्रमण के दर्द से आराम हेतु वह वेल्लियर नदी के पानी में अपना सूंड और मुंह डाले रही। इस दौरान उसके फेफड़ों में पानी भर गया और दम घुटने से उसकी मृत्यु हुई।
हालांकि अभी इस मामले की जांच जारी है। इस बात की भी छानबीन की जा रही है कि क्या किसी ने जानबूझकर उसे विस्फोटक पदार्थ खिलाये थे।
आखिर केरल ही क्यों?
सवाल यह भी है कि यदि ऐसी ही घटना किसी और प्रदेश में हुई होती तब भी क्या ऐसा ही हंगामा मचाया जाता? केरल अनेक सामाजिक और राजनैतिक आन्दोलनों की आधार भूमि रहा है, और इसका असर वहां के शासन-प्रशासन में भी नज़र आता है। अय्यंकाली, नारायणगुरु, सहोदरन अय्यपन, आदि के आंदोलन आज भी केरल वासियों के ज़हन में जिंदा हैं।
वर्तमान में यहां इजवा जाति से आने वाले पिणराय विजयन के नेतृत्व में कम्युनिस्ट सरकार शासन में है। यह सरकार केंद्र सरकार और खासकर आरएसएस के निशाने पर है। हथिनी की मौत के मामले में बवाल के बीच एक सच्चाई यह भी है कि केरल ने कोरोना पर नियंत्रण के मामले में पूरे देश में एक नजीर पेश की है।
केरल ही क्यों? क्या इसकी एक वजह यह है कि आरएसएस के दूसरे सरसंघचालक माधव सदाशिव गोलवलकर ने अपनी किताब “बंच ऑफ़ थॉट्स” में लिखा है कि हिंदू राष्ट्र के मुख्य दुश्मनों में मुसलमान, ईसाई और कम्युनिस्ट हैं? भारत में केरल एकमात्र राज्य है जहां ये सभी हैं।
बहरहाल, हथिनी की मौत तो महज एक बहाना है। सवाल यह है कि अगर यह हथिनी हिंदू थी तो उसकी जाति क्या थी? हंगामा खड़ा करने वालों को इस सवाल का जवाब भी जरूर देना चाहिए और यह भी कि इस तरह की सियासत की क्या कोई सीमा भी होगी?
(संपादन : नवल/अमरीश)