h n

मंडल की धरती पर ‘मंडल संसद’

एक फरवरी 2015 को यहाँ महान समाजवादी नेता भूपेंद्र नारायण मंडल की जयंती पर एक 'मंडल संसद' का आयोजन किया गया

मधेपुरा (बिहार): एक फरवरी 2015 को यहाँ महान समाजवादी नेता भूपेंद्र नारायण मंडल की जयंती पर एक ‘मंडल संसद’ का आयोजन किया गया। ‘बागडोर’ द्वारा आयोजित मंडल संसद श्रृंखला की यह दूसरी संगोष्ठी थी, जिसका विषय था- ‘मौजूदा परिदृश्य में विचार और व्यक्तित्व का संकट’। कार्यक्रम में अपने उद्घाटन भाषण में वित्त मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि भाग्यवाद, भोग और भगवान से पीडि़त है यह मुल्क। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में तीन तरह के दुख हैं। अगड़ी जातियों में भी पेट का दुख है, लेकिन उन्हें सम्मान का दुख नहीं है। पिछड़ों को पेट का दुख नहीं के बराबर है, लेकिन उन्हें सम्मान का दुख है। तीसरी श्रेणी उन दलितों की है जिसे सम्मान और पेट दोनों का दुख है। इनको जब तक दूर नहीं किया जाएगा, यह देश विकसित नहीं होगा।

बीज वक्तव्य में संतोष यादव, जो कि एक इंजीनियर हैं, ने कहा कि इतिहास और मधेपुरावासियों ने बीएन मंडल का सही मूल्यांकन नहीं किया। राजस्व मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने बीएन मंडल के जीवन के कई प्रसंग साझा करते हुए कहा कि वे जो कहते थे, वही करते भी थे। अपने इर्द-गिर्द के लोगों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जाग्रत करने की उनमें अद्भुत क्षमता थी। उन्होंने जाति से जमात की ओर चलने का आदर्श प्रस्तुत किया।


वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने उत्तर प्रदेश में दलित जागरण संबंधी कांशीराम के कामों की चर्चा करते हुए कहा कि वहां के गांवों में उन्होंने डा. भीमराव आंबेडकर को फिर से जिंदा कर दिया, लेेकिन उनकी शिष्य मायावती उसे आगे नहीं बढ़ा पाईं। उन्होंने कहा कि मंडलवादी राजनीति को आज पुनर्व्यवस्थित  करना पड़ेगा। आज एक व्यापक शूद्र एकता की जरूरत है, जो विचारों से आधुनिक हो। जगनारायण सिंह यादव ने कहा कि आज इस देश में ज्ञान और ईमान का संकट है।

कार्यक्रम का आगाज रोशन कुमार व उनके साथियों के गायन से हुआ। संगोष्ठी की अध्यक्षता बिनोद कुमार ने की। सभा को बिहार विधान परिषद् के सदस्य उदयकांत चैधरी, विजय कुमार वर्मा, रमेश ऋषिदेव, पूर्व विधायक राधाकांत यादव, विधायक अरुण कुमार, अरविंद निषाद, भूपेंद्र कुमार मधेपुरी, सुरेश प्रसाद यादव, कुमार हिमांशु व कुमार भास्कर ने भी संबोधित किया।

(फारवर्ड प्रेस के मार्च, 2015 अंक में प्रकाशित )


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in

लेखक के बारे में

अरुण नारायण

हिंदी आलोचक अरुण नारायण ने बिहार की आधुनिक पत्रकारिता पर शोध किया है। इनकी प्रकाशित कृतियों में 'नेपथ्य के नायक' (संपादन, प्रकाशक प्यारा केरकेट्टा फाउंडेशन, रांची) है।

संबंधित आलेख

मनुस्मृति पढ़ाना ही है तो ‘गुलामगिरी’ और ‘जाति का विनाश’ भी पढ़ाइए : लक्ष्मण यादव
अभी यह स्थिति हो गई है कि भाजपा आज भले चुनाव हार जाए, लेकिन आरएसएस ने जिस तरह से विश्वविद्यालयों को अपने कैडर से...
आखिर ‘चंद्रगुप्त’ नाटक के पन्नों में क्यों गायब है आजीवक प्रसंग?
नाटक के मूल संस्करण से हटाए गए तीन दृश्य वे हैं, जिनमें आजीवक नामक पात्र आता है। आजीवक प्राक्वैदिक भारत की श्रमण परंपरा के...
कौशांबी कांड : सियासी हस्तक्षेप के बाद खुलकर सामने आई ‘जाति’
बीते 27 मई को उत्तर प्रदेश के कौशांबी में एक आठ साल की मासूम बच्ची के साथ यौन हिंसा का मामला अब जातिवादी बनता...
अपने जन्मदिन पर क्या सचमुच लालू ने किया बाबा साहब का अपमान?
संघ और भाजपा जहां मजबूत हैं, वहां उसके नेता बाबा साहब के विचारों और योगदानों को मिटाने में जुटे हैं। लेकिन जहां वे कमजोर...
कॉमरेड ए.के. राय कहते थे, थोपा गया विकास नहीं चाहते आदिवासी
कामरेड राय की स्पष्ट धारणा थी कि झारखंडी नेतृत्व के अंदर समाजवादी एवं वामपंथी विचारधारा उनके अस्तित्व रक्षा के लिए नितांत जरूरी है। लेकिन...