‘कैंसर वाला कैमरा’ से खींची तस्वीरों की अपनी कहानी है। और अनूठी भी! उसकी हरेक तस्वीरें जीवन का संदेश देती हैं। यह कैमरा है पत्रकार रवि प्रकाश का, जो पिछले दो सालों से लंग कैंसर (फेफड़ा में कैंसर) के चौथे चरण से जूझ रहे हैं। कैंसर की भयावहता के बावजूद उन्होंने अपनी जिंदगी को नई रफ्तार दी है। वे जिंदादिली से अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं और एक मिसाल बनकर समाज के सामने खड़े हैं।
दरअसल, ‘कैंसर वाला कैमरा’ रवि प्रकाश के द्वारा अपने इलाज के दौरान मोबाइल से उतारी गईं तस्वीरों का संग्रह है, जिसके चैरिटी प्रदर्शनी का पहला संस्करण बीते 16-18 अप्रैल, 2023 को रांची प्रेस क्लब में लगाया गया। जिसे लोगों ने खूब सराहा। प्रदर्शनी में बड़ी संख्या में आए लोगों ने तस्वीरें देखीं और खरीदीं। इनमें राज्य सरकार के मंत्री, विधायक, सामाजिक कार्यकर्तागण भी शामिल रहे। इस अवसर पर कैंसर को लेकर आपसी संवाद भी हुआ, जिसमें विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी। सरकार को और समाज को कैंसर को लेकर क्या करना चाहिए, इसपर भी बात हुई।
रवि प्रकाश के द्वारा खींची गयी तस्वीरों में जहां कश्मीर के गुलमर्ग की हरियाली आकर्षित करती है तो वहीं गोवा बीच की तस्वीरें यह बतलाती है कि जीवन में रंग होना चाहिए। हर क्षण जीवन में लय को बनाए रखना चाहिए। उनके द्वारा अपने इलाज के दौरान जब कभी मौका लगा कैंसर के संग लड़ते हुए भरपूर जीवन जीने की कोशिश की गई।
एक पहाड़िया महिला की तस्वीर के बारे में बोलते हुए रवि प्रकाश ने बताया कि झारखंड के मंडरो (साहेबगंज) फॉसिल्स पार्क के निकट के एक गांव की यह पहाड़िया महिला घोर अभाव में जीवन जी रही थी। जब वे मिले तो केवल भात और जंगली साग खा रही थीं। बावजूद उनके चेहरे पर एक निश्चल और सुकून वाली मुस्कान थी। इसका मतलब यह था कि अभावों से जीवन की खुशी को कम नहीं होने देना चाहिए और जीवन को भरपूर जीना चाहिए। ऐसी ही एक लड़की की तस्वीर जो हॉकी खिलाड़ी निक्की प्रधान के गांव हेसल की हॉकी खेलती लड़की की है, के बारे में बताया कि उसके पैरों में जूते नहीं थे। वह तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों में हॉकी खेलती रही। उसने अपने हौसले को कम नहीं होने दिया। वह बाद में हॉकी खेलने अमेरिका गयी। यह तस्वीर बताती है कि अपने लक्ष्य को लेकर अडिग रहना चाहिए, तभी सफलता मिलेगी। वहीं साउथ गोवा बीच पर की एक ठूंठ वाली तस्वीर किसी भी हाल में अपने वजूद को बचाए रखने की प्रेरणा देती है कि जीवन आसानी से खत्म नहीं हो जाता। ठसक के साथ खड़ा वह ठूंठ यही कहता है।
रवि प्रकाश ने इस प्रदर्शनी के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि इस दौरान लगाई गईं कुल 60 में से 40 तस्वीरें बिकीं। इनसे करीब ढाई लाख रुपए की प्राप्ति हुई। इसमें से दस प्रतिशत राशि रांची प्रेस क्लब के फंड में दिया गया। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह की प्रदर्शनी वे कोलकाता और मुंबई में भी लगाएंगे। आपने यह प्रदर्शनी क्यों लगाई, पूछने पर रवि प्रकाश ने कहा कि इसके दो मकसद हैं। पहला तो यह कि लोग कैंसर के बारे में जानें व सचेत रहें। यदि कैंसर जैसी बीमारी हो जाय तो वे निराश न हों। दूसरा मकसद यह रहा कि इससे होनेवाली आय का इस्तेमाल अपने इलाज के लिए कर सकूं।
प्रदर्शनी में लगाई गईं तस्वीरों को देखकर ऐसा महसूस हुआ कि हम कश्मीर की वादियों के बीच घूम रहे हों। जहां की बर्फीली चादरें, पाइन ट्री और पहाड़ों की अदभुत खूबसूरती अपनी ओर खींच लेगा। मुगल गार्डन की तस्वीरों को देखकर लगा कि अभी वहां चल चलें। ऐसे ही समुद्र के बीच डूबते और उगते सूर्य की मनमोहक तस्वीरों को देखकर यह जान पाएंगे कि जीवन का अंत और आरंभ भी तय है। ऐसी तस्वीरें जीवन चक्र का संदेश देती हैं।
इनके बारे में रवि प्रकाश ने कहा कि बीमारी (कैंसर) जीवन पर ब्रेक नहीं लगा सकती, बस अपने ऊपर किसी भी प्रकार की नकारात्मकता हावी नहीं होने दें। अपना काम करते रहें, जीवन में रंग भरते रहें। साथ ही, उन्होंने यह जानकारी भी दी कि उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर उन्हें कैंसर को अधिसूचित बीमारी के रूप में शामिल करने का अनुरोध किया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। रवि प्रकाश ने कहा कि इससे राज्य के कैंसर रोगियों को लाभ मिलेगा।
(संपादन : राजन/नवल)
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