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मध्य प्रदेश में आदिवासी नेता ने 78 जोड़ों की करायी शादी, सभी को दिये प्लॉट

आदिवासी न्यूज राऊंड-अप के तहत इस बार पढ़ें नागपुर के अंकुश गेडाम और नागालैंड की एंड्रिया केविचुसा की सफलता की खबरों के अलावा नंदकुमार साय के भाजपा छोड़ कांग्रेस में जाने की वजह

आदिवासी न्यूज राऊंड-अप

मध्य प्रदेश में इस साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव होने हैं। ऐसे में आदिवासियों सहित तमाम दलित-बहुजनों और अन्य वंचित समुदायों के बीच पैठ बनाने के लिए प्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार बड़े जोरशोर से सामूहिक विवाहों का आयोजन कर रही है। लेकिन गत 2 मई, 2023 को बेतूल जिले में अखिल गोंडवाना महासभा के द्वारा आयोजित गोंडवाना मड़मीग (विवाह) भू-दान महासम्मेलन के आगे मुख्यमंत्री कन्या विवाह का आयोजन फीका पड़ गया। कारण यह रहा कि इस सामूहिक विवाह महासम्मेलन में शामिल हुए सभी 78 आदिवासी जोड़ों को गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के बेतूल जिलाध्यक्ष हेमंत सरियाम द्वारा 750 वर्ग फीट का प्लॉट दिया गया। हेमंत सरियाम द्वारा जिस इलाके में प्लॉट दिये गये हैं, वहां राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य के हिसाब से एक प्लॉट की कीमत 3 लाख 85 हजार रुपए है। 

ध्यातव्य है कि इसी दिन बेतूल में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत 2135 जोड़ों का सामूहिक विवाह भी संपन्न हुआ। इस योजना के तहत विवाहित जोड़ों को गृहस्थी बसाने हेतु सरकार की तरफ से केवल 38 हजार रुपए के सामान एवं 11 हजार रुपए चेक के जरिए दिए जाते हैं।

हेमंत सरियाम ने बताया कि “इस सामूहिक विवाह भूदान महासम्मेलन का आयोजन गोंडवाना परंपरा और व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक पहल है। इस तरह का आयोजन दो-तीन साल में एक बार किया जाता है। इस आयोजन के पीछे हमारा उद्देश्य अपनी संस्कृति और परंपरा को जिंदा रखना है। हमारे अपने कायदे-कानून भी हैं, जिन्हें संविधन में भी मान्यता दी गई है। हम आदिवासी अपनी पारंपरिक कानून (रूढ़ि व्यवस्था) के तहत संचालित होते हैं। हम जितना अपनी परंपरा और व्यवस्था को बढ़ावा देंगे, उतनी ही हमारी व्यवस्थाएं मजबूत होंगी। जो मध्य प्रदेश सरकार सामूहिक विवाह योजनाएं चला रही है यह उसके समानांतर है। लेकिन हमारा कार्यक्रम शासन से बेहतर होना चाहिए, यह हमारा प्रयास रहता है। अन्य पार्टियां चुनाव में बहुत पैसा खर्च कर लोगों को आकर्षित करती हैं, या शासन की योजना के तहत विवाहित जोड़ों को थोड़ी-सी राशि मिल जाती है, उससे उनका जीवन नहीं चलता है। यहां जमीन का महत्व है और इससे विवाहित जोड़ों का जीवन और मजबूत हो जाता है। हम लोग अपने लोगों के साथ पूरे जीवनभर के लिए जुड़े हैं, सिर्फ चुनाव भर के लिए नहीं, इसलिए हम लोग ऐसा करते हैं और हम तन, मन और धन से एक-दूसरे के साथ जुड़े हैं।  इससे हमारा अपने लोगों के साथ मजबूत संबंध बनता है।”

नवविवाहित जोड़ों के साथ हेमंत सरियाम (सबसे अंतिम कतार में बाएं से दूसरे)

उन्होंने बताया कि मड़मीग गोंडी भाषा का शब्द है, जिसे हिंदी में ‘विवाह करना’ कहते हैं। इस कार्यक्रम के लिए 100 आदिवासी जोड़ों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन 78 जोड़े इस सम्मेलन में शामिल हुए। 

डिंडौरी जिले में मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना में शामिल लड़कियों के प्रेगनेंसी टेस्ट मामले में उन्होंने कहा कि यदि अधिकारियों को ऐसा लगता है कि पहले से शादीशुदा जोड़े सामूहिक विवाह में शामिल हो रहे हैं तो उन्हें कार्यक्रम से पहले जांच कर लेनी चाहिए। शादी के समय ऐसे जांच करना विवाह में शामिल जोड़ों का अपमान है। इस तरह से पूरा समाज अपमानित महसूस करता है।

डांस करते वीडियो शूट किया और अंकुश गेडाम को बना दिया ‘झुंड’ का डॉन

गत 27 अप्रैल, 2023 को 68वें फिल्मफेयर अवार्ड में दो आदिवासी सितारों – अंकुश गेडाम और एंड्रिया केविचुसा – को क्रमशः फिल्म ‘झुंड’ के लिए बेस्ट डेब्यू मेल अवॉर्ड और फिल्म ‘अनेक’ के लिए बेस्ट डेब्यू फीमेल अवार्ड दिया गया। फिल्मफेयर अवार्ड में अन्य सितारों को भी अवार्ड मिले, लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में ये दोनों आदिवासी सितारे ही रहे। वजह यह कि दोनों ने गरीबी और पिछड़े क्षेत्रों की समस्याओं से लड़कर यह मुकाम हासिल किया। 

‘झुंड’ के एक दृश्य में अंकुश गेडाम

अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘झुंड’ में डॉन नाम का किरदार निभाने वाले अंकुश गेडाम गोंड आदिवासी समुदाय से हैं। अंकुश गेडाम को मिले फिल्मफेयर अवार्ड की चर्चा हर तरफ हो रही है। अंकुश का कुछ समय पहले तक फिल्म और अभिनय से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। फिल्म ‘झुंड’ के डायरेक्टर नागराज मंजुले के भाई भूषण मंजुले ने अंकुश को रोड पर डांस करते देखा और उनका वीडियो शूट करके नागराज मंजुले को भेज दिया। नागराज ने वह वीडियो देखा और अंकुश को फिल्म ‘झुंड’ का ‘डॉन’ बना दिया। फिल्म में आने से पहले अंकुश गेडाम पुलिस भर्ती की तैयारी कर रहे थे। अंकुश का जीवन गरीबी और संघर्षों के बीच गुजरा है, ऐसे में अंकुश का जीवन भी किसी फिल्म से कम नहीं है।

और छा गयीं नागालैंड की एंड्रिया केविचुसा 

फिल्म ‘अनेक’ के लिए फिल्मफेयर बेस्ट डेब्यू फीमेल अवार्ड जीतने वाली नागालैंड की एंड्रिया केविचुसा ‘अंगामी नागा’ आदिवासी समुदाय से हैं। एंड्रिया केविचुसा का फिल्मी सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है। पूर्वोत्तर भारत के नागालैंड से निकलकर मायानगरी मुंबई में अपनी पहचान बनाने में एंड्रिया केविचुसा ने काफी संघर्ष किया है। उन्होंने अपने फिल्मी जीवन की शुरूआत साल 2022 में आयुष्मान खुराना के साथ फिल्म ‘अनेक’ से की। 

मॉडल व अदाकारा एंड्रिया केविचुसा

बताते चलें कि एंड्रिया ने वर्ष 2016 में 15 साल की उम्र में मॉडलिंग की शुरूआत की तथा सब्यासाची मुखर्जी सहित कई अन्य फैशन डिजाइनरों के साथ काम किया। वह कैटरीना कैफ की कंपनी ‘के ब्यूटी’ के सौदर्य प्रसाधन उत्पादों के लिए मॉडलिंग भी कर चुकी हैं। इसके अलावा वह कई ब्यूटी पेजेंट में भी हिस्सा ले चुकी हैं। उन्होंने कई टेलीविज़न विज्ञापन भी किए और प्रसिद्ध पत्रिकाओं के कवर में भी दिखाई दीं। उन्हें मई 2022 संस्करण में फिल्मफेयर पत्रिका के कवर पेज पर छापा गया। वह नागालैंड की पहली अभिनेत्री बनीं, जिन्हें इस पत्रिका के कवर पेज पर चित्रित किया गया था। एंड्रिया केविचुसा का जन्म वर्ष 2001 में नागालैंड के कोहिमा में हुआ था। उनके पिता अंगामी नागा समुदाय से हैं, जबकि मां आओ नागा समुदाय की हैं। एंड्रिया ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई कोहिमा से की हैं। 

कांग्रेस के हो गए नंदकुमार साय 

छत्तीसगढ़ में बड़ा राजनीतिक आदिवासी चेहरा माने जानेवाले नंदकुमार साय भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से इस्तीफा देकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए हैं। चूंकि इस साल के अंत तक राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में यह भाजपा के लिए एक बड़ा नुकसान के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं कांग्रेस पार्टी इसे एक अवसर के रूप में देख रही है। गत 30 अप्रैल, 2023 को जारी अपने बयान में साय ने आरोप लगाया कि भाजपा के नेताओं द्वारा ही मेरी छवि धूमिल करने के उद्देश्य से मिथ्या आरोप लगाकर मेरी गरिमा को ठेस पहुंचाया जा रहा है। वहीं कांग्रेस में शामिल होने की वजह उन्होंने कांग्रेस सरकार के जनहितैषी कार्यों से प्रभावित होने को बताया। 

नंदकुमार साय को सदस्यता दिलाते मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम

नंदकुमार साय को खुद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कांग्रेस की सदस्यता दिलाई और इसके बाद ट्वीट किया कि “जुड़ा हाथ से हाथ, मिला आपका साथ। भरोसे के साथ जारी है आदिवासी हित की बात। स्वागत है डॉ. नंदकुमार साय जी। हाथ से हाथ जोड़ो … जारी है …”। वहीं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता रमन सिंह ने साय के कांग्रेस में शामिल होने पर कहा कि “भाजपा पार्टी ने उन्हें हमेशा सम्मान दिया। चाहे वह राष्ट्रीय स्तर पर हो या राज्य स्तर पर। उसके बाद भी उन्होंने अपना निर्णय लिया है। वरिष्ठ नेता हैं, राजनीति में सबकुछ जानते-समझते हैं। नए दल में जा रहे हैं मैं अपनी ओर से शुभकामनाएं व्यक्त करता हूं।” 

नंदकुमार साय चार बार सांसद (तीन बार लोकसभा तथा एक बार राज्यसभा) और तीन बार विधायक रह चुके हैं। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य के बनने के बाद पहली विधानसभा के वे पहले नेता प्रतिपक्ष बनाए गए थे। वे अविभाजित मध्य प्रदेश में वर्ष 1997 से 2000 तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे, वहीं वर्ष 2003 से 2005 तक छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। माना जाता है कि छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद यहां भाजपा को खड़ा करने तथा संगठन को मजबूत बनाने में साय की महत्वपूर्ण भूमिका थी, लेकिन इन्हें साजिश के तहत छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया गया। साय तबसे ही निराश थे, और इस निराशा को उन्होंने मीडिया में कई बार जाहिर भी किए थे। हालांकि 2017 में उन्हें राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त कर उन्हें खुश करने की कोशिश की गई, लेकिन वे अपनी प्रभाव क्षमता के अनुसार भाजपा में अपनी भूमिका को लेकर अक्सर निराश रहते थे। 

(संपादन : नवल/अनिल)


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लेखक के बारे में

राजन कुमार

राजन कुमार फारवर्ड प्रेस के उप-संपादक (हिंदी) हैं

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