पटकथा और गीत लिखे जा चुके हैं। शूटिंग कहां-कहां होगी, यह तय है। ‘कोर्ट’ से चर्चा में आए वीरा साथीदार व अन्य कलाकार एक महीने तक चलने वाली शूटिंग की तैयारी कर रहे हैं। जैसे-जैसे फेसबुक और वाट्सएप पर जारी ‘क्राउड फंडिंग’ मुहिम गति पकड़ रही है, फिल्म के लिए आवश्यक धन धीरे-धीरे आ रहा है। फिल्म को डा. आंबेडकर की 125वीं जयंती के एक हफ्ते पहले 7 अप्रैल, 2016 को रिलीज़ करने की योजना है। परंतु नागपुर की ‘मील्योरिस्ट फिल्मस’ के अनुसार, ”हर साल आंबेडकर की जयंती बड़े, और बड़े पैमाने पर मनाई जा रही है परंतु विडंबना यह है कि सामाजिक न्याय के इस महान हिमायती के विचारों को या तो नजऱअंदाज़ किया जा रहा है या तोड़ा-मरोड़ जा रहा है।’’ इसलिए, फिल्म आज के समय में उस दूरदृष्टा के विचारों की प्रासंगिकता पर केंद्रित होगी। ”शिक्षित हो, संगठित हो और आंदोलन करो’’, आंबेडकर कहते थे। ‘जयंती’ निश्चित तौर पर ‘शिक्षित’ करेगी।
हम में से कई स्वयं को आंबेडकरवादी कहते हैं, परंतु आंबेडकर के क्रांतिकारी विचारों को नहीं जानते-समझते। ‘जयंती’ का नायक हम में से एक है-एक स्व-घोषित आंबेडकरवादी। परंतु जब उसे यह एहसास होता है कि उसने जो लेबिल अपने पर चस्पा कर रखा है, वह उसके लायक नहीं है तो वह सच्चे आंबेडकरवाद की खोज में निकल पड़ता है।
‘जयंती’ फिल्म की पटकथा शैलेष नरवड़े ने लिखी है और वे ही फिल्म का निर्देशन भी करेंगे। उन्होंने दो लघु फिल्मों ‘राम’ (2008) व ‘विद एंड विदाउट वाटर’ (2015) और तीन हिंदी नाटकों ‘द सेल्फिश गेम’ (1998), ‘महतकृत्य’ (2000) व ‘बचाते रहो’ (2015) का निर्देशन किया है।
प्रेस जाने केसमय तक क्राउड फंडिंग अभियान के ज़रिए शूटिंग के लिए ज़रूरी 18-20 लाख रूपये में से 1.७5 लाख रूपये जुट गए थे। फिल्म के निर्माण और उसके शुरूआती प्रचार में लगभग 50 लाख रूपए खर्च होंगे। जो लोग इस फिल्म के लिए धन उपलब्ध करवाएंगे, उन्हें उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली राशि के अनुरूप फिल्म के एसोसिएट या सहनिर्माता का दर्जा भी दिया जा सकता है।
नरवड़े ने बताया कि ”कलाकार और सामाजिक कार्यकर्ता वीरा साथीदार ने पटकथा पढऩे के बाद इस फिल्म को करने के लिए कई अन्य प्रस्ताव ठुकरा दिए’’। वीरा साथीदार ने ‘कोर्ट’ फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है। यह फिल्म इस वर्ष ऑस्कर प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है।