आगामी 1 जून को बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर सर्वदलीय बैठक का आह्वान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया है। इसके पहले यह बैठक 27 मई को आहूत की गयी थी। लेकिन सूबे में सत्ता में साझेदार भाजपा की तरफ से सहमति नहीं दिये जाने के कारण इसे लेकर सियासी कयासबाजियों का दौर जारी था। हालांकि अब भी यह स्पष्ट नहीं है कि भाजपा सर्वदलीय बैठक में शामिल होगी या नहीं होगी। जबकि इस मामले में नीतीश कुमार ने भाजपा का नाम लिये बिना कहा है कि पहले अनेक दलों की ओर से सर्वदलीय बैठक के बारे में सहमति नहीं दी गई थी, इसलिए बैठक को 1 जून को रखे जाने का निर्णय लिया है। उन्होंने उम्मीद व्यक्त की है कि सभी दल सूबे में जातिगत जनगणना के सवाल पर एकमत होंगे। वहीं प्रदेश भाजपा की ओर से बड़े नेताओं ने इस संबंध में चुप्पी नहीं तोड़ी है। लिहाजा यह कहना अतिश्योक्ति नहीं कि परदा गिरना अभी बाकी है।
उड़ीसा सरकार भी बिहार सरकार के रास्ते पर, केंद्र कराए जातिगत जनगणना नहीं तो राज्य सरकार खुद कराएगी जनगणना
अन्य पिछड़ा वर्ग को वाजिब हिस्सेदारी मिले, इसके लिए जातिगत जनगणना जरूरी है। उड़ीसा सरकार ने इस मामले में केंद्र सरकार को दो टुक भाषा में कह दिया है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2020 में ओबीसी आरक्षण के संदर्भ में दिये गये निर्देश के आलाेक में ऐसा किया जाना आवश्यक है। बीजू जनता दल के राज्यसभा सांसद अमर पटनायक ने बीते 25 मई, 2022 को एक बयान में ये बातें कही। उन्होंने कहा कि उड़ीसा में सत्तासीन उनकी पार्टी की सरकार ने पहले ही केंद्र सरकार के समक्ष यह मसला रखा है कि केंद्र जातिगत जनगणना कराये। यदि वह नहीं करायेगी तो राज्य सरकार उड़ीसा पिछड़ा वर्ग आयोग के माध्यम से यह काम कराएगी। उन्होंने कहा कि पहले राज्य सरकार ने इसके लिए मई, 2022 तक का लक्ष्य रखा था, लेकिन कोविड महामारी की वजह से इसे टालना पड़ा। अब जल्द ही इसके लिए नयी तारीख की घोषणा की जाएगी।
प्रो. रविकांत से मिलने पहुंचे चंद्रशेखर, पुलिस को सात दिनों का दिया अल्टीमेटम
लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. रविकांत के उपर हमला और मुकदमे के विरोध में भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर कल 26 मई, 2022 को उनसे मिलने पहुंचे। उनके आगमन के पहले विश्वविद्यालय को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया था। इस मौके पर जब चंद्रशेखर प्रो. रविकांत से उनके आवास पर मुलाकात कर रहे थे तब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य विरोध में नारे लगा रहे थे, जिन्हें भीम आर्मी के सदस्यों के विरोध के कारण भागना पड़ा।

प्रो. रविकांत ने दूरभाष पर जानकारी दी कि चंद्रशेखर जब उनसे मिलने उनके आवास पर पहुंचे तब स्थानीय पुलिस अधिकारी भी मौजूद रहे। इस अवसर पर चंद्रशेखर ने यह सवाल उठाया कि उनके (प्रो. रविकांत के) के द्वारा की गयी शिकायत को एफआईआर के रूप में दर्ज कर आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई? उन्होंने स्थानीय पुलिस अधिकारियों से कहा कि यदि सात दिनों के अंदर प्राथमिकी दर्ज कर कार्रवाई नहीं की गई तो भीम आर्मी पूरे सूबे में आंदोलन करने को बाध्य होगी। इस मौके पर भंते सुमित रत्न सहित बड़ी संख्या में भीम आर्मी समर्थक जुटे थे।
महराष्ट्र : भाजपा नेता ने सुप्रिय सुले को दी घर में रहकर रोटी बनाने की सलाह
महाराष्ट्र में पंचायती राज निकयों में ओबीसी को आरक्षण मिले, इसके लिए राजनीतिक प्रदर्शन किये जा रहे हैं। चूंकि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में है, इसलिए वह भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रही है। बीते 26 मई को मुंबई में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सांसद सुप्रिया सुले पर अपमानजनक टिप्पणी की।
हालांकि यह पहली बार नहीं है कि राजनीति के क्षेत्र में काम करनेवाली महिलाओं के लिए इस तरह की टिप्पणियां की गई हैं। चंद्रकांत पाटील ने कहा कि सुप्रिया सुले को घर में बस जाना चाहिए और रोटियां बनानी चाहिए। पाटील ने यह टिप्पणी एक राजनीतिक कार्यक्रम के मौके पर कही जो कि महाराष्ट्र में पंचायती चुनाव में ओबीसी आरक्षण की मांग को लेकर आयोजित था। पाटील को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की राज्य महिला प्रकोष्ठ की अध्यक्ष विद्या चव्हाण ने जवाब दिया है। उनका जवाब बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने जवाब में कहा कि “हम जानते हैं कि आप मनुस्मृति में विश्वास करते हैं, लेकिन हम अब चुप नहीं रहेंगे।”
वहीं विरोध बढ़ने पर चंद्रकांत पाटील ने अपने बचाव में कहा है कि उन्होंने सुप्रिया सुले पर कोई व्यक्तिगत आक्षेप नहीं लगाया है। वे विरोध प्रदर्शन के दौरान स्थानीय भाषा में अपने दल के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।
यूपी में अखिलेश ने परिवारवाद के बदले निभायी जयंत के साथ यारी
इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में सपा नेता अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी की जुगलबंदी खासा चर्चा में थी। हालांकि सपा गठबंधन बहुमत नहीं प्राप्त कर सकी और जाट बहुल क्षेत्रों में भी उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी, इसके बावजूद अखिलेश यादव ने राजनीतिक “यारी” को निभाते हुए सपा के कोटे से जयंत चौधरी को राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाया है। इसके साथ ही सपा ने निर्दलीय उम्मीदवार कपिल सिब्बल को भी सर्मथन दिया है। इसे लेकर अखिलेश विरोधियों के निशाने पर हैं। हालांकि पहले यह चर्चा सुर्खियों में रही कि इस बार भी अखिलेश अपनी पत्नी डिंपल यादव को राज्यसभा भेजेंगे। परंतु, यह महज कयासबाजी साबित हुई और तीसरे उम्मीदवार के रूप में सपा ने पूर्व राज्यसभजावेद अली खान का नाम घोषित किया है।
(संपादन : अनिल)
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