h n

कवि व्रजनंदन वर्मा का निधन

आधुनिक संस्कृत के 'अश्वघोष' कहे जाने वाले कवि व्रजनंदन वर्मा का 13 जनवरी को काराकाट (बिहार) के करूप इंग्लिश ग्राम स्थित अपने निवास 'प्रज्ञा कला केन्द्र' में निधन हो गया

काराकाट(बिहार) : आधुनिक संस्कृत के ‘अश्वघोष’ कहे जाने वाले कवि व्रजनंदन वर्मा का 13 जनवरी को काराकाट (बिहार) के करूप इंग्लिश ग्राम स्थित अपने निवास ‘प्रज्ञा कला केन्द्र’ में निधन हो गया। वे 86 वर्ष के थे। उनका जन्म गिउधार-पवनी (नासरीगंज) में विक्रम संवत् 1984 को अशोक-धम्म विजय दशमी के दिन एक ओबीसी (कुशवाहा) परिवार में हुआ था।

व्रजनंदन वर्मा ने 50 हजार से भी ज्यादा संस्कृत श्लोकों की रचना की। उनके महाकाव्यों में ‘गौतम गाथा’ अर्जक वेद, ‘मौर्यवंशम्, ‘कुशवंशम्’ उल्लेखनीय हैं। उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर बुद्ध, कबीर, जगदेव प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल एवं डा. भीमराव आम्बेडकर का प्रभाव था। वे मनुवाद और असमानता के घोर विरोधी थे। इसके लिए उन्हें सामाजिक व परिवारिक उपेक्षा का शिकार भी होना पड़ा। फिर भी वे अपने साहित्य-कर्म के प्रति आजीवन प्रतिबद्ध रहें। उन्होंने हिन्दी में भी कई लेख व कविताएं लिखीं। उनके आलेख ‘कुश क्यों, राम नहीं’ तथा यादव शक्ति पत्रिका के मार्च 2014 अंक में प्रकाशित ‘महिषराज में महिषासुर’ को हिंदी पटटी के बहुजन तबकों के बीच व्यापक सराहना मिली थी।

(फारवर्ड प्रेस के फरवरी, 2015 अंक में प्रकाशित )


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

हरेराम सिंह

'फारवर्ड प्रेस साहित्य एवं पत्रकारिता सम्मान : 2013’ से सम्मानित हरेराम सिंह कवि और आलोचक हैं। यह पुरस्कार फारवर्ड प्रेस पाठक क्लब, सासाराम की ओर से फारवर्ड प्रेस में प्रकाशित बहुजन लेखक/पत्रकार की श्रेष्ठ लेख/रिपोर्ट के लिए दिया जाता है।

संबंधित आलेख

रैदास: मध्यकालीन सामंती युग के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतक
रैदास के आधुनिक क्रांतिकारी चिंतन-लेखन को वैश्विक और देश के फलक पर व्यापक स्वीकृति क्यों नहीं मिली? सच तो यह कि उनकी आधुनिक चिंतन...
जब नौजवान जगदेव प्रसाद ने जमींदार के हाथी को खदेड़ दिया
अंग्रेज किसानाें को तीनकठिया प्रथा के तहत एक बीघे यानी बीस कट्ठे में तीन कट्ठे में नील की खेती करने के लिए मजबूर करते...
डॉ. आंबेडकर : भारतीय उपमहाद्वीप के क्रांतिकारी कायांतरण के प्रस्तावक-प्रणेता
आंबेडकर के लिए बुद्ध धम्म भारतीय उपमहाद्वीप में सामाजिक लोकतंत्र कायम करने का एक सबसे बड़ा साधन था। वे बुद्ध धम्म को असमानतावादी, पितृसत्तावादी...
डॉ. आंबेडकर की विदेश यात्राओं से संबंधित अनदेखे दस्तावेज, जिनमें से कुछ आधारहीन दावों की पोल खोलते हैं
डॉ. आंबेडकर की ऐसी प्रभावी और प्रमाणिक जीवनी अब भी लिखी जानी बाकी है, जो केवल ठोस और सत्यापन-योग्य तथ्यों – न कि सुनी-सुनाई...
व्यक्ति-स्वातंत्र्य के भारतीय संवाहक डॉ. आंबेडकर
ईश्वर के प्रति इतनी श्रद्धा उड़ेलने के बाद भी यहां परिवर्तन नहीं होता, बल्कि सनातनता पर ज्यादा बल देने की परंपरा पुष्ट होती जाती...