h n

डिक्की ने पूर्व नक्सलियों को बनाया व्यवसायी

दलित इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की), आंध्रप्रदेश व तेलांगाना की सरकारों के सहयोग से स्थानीय दलितों को अपने व्यवसाय स्थापित करने में मदद कर रही है

dicciहैदराबाद। दलित इंडियन चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की), आंध्रप्रदेश व तेलांगाना की सरकारों के सहयोग से स्थानीय दलितों को अपने व्यवसाय स्थापित करने में मदद कर रही है। डिक्की के दक्षिण भारत संयोजक रविकुमार नारा कहते हैं, ”डिक्की ऐसी गतिविधियों का आयोजन करती है जिनसे उद्यमिता को प्रोत्साहन मिले। हम पिछड़े समुदायों के युवकों को पिछले दो-तीन वर्षों से प्रशिक्षण दे रहे हैं। हम सरकार और उद्यम स्थापित करने के इच्छुक व्यक्तियों के बीच कड़ी का काम करते हैं और नवउद्यमियों का पथप्रदर्शन भी करते हैं”।
एक झुग्गी बस्ती में जन्मे और बड़े हुए नारा, आज एक सम्मानित व्यवसायी हैं। वे इस बात का उदाहरण हैं कि उद्यमिता कैसे लोगों का जीवन बदल सकती है। ”हमने पिछले दो-तीन सालों में लगभग 130 लोगों को प्रशिक्षित किया है, जिनमें से 40 ने अपने उद्यम स्थापित कर लिए हैं”, उन्होंने बताया। उनका कहना है कि इनमें से दो-तीन पूर्व में नक्सली थे।

(फारवर्ड प्रेस के मार्च, 2015 अंक में प्रकाशित )


.फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

एफपी डेस्‍क

संबंधित आलेख

जब आरएसएस के सवाल पर लोहिया से भिड़ गए थे मधु लिमये
मधु लिमये बहुत हद तक डॉ. आंबेडकर से प्रेरित दिखते हैं। जाति प्रथा के ख़ात्मे तथा आरक्षण, जिसे वह सामाजिक न्याय के सिद्धांत का...
आंबेडकरवादी राजनीति : फैशन या लोकतांत्रिकरण?
सच तो यह है कि आंबेडकर का नाम बार-बार लेना (अमित शाह के शब्दों में फैशन) राजनीतिक संस्कृति के लोकतांत्रिकरण का एक प्रमाण है।...
दिल्ली विधानसभा चुनाव : सांप्रदायिकता का खेल तेज
दिल्ली में ज्यादातर गरीब मुसलमानों और दलितों की ऐसी बस्तियां हैं, जहां पानी, सड़क और सफाई जैसी बुनियादी समस्याएं हैं। लेकिन राजनीतिक दल इन...
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : दलित, ओबीसी और मुसलमानों के लिए तमिलनाडु मॉडल ही एकमात्र विकल्प (अंतिम भाग)
ओबीसी, दलित और मुसलमानों को सुरक्षा और स्वाभिमान की राजनीति चाहिए जो कि मराठा-ब्राह्मण जातियों की पार्टियों द्वारा संभव ही नहीं है, क्योंकि सत्ता...
दिल्ली विधानसभा चुनाव : हर पार्टी की नज़र दलित वोटरों पर
सत्तर सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में 12 सीटें अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं। लेकिन दिल्ली की 16.75 प्रतिशत फीसदी से ज़्यादा आबादी...