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झारखंड में 1932 के खतियान संबंधी विधेयक को नौवीं अनुसूची में शामिल कराने का प्रस्ताव पारित

बहुजन साप्ताहिकी के तहत इस बार पढ़ें भूमिहीन दलित-बहुजनों द्वारा एक-एक एकड़ जमीन की मांग को लेकर गोरखपुर में हुए रैली व बिहार में हाल में जहरीली शराब कांड के उद्भेदन के बारे में

बहुजन साप्ताहिकी

झारखंड में राज्य सरकार ने गत 23 दिसंबर, 2022 को विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया। प्रस्ताव 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता के पहचान के संबंध में था। राज्य सरकार के भूमि व राजस्व मंत्री आलमगीर आलम ने शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन यह प्रस्ताव पेश किया कि केंद्र सरकार झारखंड विधानसभा द्वारा यथा पारित विधेयक को संविधान की नौवीं अनुसूची में डाले। इस प्रस्ताव का भाजपा के सदस्यों ने जमकर विरोध किया। हालांकि सत्ता पक्ष के सदस्यों ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया।

दरअसल, नौवीं अनुसूची में शामिल किये जानेवाले विधेयकों को न्यायिक संरक्षण प्राप्त होता है, जिसके कारण ऐसे विधेयकों की समीक्षा न्यायालयों द्वारा नहीं की जाती है। मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि राज्य सरकार ने झारखंड के मूलवासियों के हितों की रक्षा के लिए अपनी ओर से पहल कर दी है। अब यह केंद्र सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इसे नौवीं अनुसूची में डालने के लिए पहल करे, जैसा कि 1993 में तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित आरक्ष्ण से संबंधित विधेयक को नौवीं अनुसूची में डाल दिया गया था। बताते चलें कि इसी विधेयक के कारण तमिलनाडु में दलित, पिछड़ों और आदिवासियों को वहां 69 फीसदी आरक्षण का लाभ मिलता है।

बिहार : जहरीली शराबकांड का होमियोपैथी डाक्टर निकला मास्टरमाइंड, गिरफ्तार

बीते पखवारे में छपरा जिले के तीन प्रखंडों में जहरीली शराब के कारण 72 लोगों की मौत हो गई। इस मामले में अपराधियों की पहचान और गिरफ्तारी बीते 23 दिसंबर, 2022 को कर ली गई। छपरा पुलिस द्वारा जारी बयान के मुताबिक राजेश सिंह नामक एक व्यक्ति इसका मास्टरमांड निकला। वह पेशे से होमियोपैथी चिकित्सक है और उसने ही स्पिरिट व अन्य केमिकल के जरिए शराब बनाने का अवैध धंधा जिला के स्तर पर बना रखा था। पुलिस के मुताबिक राजेश सिंह के अलावा उसके चार अन्य सहयोगियों संजय महतो, शैलेश राय, सोनू गिरि और अर्जुन महतो को गिरफ्तार कर लिया गया है।

गोरखपुर में जमीन पर अधिकार के लिए जुटे दलित-बहुजन

भूमिहीन दलितों, आदिवासियों और पिछड़ो को प्रति परिवार एक-एक एकड़ जमीन दिलाने के लिए दलित अधिकार रैली का आयोजन गत 17 दिसंबर, 2022 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में किया गया। इस क्रम में रैली आंबेडकर जन मोर्चा के मुख्य संयोजक श्रवण कुमार निराला के नेतृत्व में निकाली गई और जिला प्रशासन को मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा गया। रैली के उपरांत शहर के गोकुल अतिथि गृह सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम स्थल ललई सिंह यादव, पेरियार, डॉ. आंबेडकर, रामस्वरूप वर्मा, बिरसा मुंडा, जगदेव प्रसाद आदि बहुजन नायकों के पोस्टरों से सुसज्जित था। इसे पूर्व सासंद सह अनुसूचित जाति, जनजाति संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ के रास्ट्रीय अध्यक्ष उदित राज के अलावा अनेक गणमान्य लोगों ने संबोधित किया। 

गोरखपुर में रैली निकालते आंबेडकर जन मोर्चा के सदस्य

अपने संबोधन में उदित राज ने कहा कि केवल सवर्णो को गाली देकर दलितों की भीड़ इकट्ठा करना, व अन्य जातियों को दूसरी जातियों के खिलाफ भड़का कर राजनीति करना आसान है। लेकिन समाज के निम्न वर्गों की मूल समस्या जमीन पर काम करके अंबेडकर जन मोर्चा ने पूर्वांचल में एक क्रांति का बिगुल फूंक दिया है l उन्होंने यह कहा कि वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व नेता राहुल गांधी से बातचीत कर भूमिहीन दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों की इस मांग के बारे में बताएंगे ताकि यह मुद्दा केवल गोरखपुर तक सीमित न रहे।

वहीं मोर्चा के मुख्य संयोजक श्रवण निराला ने कहा कि भूमिहीन दलितों, पिछड़ों को एक-एक एकड़ ज़मीन देने का पूरा रोड मैप है l इसके लिए किसी की जमीन पर कब्जा करने की आवश्यकता नहीं है। बस नियमों के तहत ही जमीनें सरकार वितरित कर सकती है। इसके लिए सरकार को नीयत बनाने की आवश्यकता है। मसलन, सरकार इसके लिए पहले सीलिंग से फाजिल जमीन भूमिहीनों के बीच वितरित करे और यदि कम पड़े तो सरकार जमीन खरीद कर दे सकती है। ठीक वैसे ही जैसे सरकार सड़क व उद्योगपतियों के लिए जमीन खरीदती है।

रैली को संबोधित करते पूर्व सांसद उदित राज

वहीं, डॉ. संपूर्णानंद मल्ल ने कहा कि ज़मीन का यह आंदोलन नया नहीं है। हर बार आंदोलन को दबा दिया जाता रहा है। उन्होंने कहा कि भूमिहीनता सामाजिक अन्याय है। इसके उन्मूलन से ही सशक्त समाज की स्थापना हो सकती है। वरिष्ठ पत्रकार व साहित्यकार डॉ. सिद्धार्थ ने कहा कि भूमि का सवाल आज की तारीख में भी बड़ा सवाल है। लेकिन सरकारें भूमिहीनों को जमीन देना ही नहीं चाहती है। जबकि उसके पास पर्याप्त जमीन और पैसा उपलब्ध है। उन्होंने विस्तार से बताते हुए कहा कि भारत सरकार दलितों और आदिवासियों के लिए पृथक रूप से प्रावधानित स्पेशल कंपोनेंट प्लान का पैसा का उपयोग कर भूमिहीन दलित-बहुजनों को सरकार तीन-तीन एकड़ जमीन दे सकती है। इस प्लान का पैसा दलितों और आदिवासियों के लिए ही आवंटन किया जाता है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. अलख निरंजन ने कहा कि हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। लेकिन सच है कि 80 करोड़ लोग आज पांच किलो प्रति माह अनाज पर जिंदा हैं। यह स्थिति तब है जब भारतीय संविधान में आर्थिक न्याय और आर्थिक असमानता को दूर करने का प्रावधान किया गया है। लेकिन इसके बावजूद भी आर्थिक असमानता की खाई बढ़ती जा रही है। जबकि यह होना चाहिए था कि भारत का प्रत्येक नागरिकों को सम्मानजनक जीवन जीने के लिए आर्थिक संसाधन मुहैया हो। उन्होंने आगे कहा कि दलित आंदोलन ने भी पिछले दिनों आर्थिक मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया। इसलिए हमारी यह हालत बनी हुई है। एक एकड़ जमीन का मुद्दा हमारी अस्मिता से जुड़ा है, इज्जत से जुड़ा है। इस लड़ाई हम सभी भूमिहीनों को एकजुट होकर लड़ना पड़ेगा तभी सफलता मिलेगी।

(संपादन : अनिल)


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लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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