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कांग्रेस के घोषणापत्र में दिखी सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता

कांग्रेस ने आरक्षण को लेकर एक अहम प्रतिबद्धता के बारे में कहा है कि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं गरीब सामान्य वर्ग को मिलने वाले आरक्षण पर 50 प्रतिशत का कैप हटाएगी। साथ ही, वह हर जिले में आंबेडकर भवन-सह-पुस्तकालय भी खोलेगी। उसका यह वादा उत्तर प्रदेश में अर्जक संघ के संस्थापक रामस्वरूप वर्मा की याद दिलाती है।

लोकसभा चुनाव-2024 के लिए कांग्रेस ने घोषणापत्र जारी कर दिया है। कुल 48 पन्ने के घोषणापत्र को कांग्रेस ने ‘न्याय पत्र 2024’ की संज्ञा दी है। खास बात यह कि इस घोषणापत्र में हाल ही में पार्टी में अधिक स्वीकार हुए सामाजिक न्याय के महत्व और संभवत: इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बढ़ते प्रभाव को सहज ही देखा जा सकता है। मसलन, घोषणापत्र के प्रारंभ में ही कहा गया है कि “कांग्रेस पार्टी पिछले सात दशकों से समाज के पिछड़े, वंचित, पीड़ित और शोषित वर्गों एवं जातियों के हक और अधिकार के लिए सबसे अधिक मुखरता के साथ अवाज उठती रही है। कांग्रेस लगातार उनकी प्रगति के लिए प्रयास करती रही है। लेकिन जाति के आधार पर होनेवाला भेदभाव आज भी हमारे समाज की हकीकत है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग इस देश की आबादी के लगभग 70 प्रतिशत हैं; लेकिन अच्छी नौकरियों, अच्छे व्यवसायों और ऊंचे पदों पर उनकी भागीदारी काफी कम है। किसी भी आधुनिक समाज में जन्म के आधार पर असमानता, भेदभाव, और अवसर की कमी बर्दाश्त नहीं होनी चाहिए।”

सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दर्शाते हुए कांग्रेस ने सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दी है। उसने कुल 23 कार्यक्रमों की सूची प्रस्तुत की है। इसमें सबसे पहले यह कि कांग्रेस राष्ट्रव्यापी आर्थिक-सामाजिक जातिगत जनगणना करवाएगी। इसके माध्यम से कांग्रेस जातियों, उपजातियों, और उनकी आर्थिक, सामाजिक स्थिति का पता लगाएगी। जनगणना से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर कांग्रेस उनकी स्थिति में सुधार के लिए सकारात्मक कदम उठाएगी।

इसके बाद कांग्रेस ने आरक्षण को लेकर एक अहम प्रतिबद्धता के बारे में कहा है कि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं गरीब सामान्य वर्ग को मिलने वाले आरक्षण पर 50 प्रतिशत का कैप हटाएगी। ज्ञातव्य है कि 1993 में मंडल कमीशन की अनुशंसाओं को लागू करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की सीमा पर 50 प्रतिशत की सीमा तय कर दी थी।

हालांकि कांग्रेस ने भाजपा के आर्थिक आधार पर आरक्षण यानी गरीब सवर्णों के (ईडब्ल्यूएस) के लिए नौकरियों एवं उच्च शिक्षा में दस प्रतिशत आरक्षण को खारिज नहीं करने की बात कही है। लेकिन उसने यह जरूर कहा है कि यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो यह 10 प्रतिश्त आरक्षण को बिना किसी भेदभाव के वह सभी जाति और समुदायों के लिए लागू कराएगी। हालांकि इसके लिए एक और संवैधानिक संशोधन की आवश्यकता होगी ताकि अन्य समुदायों को भी इसका लाभ मिल सके। इसी संबंध में एक और अहम वादा करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित सभी वर्गों को एक साल के भीतर भरेगी। ध्यातव्य है कि कांग्रेस के नेता राहुल गांधी अपने भाषणों में ग्रुप ए, ग्रुप बी और ग्रुप सी की नौकरियों में इन वर्गों की अपर्याप्त भागीदारी को लेकर सवाल उठाया है।

घोषणापत्र जारी करते मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, पी. चिदंबरम, राहुल गांधी, के.सी. वेणुगोपाल

इसी तरह कांग्रेस ने सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों में संविदा के आधार पर भर्तियों को लेकर अहम घोषणा की है। उसने कहा है कि वह संविदा की जगह नियमित भर्तियां करेगी और अभी जो संविदाकर्मी हैं, उनका नियमितीकरण करेगी।

सरकारी नौकरियों व उच्च शिक्षा में भागीदारी के अलावा कांग्रेस ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों के अन्य मुद्दों जैसे उनके घर, रोजगार, भूमिहीनता के संबंध में भी वायदे किए हैं। मसलन उसने कहा है कि वह घर बनाने और व्यवसाय शुरू करने के लिए इन वर्गों के लोगों को मिलनेवाले लोन की सीमा को बढ़ाएगी। इसके साथ ही उसने भूमिहीनों को जमीन वितरित करने का वादा भी किया है।

सरकारी ठेकेदारी में अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों की अधिक से अधिक भागीदारी हो, इसके लिए उसने सार्वजनिक खरीद नीति का दायरा बढ़ाने की बात कही है। 

ऐसे ही अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति व पिछड़ा वर्ग के छात्रों को मिलनेवाले वजीफे को दोगुना करने, विशेष रूप से उच्च शिक्षा के लिए अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति समुदाय के छात्रों को विदेशों में पढ़ने में मदद करने तथा पीएचडी छात्रवृत्ति की संख्या को दोगुनी करने की बात कही गई है। एक अहम घोषणा यह भी कि उसने प्रखंड स्तर पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्र-छात्राओं के लिए आवासीय विद्यालयों का निर्माण कराएगी।

कांग्रेस ने यह पहली बार अपने घोषणपत्र में कहा है कि वह सामाजिक न्याय का संदेश फैलानेवाले समाज सुधारकों की जीवनी और उनके कार्यों को विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में शामिल करेगी। उसका यह वादा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले दस सालों में भाजपा सरकार ने हिंदुत्व व वर्चस्ववाद के संपोषकों की जीवनियों को पाठ्यक्रमों में शामिल करने का हरसंभव प्रयास किया है। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने यह भी कहा है कि वह हर जिले में आंबेडकर भवन-सह-पुस्तकालय भी खोलेगी। उसका यह वादा उत्तर प्रदेश में रामस्वरूप वर्मा की याद दिलाती है, जिन्होंने चौधरी चरण सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में वित्त मंत्री रहते हुए पूरे उत्तर प्रदेश में इस तरह की योजना की शुरुआत की थी।

सामाजिक न्याय के तहत ही कांग्रेस ने संविधान के अनुच्छेद 15(5) के संदर्भ में एक कानून बनाने की बात कही है ताकि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के छात्रों को निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण दिया जा सके।

अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए विशेष घटक योजना के लिए संसाधनों के आवंटन को अधिकृत करने और योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक कानून बनाने की बात भी कांग्रेस ने कही है। उसका यह वादा मौजूदा नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा इस संदर्भ में किए गए संशोधन के उलट है, जिसके कारण अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्गों के लिए विशेष घटक योजना के तहत आवंटित राशि का उपयोग दूसरे मदों में कर लिया जाता है।

अनुसूचित जनजातियों के लिए एक अहम घोषणा यह भी कि कांग्रेस सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में उन सभी बसाहटों को अनुसूचित क्षेत्र में अधिसूचित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जहां अनुसूचित जनजाति के लोग बहुसंख्यक हैं, लेकिन वर्तमान समय में वे अनुसूचित क्षेत्र से बाहर हैं।

कांग्रेस की ओर से हाथ से मैला उठाने की कुप्रथा पर रोक लगाने हेतु कारगर उपाय किए जाने की बात कही गई है। उसने कहा है कि ऐसा काम करनेवालों को दूसरे कार्यों के लिए कुशल बनाया जाएगा और उन्हें नौकरी प्रदान की जाएगी। उनके लिए सम्मानित और सुरक्षित जीवन सुनिश्चित किया जाएगा। साथ ही यह भी कहा गया है कि हाथ से मैला उठानेवाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम 2013 को सख्ती से लागू किया जाएगा और हाथ से मैला उठाने के काम पर रखनेवाले व्यक्ति को दंडित किया जाएगा। साथ ही नालियों व टंकियों की साफ-सफाई के लिए मशीनों के अधिकाधिक उपयोग की बात भी कही गई है। कांग्रेस द्वारा यह घोषणा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हर साल नालियों व टंकियों की सफाई के दौरान कर्मियों के बेमौत मारे जाने की खबरें आती रहती हैं। 

अनुसूचित जनजाति समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण वादा करते हुए कांग्रेस ने कहा है कि वह वनाधिकार अधिनियम 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन स्थापित करेगी। इसके लिए विशेष बजट, योजना व विभाग की स्थापना की जाएगाी। साथ ही उसने यह भी कहा है कि वह एक साल के भीतर सभी लंबित वनाधिकार दावों का निपटान सुनिश्चित करेगी और छह महीने के भीतर सभी अस्वीकृत दावों की समीक्षा के लिए एक प्रक्रिया बनाएगी। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने यह भी कहा है कि वह अनुसूचित जनजातियों के इलाकों में ग्राम सरकार और स्वायत्त जिला सरकार की स्थापना के लिए राज्यों में पेसा अधिनियम के अनुरूप कानून बनाएगी।

ऐसे ही विमुक्त और घुमंतू जनजातियों के बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करने के वादे के साथ कांग्रेस ने रेनके आयोग की सिफारिशों को लागू करने की बात कही है।

बहरहाल, कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में रोहित वेमुला का नाम भी उद्धृत किया है और कहा है कि वह शैक्षणिक संस्थानों में वंचित समुदायों के छात्रों के मध्य होनेवाले भेदभाव को रोकने के लिए रोहित वेमुला अधिनियम बनाएगी।

(संपादन : राजन/अनिल)


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लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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