एक बार फिर भारतीय हिंदी मीडिया जगत का जातिवाद सामने आया है। जहां एक ओर आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों (ईडब्ल्यूएस) की आय सीमा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भारत सरकार की ओर से दिए गए वक्तव्य को लेकर उसका मीडिया जगत का उत्साह चरम पर है तो दूसरी हरियाणा में क्रीमीलेयर की सीमा में दो लाख रुपए की कटौती पर उसने खामोशी की चादर ओढ़ रखी है।
दरअसल, बीते 25 नवंबर को भारत सरकार की ओर से महान्यायवादी तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में ईडब्ल्यूएस की आय सीमा के निर्धारण से जुड़े एक मामले में कहा कि सरकार एक महीने के अंदर इस संबंध में एक स्पष्ट नीति बनाएगी। उन्होंने कहा कि “मेरे पास यह कहने का निर्देश है कि सरकार ने ईडब्ल्यूएस के मानदंडों पर फिर से विचार करने का फैसला किया है। हम एक समिति बनाएंगे और चार सप्ताह के भीतर फैसला करेंगे। हम आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण के मानदंड पर फिर से विचार करेंगे।”
ध्यातव्य है कि वर्तमान में पिछड़ा वर्ग से संबंधित क्रीमीलेयर की सीमा और ईडब्ल्यूएस की सीमा के आठ लाख रुपए निर्धारित है। सुप्रीम कोर्ट में इस बात को लेकर चुनौती दी गयी है कि किस आधार ईडब्ल्यूएस के लिए आय सीमा का निर्धारण किया गया है।
अब इस मामले में मीडिया जगत का उत्साह कुछ ऐसा दीख रहा है कि ‘जनसत्ता’ जैसे बड़े राष्ट्रीय दैनिक ने इस खबर को अपने 26 नवंबर, 2021 के संस्करण में पहले पन्ने पर पहली खबर के रूप में प्रकाशित किया। ‘जनसत्ता’ का उत्साह का एक प्रमाण यह भी कि उसने 27 नवंबर, 2021 को इसी विषय पर अपना संपादकीय आलेख प्रकाशित किया है। इसका शीर्षक है– “आरक्षण बनाम आय”। इस आलेख में ईडब्ल्यूएस की आय सीमा को लेकर चिंता व्यक्त की गई है। साथ ही, उम्मीद भी कि सरकार कोई ना कोई सकारात्मक फैसला अवश्य लेगी।
इस संबंध में दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिन्दुस्तान ने “ईडब्ल्यूएस कोटे की घटेगी आय सीमा, केंद्र सरकार कर रही है तैयारी” शीर्षक खबर को अहम स्थान दिया।
हरियाणा सरकार ने चुपके से घटा दी क्रीमीलेयर की सीमा
वहीं दूसरी ओर हिंदी अखबारों का उत्साह ओबीसी क्रीमीलेयर के मामले उदासीन रहा। हरियाणा की मनोहरलाल खट्टर हुकूमत ने बीते 17 नवंबर, 2021 को एक अधिसूचना जारी किया है। इसके मुताबिक, उसने क्रीमीलेयर की सीमा को आठ लाख से घटाकर छह लाख कर दिया है। जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इसकी सीमा बढ़ाने को लेकर मांग की जा रही है। दिलचसप यह है कि गरीब सवर्णों के लिए आय की सीमा आठ लाख रुपए ही रखी गई है। इस अधिसूचना का मतलब यह हुआ कि अब हरियाणा में ओबीसी वर्ग के उन अभ्यर्थियों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेग, जिनके अभिभावक की वार्षिक आय सलाना छह लाख रुपए या इससे अधिक होगी। हरियाणा सरकार ने यह भी साफ कर दिया है कि आय के निर्धारण में वेतन व कृषि से प्राप्त आय भी शामिल किए जाएंगे। जबकि पूरे देश में 1993 में केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी कार्यालय आदेश के मुताबिक वार्षिक आय को वेतन व कृषि से प्राप्त आय को अलग रखा गया है। इस खबर को किसी भी राष्ट्रीय दैनिक ने खबर के योग्य नहीं समझा है।
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आईआईटी ने आरक्षण नीति में किया सुधार – एससी, एसटी, ओबीसी सहित सभी आरक्षित वर्गों को मौका
आईआईटी, मुंबई तथा आईआईटी, मद्रास के परिसर में एक नया इतिहास कयम हुआ है। मुंबई परिसर में पहली बार प्रबंधन ने शिक्षकों के 50 रिक्त पदों और मद्रास परिसर के द्वारा 49 पदों पर भर्ती के जो विज्ञापन निकाला है, उसमें एससी, एसटी और ओबीसी सहित सभी आरक्षित वर्गों के हिसाब से सीटों का उल्लेख किया गया है। इसी प्रकर आईआईटी के अन्य परिसरों यथा खड़गपुर, दिल्ली आदि के द्वारा विज्ञापन जारी किये जाने की तैयारी अंतिम चरण में है।
उच्च गुणवत्तायुक्त तकनीकी शिक्षा संस्थनों में इसके पहले शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति के लिए जारी किए जानेवाले विज्ञापनों में आरक्षण का उल्लेख नहीं किया जाता था। प्रबंधनों द्वारा यह बदलाव वर्ष 2019 में जारी एक दिशा-निर्देश के आलोक में किया गया है, जिसमें आरक्षित वर्गों को आरक्षण के प्रावधनों के तहत आरक्षण दिए जाने की बात कही गयी थी। तब जारी दिशा-निर्देश में केंद्र सरकार ने संस्थानों में रिक्त पड़े पदों पर भर्ती करने के लिए 4 सितंबर, 2022 की समयसीमा निर्धारित की थी।
संविधान दिवस के मौके पर बिहार में शराब नहीं पीने की कसम
जहरीली शराब से होनेवाली मौतों को लेकर चौतरफा आलोचनाएं झेल रही बिहार सरकार ने इन दिनो सख्ती बढ़ा दी गई है। इसके तहत बीते 26 नवंबर यानी संविधान दिवस के मौके पर शराब नहीं पीने की कसम सरकारी आयोजन के तौर पर ली गयी। इस आयोजन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर राज्य सरकार के सभी मंत्री, अधिकारी और कर्मी शामिल हुए। गौर तलब है कि सूबे में बीते एक माह में 35 लोगों की जान जहरीली शराब के कारण चली गई है।
(संपादन : अनिल)
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