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साहित्‍य

रोज केरकेट्टा का साहित्य और उनका जीवन
स्वभाव से मृदु भाषी रहीं डॉ. रोज केरकेट्टा ने सरलता से अपने लेखन और संवाद में खड़ी बोली हिंदी को थोड़ा झुका दिया था। उसे अपने क्षेत्र की बोलियों की मिठास से जोड़ कलकल बहती...
भक्ति आंदोलन का पुनर्पाठ वाया कंवल भारती
आलोचक कंवल भारती भक्ति आंदोलन की एक नई लौकिक और भौतिक संदर्भों में व्याख्या करते हैं। इनका अभिधात्मक व्याख्या स्वरूप इनके पत्रकार व्यक्तित्व का ही परिणाम लगता है। अब तक भक्ति आंदोलन की जो व्याख्याएं...
सत्यशोधक पंडित धोंडीराम नामदेव कुंभार का धर्मचिंतन
पंडित धोंडीराम नामदेव कुंभार ने एक ऐसे विचारक के रूप में अपना बहुमूल्य योगदान दिया, जिन्होंने ब्राह्मणवादी श्रेष्ठता को अस्वीकार किया। संस्कृत भाषा और सनातन शास्त्रों पर उनकी पकड़ थी और नए युग के लिए...
जेर-ए-बहस : प्रसाद के अधूरे उपन्यास ‘इरावती’ का आजीवक प्रसंग जिसकी कभी चर्चा नहीं होती
जिस दौर में जयशंकर प्रसाद ने इन कृतियों की रचना की, वह भी सांस्कृतिक-राजनीतिक उथल-पुथल का था। आजादी की लड़ाई अपने अंतिम दौर में प्रवेश कर चुकी थी। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की आड़ में जातिवादी ताकतें...
जातिवाद और सामंतवाद की टूटती जकड़नों को दर्ज करती किताब
बिहार पर आधारित आलेख के लेखक का मानना है कि त्रिवेणी संघ के गठन का असर बाद में...
कुठांव : सवर्ण केंद्रित नारीवाद बनाम बहुजन न्याय का स्त्री विमर्श का सवाल उठाता उपन्यास
अब्दुल बिस्मिल्लाह का उपन्यास ‘कुठांव’ हमें यही बताता है कि बहुजन और पसमांदा महिलाओं का संघर्ष सिर्फ पुरुषों...
आंबेडकरवाद के अतीत और वर्तमान को समझाती एक किताब
यह किताब आंबेडकरवादी आंदोलन की दो तस्वीरें प्रस्तुत करती है। एक तस्वीर वह जो डॉ. आंबेडकर के जीवनकाल...
दलित-बहुजन विमर्श के नये आयाम गढ़तीं दिनेश कुशवाह की कविताएं
दिनेश कुशवाह की कविताओं में ऐसी कई भारतीय समाज की दृश्यावलियां उभर कर आती हैं, जो साहित्य और...
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