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पत्थलगड़ी आंदोलनारियों की मांगें जायज, सरकार बंद करे गिरफ्तारी : बाबूलाल मरांडी

आदिवासी अपना हक मांग रहे हैं। यदि सरकार ने उनकी मांगों को मांगने के बजाय उन्हें गिरफ्तार करना बंद नहीं किया तो आंदोलन और बढ़ेगा। पत्थलगड़ी आंदोलन को लेकर झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी का साक्षात्कार :

झारखंड और छत्तीसगढ़ में आदिवासी इन दिनों पत्थलगड़ी आंदोलन अपने लिए संविधान प्रदत्त पांचवी अनुसूची के अनुपालन की मांग कर रहे हैं। हाल के दिनों में अबतक दो दर्जन से अधिक लाेगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री व झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी आंदोलनकारियों को अपना समर्थन दे रहे हैं। फारवर्ड प्रेस के हिंदी संपादक नवल किशोर कुमार ने उनसे दूरभाष पर बातचीत की। प्रस्तुत है संपादित अंश :

झारखंड सहित देश के कई आदिवासी बहुल राज्यों में पत्थलगड़ी आंदोलन चल रहा है। इसे आप किस रूप में देखते हैं।

नहीं, आंदोलन क्या है। यह तो पहले से भी चलता है। और पत्थलगड़ी गाँव में एक तो गाँव में सीमाना पर लोग करते हैं पत्थलगाड़ी। और दूसरा लोग तब करते हैं जब कोई गाँव-घर के जो, परिवार के जो प्रमुख सदस्य मर जाते हैं , उस पर भी लोग पत्थलगड़ी करते हैं। इधर, 1996 में जब शेड्यूल एरिया एक्सटेंशन एक्ट जब पास हुआ। उसके बाद शेड्यूल पांच  में जो शेड्यूल एरिया के लिए जो प्रावधान है। बी.डी. शर्मा उस समय जिंदा थे। उनके नेतृत्व में कई एक इलाकों में जो संविधान के जो पांचवें शेड्यूल में क्या-क्या राइट्स हैं, गाँव वालों को। जो शेड्यूल एरिया में रहने वाले लोगों को। तो उन सब बातों को पत्थर में उद्धृत करके उसको लोग पत्थलगड़ी कर रहे थे। उसी को इन दिनों लोग तेजी से करते हैं गाँव-घर में। और उससे अधिक तो कुछ नहीं है। सवाल यह है कि जब सरकार कुछ करती नहीं है। लोगों की जमीनें छीन रही है। तो उसका लोग विरोध करते हैं। प्रतिकार करते हैं कि भाई शेड्यूल-5 में गांव कोअधिकार प्राप्त है। तो सरकार वहाँ जोर-जबरदस्ती कैसे कर सकती है? तो इतना ही मामला है, जानबूझकर सरकार इसको देशद्रोह के साथ कैसे जोड़ सकती है।

बाबूलाल मरांडी, झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री सह अध्यक्ष झारखंड विकास मोर्चा

 

इससे पहले भी झारखंड में सीएनटी और सीएसटी को लेकर आपने आंदोलन किया। और वहां भी आपने यही सवाल उठाया था। कहीं न कहीं आप उन लोगों के साथ थे, जिनकी जमीनें अधिग्रहित की जा रही हैं। जिन्हें भगाया जा रहा है।

तो करेगा ही न वो! जब किसी की भी जमीन छिनी जाएगी, जोर-जबरदस्ती। तो विरोध करेगा ही न लोग जी! वही हो रहा है।

यह जो पत्थलगड़ी आंदोलन है। उसको आप अपना समर्थन दे रहे हैं?

हाँ!

यह भी पढ़ें : पत्थलगड़ी आंदोलन : आर-पार की लड़ाई लड़ रहे आदिवासी

तो क्या उनके पक्ष में आप भी सड़क पर उतरेंगे? आपने भी कोई रणनीति बनाई है?

जी बिल्कुल! हम तो कोई राजनीति नहीं कर रहे हैं। लेकिन, हमें लगा कि वे लोग कोई गलत नहीं कर रहे हैं। सरकार ही उन लोगों के ऊपर जोर-जबरदस्ती कर रही है। सरकार उन लोगों के ऊपर देशद्रोह का, बागी का मामला दर्ज कर रही है। और अभी भी कई एक दर्जन से अधिक लोगों को जेल में डाल दिया है। ग़लत कर रही है सरकार।

तो क्या उनके समर्थन में आप सड़क पर उतरेंगे?

नहीं, अभी तो हमने ऐसा नहीं कहा। लेकिन, हम तो लोगों को बोलते हैं। सरकार को भी कि भाई आप इन लोगों को छोड़ दीजिए। और नहीं छोड़ेंगे, तो फिर आंदोलन धीरे-धीरे बढ़ेगा ही। तो जब लोगों को दमन करेंगे, दबाएँगे! तो फिर हमारे जैसे लोगों को भी सड़क पर उतरना पड़ेगा। भाई अपने कोई हक के लिए लड़ते हैं, अधिकार के लिए कोई लड़ाई लड़ते हैं। तो बुरा क्या है?

(लिप्यांतर : प्रेम बरेलवी, कॉपी एडिटर : अशोक)


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लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

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