पेरियार कहते थे कि वंचितों को ठगने का काम मत करो, क्योंकि जो वैज्ञानिक विचारधारा है, जो विज्ञान को बढ़ाने वाली विचारधारा है, जो तर्क की विचारधारा है, वही वास्तव में वंचितों की मुक्ति का...
आंबेडकर की तरह रामस्वरूप वर्मा के लेखन में धर्मशास्त्र और जातिवाद की तीखी आलोचना निहित है। वे जोर देकर कहते हैं कि ब्राह्मणवाद में सुधार की कोई गुंजाइश नहीं है। इसीलिए इसे समूल नष्ट किया...
राष्ट्रवादी जनांदोलन जोर पकड़ रहा था और उसकी सोच को विभिन्न मुद्रित प्रकाशन लोगों तक पहुंचा रहे थे। लेकिन एक छोटे-से परिवार का एक छोटा-सा अख़बार एक दूसरे किस्म की आज़ादी की बात कर रहा...
संसोपा से अलग होने के बाद समाज के नब्बे प्रतिशत शोषितों का निछक्का दल बनाने के लिए जगदेव प्रसाद आगे बढ़ते हैं। सबसे पहले शोषित दल का गठन करते हैं। वे दावा करते हैं कि...