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पीएम संग बैठक में स्टालिन ने उठाए दलित-बहुजनों के सवाल

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर 25 मांगों का एक पत्र सौंपा। इनमें अधिकांश मांग दलित-बहुजनों से जुड़े हैं। इसके साथ ही पढ़ें, गत सप्ताह की कुछ खास खबरें

बहुजन साप्ताहिकी

जहां एक ओर उत्तर भारतीय दलित-बहुजन नेता अपने आधार मतदाताओं के हक-हुकूक के सवालों को लेकर मौन हैं, वहीं दूसरी ओर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन हैं, जिन्होंने एक के बाद एक दलित-बहुजनों से जुड़े कई फैसले लिये हैं। गत 17 जून, 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान उन्होंने दलित-बहुजनों के सवालों को प्रमुखता से रखा। उन्होंने प्रधानमंत्री को 25 मांगों का एक पत्र सौंपा। इन मांगों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उपर थोपे गए क्रीमीलेयर के प्रावधान को खत्म करने संबंधी मांग अहम रही। इसके अलावा उन्होंने केंद्र से संविधान संशोधन के जरिए प्रावधान करने की मांग की ताकि राज्य सरकारें अपने-अपने राज्यों में एससी, एसटी और ओबीसी की जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण की व्यवस्था कर सकें। उन्होंने राज्याधीन मेडिकल संस्थानों में केंद्रीय कोटे के अधीन प्रवेश हेतु तमिलनाडु के आरक्षित वर्गों के छात्रों के लिए आरक्षण की व्यवस्था को लागू करने तथा संसद व राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की मांग की। अपने पत्र में स्टालिन ने नई शिक्षा नीति को वापिस लेने की मांग भी की।

महाराष्ट्र में छत्रपति शाहूजी महाराज की जयंती के मौके पर आक्रोश मार्च का आयोजन

संवैधानिक अधिकार और आरक्षण खत्म करने की साजिश के खिलाफ आवाज बुलंद होने जा रही है। आरक्षण हक कृति समिति की तरफ से 26 जून को महाराष्ट्र में सभी जिलाधिकारी कार्यालय पर आक्रोश मोर्चा निकाला जाएगा। आरक्षण के जनक छत्रपति राजर्षी शाहु महाराज की जयंती के दिन 26 जून को यह मोर्चा निकलेगा, जिसे लेकर लोग पहले से ही उत्साहित हैं। इसे अनुसूचित जाति, जनजाति, खानाबदोश जाति, वंचित जनजाति, विशेष पिछड़ा वर्ग और ओबीसी का बड़ा आंदोलन माना जा रहा है। इस संबंध में समिति के संयोजक व पूर्व राज्यसभा सांसद हरिभाऊ राठौड़ ने बताया कि भारतीय संविधान निर्माता डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर और संविधान निर्माताओं ने देश में असमानता को दूर करने, शासन में पिछड़े वर्गों की भागीदारी और उनके हजारों वर्षों के सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को ठीक करने के लिए जो जनता को संवैधानिक अधिकार सौंपे, उस पर आज खतरा मंडरा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान मांग पत्र के साथ तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन

झारखंड में ढाई लाख किसानों को कर्ज माफी

आदिवासी बहुल राज्य झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने किसानों के लिए बड़ी राहत की घोषणा की है। गत 17 जून, 2021 को झारखंड के कृषि, पशुपालन व सहकारिता मंत्री बादल पत्रलेख ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि कोरोना के कारण तालाबंदी से राज्य के किसान प्रभावित हुए हैं। वहीं छोटे किसान जो साग-सब्जी उपजाते हैं, उन्हें भी नुकसान उठाना पड़ा है। ऐसे में राज्य सरकार ने 2 लाख 46 हजार 12 किसानों को कर्जमाफी देने का फैसला लिया है। इसके लिए सरकार ने 980 करोड़ रुपए की राशि बैंकों को जारी कर दिया गया है। साथ ही राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों से उन किसानों की सूची बनाने को कहा है जिनका नाम छुट गया है।

बिहार में गंगा का कोरोना टेस्ट

बीते दिनों गंगा में कोरोना के कारण मृत लोगों की लाशों को बहा देने व रेत में दफन किए जाने का मामला प्रकाश में आने के बाद अब भारत सरकार गंगा का कोरोना जांच करवा रही है। इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टाक्सोलॉजिकल रिसर्च, लखनऊ के वैज्ञानिक इन दिनों गंगा किनारे पानी के नमूने जमा कर रहे हैं। यह स्थिति तब है जबकि गंगा सहित उत्तर भारत की अनेक नदियों में बरसात के कारण पानी का प्रवाह खतरे के निशान को पार कर गया है। गत 16 जून को बिहार की राजधानी पटना में वैज्ञानिकों ने पानी के नमूने एकत्रित किया। इस संबंध में नदियों को लेकर सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता रणजीव ने बताया कि यह भारत सरकार द्वारा केवल दिखावा किया जा रहा है। जब गंगा में लाशें बहायी व दफनायीं जा रही थीं, तब यदि जांच होता तो शायद वैज्ञानिकों को कुछ आंकड़े भी मिलते। लेकिन अब जबकि गंगा में बरसात का पानी शामिल हो चुका है, ऐसे में यह केवल एक ही साजिश की ओर इशारा कर रही है कि सरकार केवल गंगा को धार्मिक नदी बनाए रखना चाहती है। होगा यही कि सरकारी जांच में गंगा के पानी को कोरोना से मुक्त बताया जाएगा ताकि लोग धर्म से जुड़े कर्मकांड आदि कर सकें।

(संपादन : अनिल)


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लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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