बहुजन साप्ताहिकी
झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव होने हैं। इसे लेकर वहां उन जिलों के आदिवासी विरोध कर रहे हैं जो पांचवीं अनुसूची में शामिल हैं। उनका मानना है कि इन जिलों में उनकी पारंपरिक शासन व्यवस्था है और उनकी पंरपराएं पांचवीं अनुसूची के तहत अक्षुण्ण रखी गयी हैं। इस मुहिम में अब झारखंड के असुर समुदाय के लोग भी शामिल हो गए हैं।
इस आशय की जानकारी गुमला के आदिम जनजाति असुर समुदाय से आनेवाले सामाजिक कार्यकर्ता अनिल असुर ने दी। उन्होंने बताया कि बीते 16 अगस्त को एक विरोध प्रदर्शन लोहरदग्गा समाहरणालय के समक्ष आयोजित किया गया तथा राज्यपाल के नाम एक ज्ञापन सौंपा गया। अनिल ने बताया कि इस विरोध प्रदर्शन में टाना भगतों ने भी हिस्सेदारी की। उन्होंने बताया कि राज्य चुनाव आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर जो गजट असाधारण अंक 24 सितंबर, 2021 को प्रकाशित किया है, वह त्रुटिपूर्ण है। झारखंड में 15 जिले पांचवीं अनुसूची में शामिल हैं। संविधान की पांचवी अनुसूची के प्रावधानों के तहत इन क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के अधीन प्रशासन होना चाहिए। इन क्षेत्रों में कार्यपालिका का नियंत्रण नहीं हो। पंचायत चुनाव में संविधान की पांचवी अनुसूची में वर्णित जनजातियों के अधिकारों से उन्हें वंचित किया जा रहा है, इस कारण इसका व्यापक विरोध किया जा रहा है।

अनिल असुर ने बताया कि इस संबंध में बीते 12 नवंबर को रांची में भी एक प्रदर्शन किया गया था। इस मौके पर राज्यपाल के दिए ज्ञापन में बताया गया कि झारखंड के पांचों आदिवासी समुदायों संथाल, मुंडा, हो, उरांव और खड़िया के पारंपरिक अगुवओं परगना बाबा, परगना मांझी, पड़हा राजाओं, पड़हा बेल, मुंडा-मानकी, डोकलो सोहोर का पत्थर चाकरी गांव में 25 अक्टूबर 2021 का महासम्मेलन के दौरान भारतीय संविधान के अनुच्छेद 154 के तहत पांचवीं अनुसूची पंचायत चुनावों के विरोध करने का फैसला लिया गया है। राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाएं।
बिहार और उत्तर प्रदेश से दुल्हनें आयात करेंगे तमिल ब्राह्मण
तमिल ब्राह्मणों द्वारा भारत के दो बड़े हिंदी प्रदेशों उत्तर प्रदेश और बिहार से दुल्हनों के आयात की योजना पर काम चल रहा है। इस संबंध में थामीझुंडू ब्राह्मण एसोसिएशन (थामब्रास) के अध्यक्ष एन. नारायणन ने एक खुला पत्र एसोसिएशन के मुख पत्र के नवंबर अंक में प्रकाशित किया है। इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित खबर के मुताबिक करीब 40 हजार तमिल ब्राह्मण युवक कुंवारे हैं और दिन-ब-दिन इनकी संख्या बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार दस तमिल ब्राह्मण युवकों में से केवल छह को ही अपने समाज की दुल्हनें नसीब हो रही हैं। इसलिए एसोसिएशन ने यह तय किया है कि वह अब बिहार और उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण समाज के लोगों से संपर्क स्थापित कर शादियां कराएगा। इसके लिए एसोसिएशन ने एक ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की है, जो हिंदी पढ़ना-लिखना जानता है।
बहरहाल, यह पहली बार नहीं है जब बिहार और उत्तर प्रदेश से दुल्हनें आयात करने की बात कही गयी है। इसके पहले हरियाणा में 2016 में हुए विधानसभा चुनाव के दरमियान ओम प्रकाश धनखड़ ने एक चुनावी सभा में कहा था कि यदि सूबे में भाजपा जीत गयी तो हरियाणा के कुंवारे युवकों के लिए बिहार से लाड़कियां मंगायी जाएंगीं। उल्लेखनीय है कि धनखड़ मनोहरलाल खट्टर सरकार में खनिज मंत्री बनाए गए थे तथ वर्तमान में हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं।
मन्नू भंडारी का 90 वर्ष की आयु में निधन
हिंदी की सुप्रसिद्ध साहित्यकार मन्नू भंडारी का बीते 15 नवंबर को निधन हो गया। वह प्रसिद्ध हिंदी साहित्यिक पत्रिका ‘हंस’ के संपादक रहे राजेंद्र यादव की पत्नी थीं। हालांकि बाद में वह राजेंद्र यादव से अलग हो गयी थीं। उनके निधन पर हिंदी साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गयी। मूल रूप से कथाकार व उपान्यासकार मन्नू भंडारी को स्त्री विमर्श पर आधारित लेखन के लिए जाना जाता है। उनकी प्रकाशित कृतियों में ‘एक प्लेट सैलाब’, ‘मैं हार गई’, ‘तीन निगाहों की एक तस्वीर’, ‘यही सच है’, ‘त्रिशंकु’, ‘आंखों देखा झूठ’ आदि कहानियां शामिल हैं। उन्हें पहचान 1962 में प्रकाशित उपन्यास ‘आपका बंटी’ से मिली। उन्हें 1971 में उनके द्वारा लिखित उपन्यास ‘महाभोज’ के लिए विशेष तौर पर जाना जाता है जो कि नौकरशाही और भ्रष्टाचार पर आधारित है। अपने पति राजेंद्र यादव के साथ मिलकर उन्होंने 1962 में एक उपन्यास लिखा। नाम था– ‘एक इंच मुस्कान’। यह उपन्यास पढ़े-लिखे आधुनिक लोगों की एक दुखांत प्रेमकथा है।
बिहार में शराबबंदी की समीक्षा बैठक में सीएम ने दुहरायीं पुरानी बातें
बीते एक महीने में बिहार में जहरीली शराब से करीब 54 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। इसे लेकर बिहार सरकार की हो रही चौतरफा आलोचनाओं के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बीते 16 नवंबर, 2021 को पटना में उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की। हालांकि बैठक के बाद उन्होंने फिर से पुरानी बातें दुहरायीं कि सूबे में शराबबंदी यथावत जारी रहेगी और दोषी पाए जाने पर गांव के चौकीदारों, दफादारों व थानों के थानेदारों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार उन सभी मामलों को देख रही है, जिनमें लोगों की जानें गई हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसी थानेदार के खिलाफ कोई शिकायत आती है तो उसे दस साल तक थानेदारी नहीं दी जाएगी।
(संपादन : अनिल)
फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्त बहुजन मुद्दों की पुस्तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्य, सस्कृति व सामाजिक-राजनीति की व्यापक समस्याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in
फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें
मिस कैथरीन मेयो की बहुचर्चित कृति : मदर इंडिया