बहुजन साप्ताहिकी
इन दिनों बिहार में सम्राट अशोक के जीवन से संबंधित एक नाटक को लेकर सियासी गलियारे में विवाद चल रहा है। यह मामला हाल ही में साहित्य आकदमी, नई दिल्ली द्वारा ‘सम्राट अशोक’ नाटक के लिए पुरस्कृत नाटककार दया प्रकाश सिन्हा से जुड़ा है। वे भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। दरअसल, एक अखबार को दिए साक्षात्कार में दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से की। बिहार में इसी बात को लेकर लोग नाराज हैं। इस मामले में प्रदेश जदयू के नेताओं ने भी आपत्ति व्यक्त की है। सत्तासीन जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन प्रसाद उर्फ ललन सिंह ने अपने बयान में कहा था कि भारत सरकार ऐसे व्यक्ति को दिया गया सम्मान वापस ले, जो सम्राट अशोक की अतार्किक निंदा करता है। इससे खास समुदाय के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। वहीं इस मामले में भाजपा बैकफुट पर चली गयी है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने पहले तो यह कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की कि दया प्रकाश सिन्हा का अब भाजपा से कोई संबंध नहीं है। लेकिन चौतरफा हो रही बयानबाजियों के बीच बीते 13 जनवरी को डॉ. जायसवाल ने पटना के कोतवाली थाना में दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है।
योगी सरकार में दलितों-पिछड़ों की हुई उपेक्षा : मुकेश वर्मा
उत्तर प्रदेश में चुनाव के साथ अब एक नया नॅरेटिव बन चुका है। यह नॅरेटिव और अगड़े बनाम दलित-पिछड़े। इस नॅरेटिव को संपुष्ट करते हुए भाजपा सरकार में वरिष्ठ मंत्री रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने 14 जनवरी, 2022 को लखनऊ स्थित समाजवादी पार्टी के राज्य कार्यालय में आयोजित आभासी रैली व संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि “पचासी तो हमारा है, पंद्रह में भी बंटवारा है”। उनके इस नारे के बारे में भाजपा छोड़कर सपा की सदस्यता ग्रहण करनेवाले विधायक मुकेश वर्मा ने फारवर्ड प्रेस से बातचीत में कहा कि भाजपा ने दलितों, पिछड़ों और घुमंतू जातियों को केवल ठगने का काम किया। पूरे पांच साल तक खास जाति के लोगों को महत्व दिया गया। यहां तक कि एक ही पार्टी में रहने के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनकी सरकार ने हमारी किसी मांग पर ध्यान नहीं दिया। तो अब जो दलित-बहुजन-अकलियत के लोग हैं, सब मिलकर पचासी फीसदी का निर्माण करते हैं, भाजपा की वास्तविकता को जान चुके हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज की तारीख में कोई भी दलितों और पिछड़ों की हकमारी कर सत्ता में बने नहीं रह सकता है।

बिहार में महज घोषणा साबित हो रही जातिगत जनगणना
यदि भारत सरकार जातिगत जनगणना नहीं कराएगी तो बिहार सरकार इसे अपने बूते कराएगी। इसकी घोषणा कर सुर्खियों में रहनेवाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों खामोश हैं। दरअसल, राज्य सरकार द्वारा इस बारे में अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। इससे पहले कुमार ने कहा था कि वह इस संदर्भ में एक सर्वदलीय बैठक बुलाएंगे और प्रयास करेंगे कि सभी दल इस मुद्दे पर सहमत हों। वहीं भाजपा की ओर से इस संबंध में कोई ठोस पहल नहीं किए जाने के बाद अब यह टलता नजर आ रहा है। हालांकि हाल ही में नीतीश कुमार ने यह विश्वास व्यक्त किया था कि उनकी साझेदार भाजपा के नेतागण भी इस मुद्दे पर अपनी सहमति देंगे। परंतु अभी तक न तो भाजपा ने जातिगत जनगणना को अपनी सहमति दी है और ना ही इसके लिए सर्वदलीय बैठक की घोषणा की गई है। इस बीच राजनीतिक घटनाएं भी घटित हुई हैं। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने घोषणा की थी कि यदि जातिगत जनगणना के सवाल पर भाजपा तैयार नहीं होती है तो राजद जदयू को अपना समर्थन दे सकती है। हालांकि उनके इस बयान को स्पष्ट करते हुए राजद के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने कहा कि जदयू को समर्थन देने का मतलब यह नहीं है कि राजद सरकार में शामिल होगी। यह एक ऐसे मुद्दे को समर्थन देने का मामला है, जिससे राज्य के बहुसंख्यक वर्गाें को फायदा होगा।
कांग्रेस ने महिलाओं को दी 40 फीसदी हिस्सेदारी
उत्तर प्रदेश में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस ने इस बार के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर 40 फीसदी सीटों पर महिलाओं को प्रत्याशी बनाने की घोषणा की है। इसके तहत कांग्रेस द्वारा उम्मीदवारों की पहली सूची बीते 13 जनवरी, 2020 को ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन के जरिए जारी किया गया। इस क्रम में कांग्रेस ने उन्नाव बलात्कार व हत्याकांड में मृतका की मां आशा देवी को भी उम्मीदवार बनाया है। बताते चलें कि घोषित तौर पर महिलाओं को हिस्सेदारी दिए जाने की यह पहली पहल है और सोशल मीडिया पर कांग्रेस के इस पहल की तारीफ की जा रही है।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के युवा शोधार्थी देवी प्रसाद को एम. एन. श्रीनिवास सम्मान
फारवर्ड प्रेस को लेखकीय सहयोग देनेवाले हैदराबाद विश्वविद्यालय में समाजशास्त्र संकाय के युवा शाेधार्थी देवी प्रसाद को प्रतिष्ठित एम. एन. श्रीनिवास सम्मान देने की घोषणा की गई है। देवी प्रसाद को यह सम्मान उनके शोधपत्र के लिए दिया गया है, जिसका शीर्षक है– “कास्ट आइडेंटिटी एंड कम्युनिटी फीस्ट अमॉंग यादवाज : एन इंटरप्रेटेशन”। उनका यह शोधपत्र राउटलेज पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक “कास्ट एंड जेंडर इन कंटेंपररी इंडिया : पावर, प्रिविलेज एंड पॉलिटिक्स” में संकलित है। इस किताब का संपादन सुपर्णा बनर्जी और नंदिनी घोष ने किया है।
(संपादन : अनिल)
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