नई दिल्ली, 11 दिसंबर, 2017 : फारवर्ड प्रेस बुक्स की बहुप्रतीक्षित पुस्तक “महिषासुर : मिथक व परंपराएं” प्रकाशित हो गई है। महिषासुर से संबंधित बहुजन समाज के मिथकों व परंपराओं तथा पौराणिक मिथकों और आधुनिक युग में गढे़ गए मिथकों के अर्थों को खोलने वाली इस पुस्तक का संपादन फारवर्ड प्रेस के सलाहकार संपादक प्रमोद रंजन ने किया है। इस पुस्तक में पहली बार महिषासुर शहादत/स्मरण दिवस की विस्तृत सैद्धांतिकी भी प्रस्तुत की गई है तथा इस संबंध में उठने वालो सभी सवालों के उत्तर प्रस्तुत किये गये हैं। इस किताब के माध्यम से आदिम जनजाति के रूप में चिन्हित ‘असुर’ जनजाति का नृतत्वशास्त्रीय अध्यययन तथा उनकी मौजूदा मार्मिक स्थितियां भी सामने आईं है।
किताब का मुद्रित संस्करण अमेजन, फि्लपकार्ट व ई-कामर्स की अन्य साइटों पर उपलब्ध है। इसके अतिरिक्त इसे ई-बुक (किंडल) के रूप में भी खरीदा जा सकता है।
अनेक दुर्लभ चित्रों से सुसज्जित यह पुस्तक आदिवासी संस्कृति के अनन्य शोधकर्ता आचार्य मोतीरावण कंगाली व तिरूमाय चंद्रलेखा कंगाली को समर्पित है।
विषय- सूची
छह खंडों में विभाजित इस 360 पृष्ठों की पुस्तक में प्रकाशित लेखों की खंडवार विषय सूची निम्नांकित है :
लेख का शीर्षक | लेखक |
भूमिका : महिषासुर से संबंधित परंपराओं और आंदोलन के निहितार्थ | प्रमोद रंजन |
(खंड -1 : यात्रा वृतांत) | |
महोबा में महिषासुर | प्रमोद रंजन |
छोटानागपुर के असुर | नवलकिशोर कुमार |
राजस्थान से कर्नाटक वाया महाराष्ट्र : तलाश महिषासुर की | अनिल वर्गीज |
(खंड -2 : मिथक व परंपराएं) | |
गोंडी पुनेम दर्शन और महिषासुर | संजय जोठे |
हमारा महिषासुर दिवस | सुषमा असुर |
दुर्गा सप्तशती का असुर पाठ | अश्विनी कुमार पंकज |
महिषासुर : एक पुनर्खोज | गौरी लंकेश |
कर्नाटक की बौद्ध पंरपरा और महिष | बीपी महेश चंद्र गुरू |
आदिवासी देवी चामुंडा और महिषासुर | सिंथिया स्टीफन |
बिहार में असुर परंपराएं | नवलकिशोर कुमार |
छक कर शराब पीते थे देवी-देवता | डी .एन. झा |
डॉ. आम्बेडकर और असुर | डॉ. सिद्धार्थ |
(खंड -3 : आंदोलन किसका, किसके लिए) | |
महिषासुर आंदोलन की सौद्धांतिकी : एक संरचनात्मक विश्लेषण | अनिल कुमार |
संस्कृति का अब्राह्मणीकरण : बरास्ता महिषासुर आंदोलन | ओमप्रकाश कश्यप |
‘भारत माता’ और उसकी बगावती बेटियां | निवेदिता मेनन |
पसमांदा मुसलमान और महिषासुर शहादत दिवस | नूर जहीर |
(खंड -4 : असुर : संस्कृति व समकाल) | |
असुरों का जीवनोत्सव | सुरेश जगन्नाथम |
शापित असुर : शोषण का राजनैतिक अर्थशास्त्र | विकास दुबे |
कौन हैं वेदों के असुर? | कुमार मुकुल |
(खंड -5 : साहित्य) | |
जोतीराव फुले की प्रार्थना | जोतीराव फुले |
सांभा जी भगत का गीत | सांभा जी भगत |
छज्जूलाल सिलाणा की रागिणी | छज्जूलाल सिलाणा |
कंवल भारती की कविताएं | कंवल भारती |
रमणिका गुप्ता की कविताएं | रमणिका गुप्ता |
विनोद कुमार की कविता | विनोद कुमार |
नाटक : असुरप्रिया | संजीव चंदन |
(खंड -6 : परिशिष्ठ) | |
महिषासुर दिवस से संबंधित तथ्य | |
लेखक-परिचय |
पुस्तक के बारे में ज्ञातव्य
- इस पुस्तक के पूर्व संपादन में ‘महिषासुर : एक जननायक’ ( संपादक : प्रमोद रंजन, जून,2016) शीर्षक पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है, जो पाठकों द्वारा काफी पसंद की गई थी। वह पुस्तक मुख्य रूप से ‘महिषासुर शहादत दिवस’ पर केंद्रित थी। इस नई पुस्तक में (‘महिषासुर : मिथक व परंपराएं’) महिषासुर से संबंधित कथाओं और परंपराओं के संबंध में शोधपरक आलेख प्रकाशित किए गए हैं।
- बहुजन-संस्कृति से संबंधित विषयों पर बहुत कम लेखन व आधार सामग्री उपलब्ध है। इस कारण बहुत कम लेखक इन विषयों पर लेखन करते हैं। इस कारण इन दोनों पुस्तकों का संपादन बेहद श्रमसाध्य काम था। ‘महिषासुर : मिथक व पंरपराएं’ को तैयार करने में 6 वर्ष से अधिक का समय लगा। संपादक व लेखकों ने इसके लिए देश के विभिन्न भागों की यात्रा कर महिषासुर से संबंधित परंपराओं को ढूंढा व उनका क्षेत्रवार मिलान किया।
- नई पुस्तक में देश के विभिन्न हिस्सों से अनेक महिषासुर-परंपराओं से संबंधित अनेक दुर्लभ तस्वीरें भी प्रकाशित की गईं हैं।
- ‘महिषासुर : मिथक व परंपराएं’ के साथ ही ‘महिषासुर : एक जननायक’ का तीसरा परिवर्धित संस्करण भी प्रकाशित किया गया है, जिसमें अनेक नए लेख जोडे गए हैं। इस विषय पर अध्ययन के इच्छुक अध्येताओं को दोनों पुस्तकें पढनी चाहिए।
- ‘महिषासुर : एक जननायक’ शीर्षक पुस्तक अंग्रेजी में भी ‘महिषासुर : अ पीपुल्स हीरो’ शीर्षक से प्रकाशित हुई, जिसका दूसरा संस्करण अब बाजार में है। ‘महिषासुर : मिथक व परंपराएं’ का अंग्रेजी संस्करण भी प्रकाश्य है।
- फारवर्ड प्रेस हरित विश्व अभियान के तहत ई-बुक्स पढने की संस्कृति को बढावा देता है। हमारी ई-बुक्स प्रिंट संस्करण की तुलना में कम मूल्य पर उपलब्ध हैं। हमारा आग्रह होगा कि अगर आप तकनीकी रूप से सक्षम हैं तो ई-बुक्स ही खरीदें।
मूल्य व मंगवाने के तरीके
‘महिषासुर : मिथक व परंपराएं’ के मुद्रित संस्करण का मूल्य पेपर बैक में 350 रूपए और हार्डबाऊंड में 850 है। ई-बुक की कीमत 250 रूपए है।
किताब का नाम | संस्करण | मूल्य | ऑनलाइन लिंक |
---|---|---|---|
महिषासुर : मिथक व परंपराएं | ईबुक (किंडल) | 250 रूपए | https://www.amazon.in/dp/B077XZ863F |
महिषासुर : मिथक व परंपराएं | मुद्रित, पेपर बैक | 350 रूपए | https://www.amazon.in/dp/8193561651 |
महिषासुर : मिथक व परंपराएं | मुद्रित, मुद्रित हार्डबाऊंड | 850 रूपए | https://www.amazon.in/dp/819356166X |
महिषासुर : एक जननायक | ईबुक (किंडल) | 118 रूपए | https://www.amazon.in/dp/B06XGBK1NC |
महिषासुर : एक जननायक | मुद्रित, पेपर बैक | 150 रूपए | https://www.amazon.in/dp/819325841X |
महिषासुर : एक जननायक | मुद्रित हार्डबाऊंड | 300 रूपए | |
Mahishasur: A people's hero | ईबुक (किंडल) | 118 रूपए | https://www.amazon.in/dp/B072JV4X77 |
Mahishasur: A people's hero | मुद्रित, पेपर बैक | 150 रूपए | https://www.amazon.in/dp/8193258444 |
Mahishasur: A people's hero | मुद्रित, मुद्रित हार्डबाऊंड | 300 रूपए |
‘फारवर्ड प्रेस बुक्स’ की अन्य पुस्तकों की भांति इन पुस्तकों का प्रकाशक व डिस्ट्रीव्यूटर ‘द मार्जिनलाइज्ड प्रकाशन’ नई दिल्ली है। आप उन्हें सीधे धनादेश भेजकर रजिस्टर्ड डाक से अथवा बिना अग्रिम पैसा भेजे वीपीपी से भी इन पुस्तकों को घर बैठे मंगवा सकते हैं। [संपर्क : ‘द मार्जिनलाइज्ड प्रकाशन’ इग्नू रोड, नई दिल्ली, मोबाइल : 9968527911]
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फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्त बहुजन मुद्दों की पुस्तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्य, सस्कृति व सामाजिक-राजनीति की व्यापक समस्याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +919968527911, ईमेल : info@forwardmagazine.in
फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें :
महिषासुर : मिथक व परंपराएं
https://www.amazon.in/dp/B077XZ863Fमहिषासुर : एक जननायक (Mahishasur: Ek Jannayak)
https://www.amazon.in/dp/B06XGBK1NC
जाति के प्रश्न पर कबीर (Jati ke Prashn Par Kabir)
https://www.amazon.in/dp/B075R7X7N5
चिंतन के जन सरोकार (Chintan Ke Jansarokar)
https://www.amazon.in/dp/B0721KMRGL
बहुजन साहित्य की प्रस्तावना (Bahujan Sahitya Ki Prastaawanaa)
https://www.amazon.in/dp/B0749PKDCX