मॉब लिंचिंग और ट्रोलिंग के जरिए दूसरों की आवाज दबाने की साजिश को रोज-ब-रोज बेखौफ अंजाम दिया जा रहा है। मॉब लिंचिंग और सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की ताजा घटनाओ मेंं ओबीसी तबके के बुद्धिजीवी निशाने पर हैं।
बिहार के मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में समाज शास्त्र के असिस्टेंट प्रोफेसर संजय कुमार पर 17 अगस्त 2018 को हत्या के इरादे से हमला किया गया। हमला करने वाले अकेले नहीं, 25-30 की संख्या में थे। उन लोगों ने उन्हें बेरहमी से उनके घर से खींचकर सड़क पर लाकर बुरी तरह पीटा और फिर उनके उपर पेट्रोल् डालकर जिंदा जलाने की कोशिश की। वहीं दिल्ली में एक और घटना घट गयी। दिल्ली विश्वविद्यालय में विकलांग असिस्टेंट प्रोफेसर केदार मंडल को जान से मारने की धमकी दी गयी। उन्होंने इस बाबत दिल्ली से सुरक्षा की गुहार लगायी है। गौरतब है कि गत 6 अगस्त को बिहार के में बेतिया के एमजेके कॉलेज के प्रिंसपल हरिनारायण ठाकुर के साथ भी एक कार्यक्रम में धक्कामुक्की की गई थी। इनमें से संजय कुमार यादव, केदार मंडल कुशवाहा व हरिनारायण ठाकुर नाई जाति के हैं।
बयान बदल रहे एसपी
प्रो. संजय कुमार पर मॉब लिंचिंग हमले की जांच कर रहे मोतिहारी के एसपी उपेंद्र शर्मा मामले में बार-बार अपना बयान बदल रहे हैं। आज (18 अगस्त, 2018) को बीबीसी हिंदी में प्रकाशित रिपोर्ट में उपेंद्र शर्मा को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि एसपी ने अभियुक्तों पर हत्या का प्रयास संबंधी भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज करने से इंकार किया है। बीबीसी की उपरोक्त्त रिपोर्ट के अनुसार एसपी ने बीबीसी से कहा, “उनकी (संजय कुमार की) शिकायत के बाद पुलिस मामले की जांच कर रही है। धारा 307 के तहत तभी मुक़दमा दर्ज हो सकता था, जब उनके शरीर पर उस तरह की इंजरी(चोट) होती, वैसी इंजरी थी नहीं। लेकिन जितने तरह के मामले हो सकते थे, वो सब लगाए गए हैं। इस मामले में अभी तक किसी को गिरफ्तारी नहीं हुई है।”

लेकिन फारवर्ड प्रेस ने इस संबंध में एसपी उपेंद्र शर्मा से बात की तो उन्होंने बीबीसी को साक्षात्कार देने बात को गलत बताते हुए कहा कि “अभी इस मामले की इंजरी रिपोर्ट नहीं आयी है। जब तक इंजरी रिपोर्ट नहीं आ जाती है तब तक धारा 307 के तहत मुकदमा दर्ज कैसे किया जा सकता है। इंजरी रिपोर्ट डॉक्टर देता है। बाकी केरोसिन या पेट्रोल डालकर जलाने की बात जो कही जा रही है, वायरल हुए वीडियो में कहीं नहीं है। एक बच्चे के किडनैपिंग की बात कही जा रही थी। वह अब वापस आ गया है। उसने बताया है कि मारपीट हो रही थी, इसलिए डर के मारे वह भाग गया था। इसलिए अपहरण की बात भी मिथ्या है। इस मामले में मारपीट और दंगा को लेकर मुकदमा दर्ज किया गया है। एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हो चुकी है। जांच चल रही है।”
गौरतलब है कि उपेंद्र शर्मा इससे पहले बिहार के औरंगाबाद जिले में एसपी के पद पदस्थापित थे। वहां भी उनपर दलित-पिछडों के खिलाफ काम करने एवं तथ्यों के तोड़ने-मरोड़ने के आरोप लगते रहे हैं।

एसपी का बयान भ्रामक : अरविंद जैन
दूसरी ओर, सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता व चर्चित लेखक अरविंद जैन का कहना है कि एसपी उपेंद्र शर्मा का बयान गलत है। यदि किसी पर भी हत्या करने की नीयत से हमला किया जाता है तो वह भादवि की धारा 307 के तहत आता है। फिर पीड़ित व्यक्ति के शरीर पर कोई निशान हो अथवा न हो। उन्होंने कहा कि धारा 307 के लिए शरीर पर चोटों का निशाना होना कोई बाध्यता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि इस धारा के तहत मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस को हर हाल में अभियुक्तों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करनी होती है।
बहुजन विमर्श को विस्तार देतीं फारवर्ड प्रेस की पुस्तकें
बताते चलें कि पीड़ित संजय कुमार द्वारा दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में राहुल आर पांडेय, पत्रकार संजय कुमार सिंह, अमन बिहार वाजपेयी, सन्नी मिश्रा, पुरुषोत्तम मिश्रा, मीडियाकर्मी ज्ञानेश्वर गौतम, डीन पवनेश कुमार, दिनेश व्यास, सहायक प्राध्यापक जितेंद्र गिरि, संजय कुमार, समाजशास्त्र विभाग के राकेश पांडेय के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है।

अटल बिहारी वाजपेयी पर टिप्पणी से भड़के हमलावर
वहीं प्रोफेसर संजय कुमार के साथी और चश्मदीद गवाह प्रोफेसर मृत्युंजय कुमार यादव ने फारवर्ड प्रेस को बताया कि उनकी हालत अभी बहुत सीरियस है। मोतिहारी के हॉस्पिटल से उन्हें उनकी नाजुक हालत को देखते हुए पटना एम्स के लिए रेफर कर दिया है, जहां उन्हें इलाज के लिए ले जाया गया। मृत्युंजय कुमार यादव ने बताया कि यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर अरविंद अग्रवाल के इशारे पर इस घटना को अंजाम दिया गया है। इस संबंध में उन्होंने बताया कि वे और उनके साथी बीते 29 मई से संस्थान में वाइस चांसलर की मनमानी के खिलाफ धरना दे रहे हैं। हालांकि कल की घटना के संबंध में उन्होंने बताया कि हमलावर प्रोफेसर संजय कुमार की एक टिप्पणी से भड़के हुए थे। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की मौत के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था।
प्रो. मृत्युंजय के अनुसार अरविंद अग्रवाल ने फर्जी सूचनाओं के जरिए पद हासिल किया है। इसे लेकर भी हमलोग उनका विरोध कर रहे हैं। वाइस चांसलर का कहना है कि उन्होंने जर्मनी के हाइडल बर्ग विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की है जबकि उन्होंने राजस्थान विश्वविद्यालय से पीएचडी किया है। प्रोफेसर मृत्युंजय के अनुसार कुलपति के रूप में अरविंद अग्रवाल ने पूरे संस्थान में अराजक माहौल बना दिया है।

उन्होंने बताया कि घटना के बाद प्रोफेसर संजय कुमार का परिवार दहशत में है। उनके परिवार में दो भाई, एक बहन, पत्नी और एक बच्चा है। घटना के संबंध में विश्वविद्यालय शिक्षक एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रमोद मीणा ने भी घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि कल संजय कुमार के घर पर धावा बोलकर कुछ लोग उन्हें घर से ही घसीटते और मारते पीटते हुए हुए ले गए। उनके घर के बाहर से वो लोग गाली-गलौच दे रहे थे कि हम इसे जिंदा गाड़ देंगे। 25-30 लोगों के झुंड द्वारा उन्हें मरणासन्न की हालत तक अर्द्धनग्न कर खूब मारा-पीटा गया। बाद में उन पर पेट्रोल छिड़ककर आग लगाने की कोशिश की गई। मौके पर मौजूद कुछ साथियों की मदद से बमुश्किल उन्हें गुंडा तत्वों की भीड़ से बचाया जा सका।
दिल्ली में केदार मंडल को जान से मारने की धमकी
उधर राजधानी दिल्ली में दिल्ली विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर केदार मंडल को जान से मारने की धमकी दी गयी है। वे शारीरिक रूप से विकलांग हैं। इस बाबत बीते 13 अगस्त 2018 को उन्होंने दिल्ली के बसंत कुंज थाने को सूचना दी। प्रोफेसर मंडल ने पुलिस को बताया है कि 13 अगस्त को उनके मोबाइल *******5357 पर 9213162006 से एक फोन आया। अंजाना नंबर देख प्रोफेसर मंडल ने फोन रिसीव नहीं किया। जब दुबारा फोन आया तब उन्होंने फोन रिसीव किया और फोन करने वाले ने खुद को ट्रांसपोर्ट विभाग का कर्मी बताया। प्रत्युत्तर में प्रो मंडल ने अपना नाम बताया तब उसने उन्हें भद्दी-भद्दी गालियां दी और जान से मारने की धमकी दी।

इस घटना के बाद प्रोफेसर मंडल दहशत में हैं और घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। उन्होंने फारवर्ड प्रेस से बातचीत में कहा कि उन्होंने पुलिस को 13 अगस्त को ही इसकी सूचना दी लेकिन आजतक पुलिस ने किसी को गिरफ्तारी नहीं किया है।
प्रोफेसर मंडल पिछले साल सितंबर में उस समय सुर्खियों में तब आये थे जब दशहरा के दौरान अपने फेसबुक वॉल पर उन्होंने एक पोस्ट किया था। पोस्ट में दुर्गा और बहुजन नायक महिषासुर के बारे में टिप्पणी की गयी थी। इसे लेकर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया था और दिल्ली विश्वविद्यालय ने उन्हें सस्पेंड कर दिया। इस मामले में पूछने पर प्रोफेसर मंडल ने बताया कि यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है। जहां तक सस्पेंड होने का सवाल है, उन्होंने कोर्ट में इसके खिलाफ याचिका दायर की है। उनके मुताबिक नियमों के मुताबिक तीन महीने के अंदर पुलिस को चार्जशीट दाखिल करना था, लेकिन वह आजतक चार्जशीट दाखिल नहीं कर सकी है। वहीं विश्वविद्यालय के नियमों के अनुसार यदि छह महीने तक पुलिस चार्जशीट दाखिल नहीं करती है तब मामला स्वत: ही समाप्त हो जाता है और सस्पेंशन निरस्त हो जाता है। लेकिन उनके मामले में ऐसा नहीं किया गया है।
कांचा आइलैया और हरिनारायण ठाकुर पर भी हो चुका है हमला
गौरतलब है कि कुछ महीने पूर्व ओबीसी तबके से आने वाले लेखक प्रोफेसर कांचा आइलैया, हरिनारायण ठाकुर पर भी इसी प्रकार हमला किया गया था। 24 सितंबर 2017 को हैदराबाद में प्रोफेसर आइलैया पर हमला उनके द्वारा तेलुगू में लिखी किताब ‘सामाजिका स्मूगलूरू कोमाटोलू’(वैश्य सामाजिक स्मगलर) के बाद शुरु हुए विवाद को लेकर किया किया गया। वहीं हाल ही में बिहार के बेतिया जिले में ओबीसी लेखक प्रो हरिनारायण ठाकुर पर हमला भी उनके विचारों को लेकर किया गया। उन पर हमला तब किया गया जब वे स्वयं अपने ही कॉलेज में एक कार्यक्रम के आयोजक थे। देश में सांप्रदायिक तत्वों के बढ़ते उन्माद के विरोध में आयोजित इस कार्यक्रम में समाज सेविका शबनम हाशमी और बाबरी विध्वंस मामले में एक अहम गवाह युगल किशोर शास्त्री भी मौजूद थे।

बहरहाल, प्रोफेसर कांचा आइलैया और प्रोफेसर हरिनारायण ठाकुर के बाद अब प्रोफेसर संजय कुमार और प्रोफेसर केदार मंडल को जान से मारने की धमकी दिया जाना यह साबित करने के लिए काफी है कि चाहे वह देश की राजधानी दिल्ली हो या फिर बिहार का सुदूर जिला मोतिहारी, अराजक तत्व तंत्र पर हावी हो चुके हैं।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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