मिथकों और किंवदंतियों में आता है कि जब शूद्र तप करता है, या असुर दहाड़ता है, तो ब्राह्मण-राज इंद्र का सिंहासन हिलने लगता है।मैं यह तो नहीं कहूँगा कि राहुल गाँधी शूद्र या असुर हैं, पर लन्दन में आरएसएस (संघ) के खिलाफ उन्होंने जो हुंकार भरी है, उससे संघ का सिंहासन भले ही न हिला हो, पर उसके मुखिया जरूर हिल गए हैं। परिणामत: राहुल पर चौतरफा हमला शुरू हो गया है। उसे नादान,नासमझ, सुपारी लेकर देश को बदनाम करने वाला और देशद्रोही सब कुछ कहा जा रहा है। निस्संदेह, राहुल गाँधी ने सात समन्दर पार के मुल्कों में संघ की असलियत बता कर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के उस झूठ का पर्दाफ़ाश कर दिया है, जो वहां भारत की झूठी तस्वीर पेश करके आते हैं। राहुल की वाकई तारीफ करनी होगी कि जो बात भारत में भी कोई कहने की हिम्मत नहीं जुटा सका, वह बेधड़क होकर राहुल ने लन्दन में कह दी कि संघ कई देशों में प्रतिबंधित मुस्लिम ब्रदरहुड जैसा संगठन है, जिसका काम गैर-हिन्दुओं में दहशत फैलाना है, और वह भारत की सभी संवैधानिक संस्थाओं पर कब्ज़ा करके यहाँ के लोकतंत्र को समाप्त करने में लगा हुआ है।
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