ओबीसी महासंघ की ओर से 8 दिसंबर को नागपुर में विधान सभा सत्र के दौरान विशाल प्रदर्शन किया गया। संविधान से मिले अधिकार एव धारा 340 के अनुसार लोकसंख्या के आधारपर आरक्षण, ओबीसी समाज की जातिगत जनगणना, ओबीसी के लिये स्वतंत्र मंत्रालय, किसान एव खेत मजदूर के लिये उम्र के 60 साल बाद पेंशन, ओबीसी छात्रों को छात्रवृत्ति आदि 21 मांगो को लेकर दीक्षाभूमी से निकला ओबीसी मोर्चा मारिस कालेज के टी पार्इंटपर पहुंचा। दीक्षाभूमी से निकले इस ओबीसी महामोर्चे का नेतृत्व महासंघ के सयोंजक प्राचार्य डॉ. बबनराव तायवाडे एव महासंघ के राजकीय पक्ष समन्वयक भूतपूर्व सांसद डॉ. खुशालराव बोपचे, और संयोजक सचिन राजूरकर ने किया। इनके साथ सांसद नाना पटोले,विधायक परिणय फुके, विधायक सुनिल केदार, विधायक रवि राणा, अशोक जिवतोडे, खेमेंद्र कटरे, शरद वानखडे, मनोज चव्हाण, बबनराव फंड,गुणेश्वर आरीकर,शेषराव येलेकर,बबलू कटरे, अजय तुमसरे, जिवन लंजे, सुषमा भड, संजय माफले, विजय पिदुरकर, विनय डहाके, पुर्व विधायक, सेवक वाघाये, मध्यप्रदेश के पूर्व विधायक अजय चौरे आदि मौजूद थे।
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश से बड़ी संख्या में आये ओबीसी समाज के लोग अपनी मांगो को लेकर आक्रमक थे, लेकिन प्रदर्शन को उन्होंने शांतिपूर्वक रखा। मारिस काँलेज टी प्वाइंट पर मोर्चा विशाल सभा में परिवर्तित हो गया। मोर्चे का प्रतिवेदन स्वीकारने आये महाराष्ट्र सरकार के कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर एव पशुसंवर्धन मंत्री महादेव जानकर ने संबोधित किया। कृषि मंत्री फुंडकर ने कहा, ‘हम सब ओबीसी हैं, और न्यायिक अधिकार के लिये आप संघर्ष कर रहे हैं- मैं आपके साथ हूँ और सरकार को इस निवेदन में की गई मांगो के बारे जानकारी देकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ जल्दही ओबीसी महासंघ के पदाधिकारीओं की बैठक आमंत्रित करूंगा
ओबीसी महासंघ के सयोंजक प्राचार्य तायवाडे ने कहा, ‘अपने संबोधन मे आजादी के बाद भी ओबीसी समाज(पिछडा वर्ग) विकास के लिये दरदर भटक रहा उसे उसकी लोकसंख्या के बराबर सभी जगह प्रतिनिधित्व मिलना चाहिये। पिछडे वर्ग के विकास के लिय राज्य व केंद्र सरकार को ओबीसी मंत्रालय की स्थापना करना चाहिये, मंडल आयोग, नच्चीपन आयोग एव स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने हेतु हमारा यह आंदोलन भविष्य में और तेज किया जायेगा।’ निमंत्रक सचिन राजुरकर ने बताया कि ‘अब राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ का राष्ट्रीय अधिवेशन 7 आगस्त 2017 को नई दिल्ली में संपन्न होने जा राहा है।’ उन्होंने ओबीसी समाज के लोगों से बड़ी संख्या में उक्त अधिवेशन में भाग लेने का आह्वान किया।
ओबीसी महासंघ के राजनीतिक समन्वयक डॉ. खुशाल बोपचे ने कहा, ‘अपने संबोधन मे संविधान की धारा 340वी कलम में ओबीसी (पिछडा) समाज के लिये व्यवस्था की गयी, लेकिन उसे लागू किया नही गया, उससे आज भी हमारा समाज शिक्षा से लेकर नौकरी तर वंचित रहा। ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया, लेकीन आज भी उस आरक्षण के हिसाब से हमारे समाज के युवाओं को नौकरी उपलब्ध नहीं है।फिर हमारे अधिकार आरक्षण पर किसने कब्जा किया यह जानना भी उतना जरुरी हो गया है।’ सासंद नाना पटोले ने कहा, ‘ओबीसी मंत्रालय के लिए केंद्र व राज्य सरकार से चर्चा की गयी, लेकिन सरकार इस मुद्देपर ध्यान नही दे रही है। अगर सरकार ने इसपर ध्यान नही दिया तो भविष्य मे आंदोलन को तेज करना चाहिए।’ प्रदर्शन बड़े संकल्पों के साथ संपन्न हुआ।
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major question is that, wheather these OBC leaders and organisation members are ready to accept the ideology of OBC Mahapurush Idols. I think these are selfish people want to eat fruits but do not want to know roots of fruits. I request Forward press to take step ahead to ask question to these OBC peoples, leaders wheather they support brahmin or shraman culture. Whether they accept Buddha, kabir, tukaram, phule, shahu or BJP. It found very embarrassing that these people are exposing himself as Backward but considering backward. All the reservation policy is based on one Ideology that is Phule-shau-Ambedkar. these people are not ready to accept and popularize this ideology but want to eat only fruits. Pl. send message through your magazine that All OBC should take lead to feed water, soil, fertilizer to the Tree of humanism of constitution and then eat fruits. There should be massive awareness program under the banner of OBC to awake the people. So many many OBC people required to come forward.