घुमंतू लोगों का एक अंतर्राष्ट्रीय वेब सम्मेलन 17 नवंबर, 2024 को होने जा रहा है। इसका आयोजन वर्ल्ड रोमा कांग्रेस (डब्ल्यू आरसी) एवं डीएनटी पीपुल फ्रंट (डीपीऍफ़) द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है। इस सम्मलेन के एजेंडा में शामिल हैं– संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) को यूरोप के रोमा (घुमंतू) संगठनों के साथ मिलकर “एशियाई घुमंतू लोगों का दशक” मनाने के लिए राजी करना; भारत की विमुक्त जनजातियों (डीएनटी) को उनके संवैधानिक हक़ दिलवाने के लिए लोकतांत्रिक तरीके से यूएन से मदद हासिल करना; एशिया के घुमंतू (बंजारा) लोगों को समझने की लिए आधार सामग्री इकट्ठी करना, उनसे संबंधित आंकड़ों को व्यवस्थित रूप देना और ऐसे समुदायों से आने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बारे में जानकारी एकत्रित करना।
इस सम्मेलन का एक उद्देश्य देश भर के डीएनटी कार्यकर्ताओं को एक मंच पर लाना भी है ताकि वे अपने बीच की समानताओं और अंतरों को साझा कर सकें एवं राजनीतिक दलों व डीएनटी के सामाजिक समूहों के मदद से डीएनटी की मुक्ति के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्ययोजना तैयार की जा सके।
सम्मेलन के वक्ताओं में वर्ल्ड रोमा कांग्रेस के ग्रात्तों पुक्सों, भारत सरकार द्वारा नियुक्त विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों के लिए राष्ट्रीय आयोग के निदेशक (शोध) डॉ बी.के. लोधी; एशियन रोमा यूनियन, पंजाब, पाकिस्तान के अदनान मुश्ताक; आल-इंडिया डीएनटी डेवलपमेंट काउंसिल की लेथीकला कैलाश, तुर्की से कमाल वुराल तरलान और कीर कायक कुल्तुर व सेंटर फॉर रोमा स्टडीज एंड कल्चरल रिलेशंस, भारत के ज़मीर अनवर।
दुनिया में दो संस्थाएं घुमंतू लोगो के वैश्विक संगठन होने का दावा करती हैं। ये हैं– जर्मनी स्थित वर्ल्ड रोमा कांग्रेस और ब्राज़ील स्थित वर्ल्ड रोमा फेडरेशन। दोनों ने यूरोप के रोमा लोगों के लिए बहुत काम किया है। इनके कारण, रोमा लोगों की समस्याएं दुनिया के सामने आईं और उनके समाधान हुए। इसके साथ ही इन संगठनों ने जनसाधारण, समुदाय और नीति-निर्धारकों में रोमा लोगों के बारे में जागृति फैलाई। उन्होंने यूएन को 2005-2015 के दशक को ‘रोमा दशक’ घोषित करने के लिए राजी किया। इसके नतीजे में यूरोपीय देशों की सरकारों ने रोमा लोगों के कल्याण और विकास के लिए धन आवंटित किया। वे होलोकॉस्ट के रोमा पीड़ितों की व्यथा को लोगों के सामने लाने और जर्मनी के साथ चर्चा कर उनके मुआवजे में वृद्धि करवाने में सफल रहे। वर्ल्ड रोमा कांग्रेस ने एक नई प्रणाली का विकास किया है, जिसे वे ‘डेमोक्रेटिक ट्रांजीशन” कहती है। इसके अंतर्गत विभिन्न देशों में रहने वाले रोमा/घुमंतू/खानाबदोश लोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग के जरिये राजनीतिक प्रतिनिधित्व हासिल करने व मुद्दों और रणनीति को आकार देने हेतु मतदान में भाग लेना जैसे गैर-क्षेत्रीय रोमा राष्ट्र को मान्यता देने के लिए यूएन को राजी करने या किसी राज्य या देश के रोमा/घुमंतू/खानाबदोश लोगों की मिशन में लॉबीइंग की जाती है।
एशिया महाद्वीप में बंजारा/घुमंतू समुदायों की खासी विविधता है। एशिया के कई देशों में पशुपालक, खानाबदोश, वन्य एवं समुद्री घुमंतू समुदाय रहते हैं। इसके बाद भी घुमंतू लोगों की दोनों वैश्विक संस्थाओं ने अब तक इस इलाके में अपनी गतिविधियां शुरू नहीं की हैं। इसका कारण यह है कि इन संगठनों के ज़मीनी स्तर के प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं या संगठनों से सीमित कार्यकारी संबंध हैं। सामाजिक अथवा राजनीतिक आंदोलनों में भाग लेने वाले कार्यकर्ताओं की पहचान किया जाना जाना बाकी है।
भारत में सभी विमुक्त जनजातियां (डीएनटी), जिन्हें औपिनिवेशिक क्रिमिनल ट्राइब्स एक्ट के कारण प्रताड़ना का सामना करना पड़ा, घुमंतू नहीं हैं और ना ही सभी घुमंतू लोग, डीएनटी हैं। मगर सामान्य बातचीत की भाषा में डीएनटी शब्द में विमुक्त और घुमंतू जनजातियां दोनों शामिल होती हैं। भारत में परस्पर सामाजिक, विचारधारात्मक और राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, कार्यकर्ता एवं सामाजिक संगठन प्रशंसनीय काम कर रहे हैं। दूसरी ओर, नए उभरते शोधार्थियों, कानून के जानकारों और कार्यकर्ताओं को समुदायों की मान्यता हासिल नहीं हैं, क्योंकि वे आम डीएनटी लोगों से संबंध बनाने में असफल रहे हैं।
हमारे कुछ वकीलों ने आवश्यकतानुसार सरकारों के खिलाफ भी मुक़दमे दायर किये हैं। एक हालिया मुकदमा “विमुक्त/घुमंतू लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण हेतु योजना” को लागू करने में सरकार की विफलता के बारे में है। इस मामले में अदालत ने संबंधित विभाग को हलफनामा दाखिल करने को कहा है। मगर राजनीतिक परिपक्वता के अभाव के कारण विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठन अपने एक समान लक्ष्य हासिल करने के लिए एक मंच पर आने को तैयार नहीं है। कार्यकर्ता ऊंची जातियों के सत्ताधारियों के नज़दीक आने की जुगत में लगे रहते हैं और सतही कार्यक्रम लागू करते रहते हैं। दूसरी ओर सत्ताधारी, डीएनटी को गुमराह कर अपनी सत्ता का स्थायित्व सुनिश्चित करते रहते हैं।
डीएनटी के लिए किये जा रहे कामों को मजबूती देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर काम नहीं हुआ है। एशिया के स्तर पर भी डाटा का मिलान नहीं हुआ और आंदोलनों के कार्यकर्ताओं व नेताओं आदि का डाटा इकठ्ठा नहीं किया गया है। यूरोप के रोमा संगठनों के साथ रिश्ते मज़बूत करने के काम को शुरू किया जाना बाकी है। इस वेब सम्मलेन का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर रणनीतियों का विकास कर इन मुद्दों का समाधान करना है।
(मूल अंग्रेजी से अनुवाद : अमरीश हरदेनिया, संपादन : राजन/नवल/अनिल)
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