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असुरों को दुर्गा उपासक बनाने का षड़यंत्र

कोलकाता की एक दुर्गा पूजा समिति पहले कवयित्री सुषमा असुर और आठ अन्यों को एक "सांस्कृतिक कार्यक्रम" में आमंत्रित करती है और फिर अख़बारों को अपने असली इरादों के बारे में बताती है

पश्चिम बंगाल में महिषासुर दिवस के आयोजनों में बढ़ती भागीदारी पर कोलकाता के दुर्गा पूजा आयोजकों की प्रतिक्रिया, मार्कडेय पुराण, जिस पर दुर्गा पूजा आधारित है, में वर्णित इंद्र के महिषासुर को पदच्युत करने के षड़यंत्र से मिलती-जुलती है।

हालिया घटना में, फूलबगान सर्बोजोनिन दुर्गा पूजा समिति के प्रतिनिधियों ने झारखण्ड की असुर जनजाति की कवयित्री सुषमा असुर से संपर्क किया। झारखण्ड  भाषा साहित्य संस्कृति अखरा से जुडी वंदना टेटे और सुषमा असुर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि प्रतिनिधियों ने अपना परिचय साल्ट लेक एफ-ई ब्लॉक रेसिडेंट्स एसोसिएशन के सदस्य के रूप में दिया और

'असुर आदिवासी विजडम डेक्‍यूमेंटेश्‍न इनिसिएटिव' के फेसबुक पर सुषमा असुर और वंदना टेटे का प्रेस बयान
‘असुर आदिवासी विजडम डेक्‍यूमेंटेश्‍न इनिसिएटिव’ के फेसबुक पर सुषमा असुर और वंदना टेटे का प्रेस बयान

सुषमा को ‘शरद उत्सव’ पर आयोजित एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में आमंत्रित किया। इसके बाद, द टाइम्स ऑफ़ इंडिया के कोलकाता संस्करण के 4 अक्टूबर के अंक में एक खबर छपी, जिसमें कहा गया था कि सुषमा 7 अक्टूबर को दुर्गा पूजा उत्सव का उद्घाटन करेंगी। टाइम्स समूह के हिंदी समाचारपत्र नवभारत टाइम्स ने लिखा कि असुर अपने राजा और पूर्वज की हत्या करने वाली महिला की पूजा में शामिल होंगे । इन ख़बरों से वंदना और सुषमा को आयोजकों के असली इरादों की जानकारी मिली। पत्रकार और लेखक अश्विनी कुमार पंकज ने “महिषासुर को धोखे से मारने से मिलते जुलते इस विश्वासघात” की कड़ी निंदा की।

सुषमा को यह कहते हुए उद्दृत किया गया है कि उन्होंने इस आमंत्रण को इसलिए स्वीकार किया था कि असुरों के ‘राक्षस’ होने की धारणा को तोड़ा जा सके ताकि उनके बच्चों को स्कूलों व कालेजों में प्रवेश मिल सके। झारखण्ड के गुमला जिले के बिशुनपुर ब्लॉक के सामाजिक कार्यकर्ता अनिल असुर ने असुरों, विशेषकर समुदाय के शिक्षित सदस्यों को, ब्राह्मणवादियों के षड्यंत्रों से सावधान रहने की चेतावनी दी।  ब्राह्मणवादी “समुदायों को तोड़ने में माहिर हैं”। उन्होंने कहा कि  “असुर न सिर्फ दुर्गा पूजा के बल्कि हर प्रकार की मूर्ति पूजा के विरोधी रहे हैं।”

वंदना और सुषमा ने प्रेस विज्ञप्ति में लिखा कि इस ‘विश्वासघात’ से असुरों को बहुत पीड़ा हुई है।

महिषासुर को किस रूप में देखते हैं असुर

कोलकाता और उत्तर भारत के अन्य शहरों में दुर्गा पंडालों में गोरे रंग की दुर्गा को काले महिषासुर को मारते हुए दिखाने वाली मूर्तियाँ स्थापित कर दी गयीं हैं। परन्तु झारखण्ड के उन इलाकों, जो अब तक बॉक्साइट खनिकों से बचे हुए हैं, में दीपावली के दिन या उसके आसपास, असुर बिना किसी शोर शराबे के महिषासुर को अपनी श्रद्धांजलि देंगें। नीचे दिए गए विडियो में चमारा असुर उर्फ़ महेश फ़ॉरवर्ड प्रेस के सलाहकार संपादक प्रमोद रंजन को बता रहे हैं कि वे अपने परोपकारी शासक को किस रूप में देखते हैं।

https://www.youtube.com/watch?v=9-2enueF1qE

महिषासुर से संबंधित विस्तृत जानकारी के लिए  ‘महिषासुर: एक जननायक’ शीर्षक किताब देखें।  ‘द मार्जिनलाइज्ड प्रकाशन, वर्धा/ दिल्‍ली।  मोबाइल  : 9968527911,

ऑनलाइन के लिए क्लिक करें : महिषासुर : एक जननायक

इस किताब का ‘Mahishasur: A people’s Hero’ शीर्षक से अंग्रेजी संस्करण भी उपलब्‍ध है।

 

लेखक के बारे में

अनिल वर्गीज

अनिल वर्गीज फारवर्ड प्रेस के प्रधान संपादक हैं

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