h n

बढ़ती अर्थव्यवस्था के राग के बीच भुखमरी की डरावनी तस्वीर

भारत में आंकड़ों में विकास साबित करने की राजनीतिक परंपरा है। वर्तमान सरकार भी यही कर रही है। एक तरफ विकास के मामले में भारत को दुनिया के विकसित देशों से टक्कर लेता हुआ दिखाया जा रहा है तो दूसरी तरफ भुखमरी के मामले में यह देश 103वें स्थान पर पहुंच गया है। फारवर्ड प्रेस की खबर :

बीते दिनों ‘विश्व खाद्य दिवस’ के ठीक दो दिन पहले 14 अक्टूबर 2018 को ‘ग्लोबल हंगर इंडेक्स’ का आंकड़ा जारी हुआ। हमारा देश वैश्विक भुखमरी के पायदान पर पाकिस्तान से मात्र 3 अंक ऊपर है। शायद यह हमारे कथित राष्ट्रवादी नजरिये के खयाल से काफी संतोषप्रद हो सकता है, मगर जब हम श्रीलंका, म्यांमार, बंगलादेश, और नेपाल जैसे देशों की रेंकिंग देखते हैं तो उनके सामने हमारी विशालता बौनी हो जाती है। क्योंकि जहां श्रीलंका 67वें, म्यांमार 68वें, बांग्लादेश 86वें और नेपाल 72वें रैंक पर हैं, वहीं हम भारत के लोग 103 रेंक पाकर पिछले 4 वर्ष के विकास की गाथा पर विलाप करें या नाचें समझ से परे है।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : बढ़ती अर्थव्यवस्था के राग के बीच भुखमरी की डरावनी तस्वीर

 

 

 

लेखक के बारे में

एफपी डेस्‍क

संबंधित आलेख

जब राहुल गांधी हम सभी के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय आए
बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने विश्वविद्यालयों में दलित इतिहास, आदिवासी इतिहास, ओबीसी इतिहास को पढ़ाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि 90...
प्रधानमंत्री के नए ‘डायलॉग’ का इंतजार कर रहा है बिहार!
बिहार भाजपा की परेशानी यह है कि आज की तारीख में ऐसा कोई नेता नहीं है जो चुनाव में पार्टी का नेतृत्व कर सके।...
कौन बैठे हैं उच्च न्यायालयों में शीर्ष पर? (संदर्भ पटना व झारखंड उच्च न्यायालय)
सवर्ण जातियों में सबसे श्रेष्ठ मानी जानेवाली ब्राह्मण जाति के जजों की पटना उच्च न्यायालय में हिस्सेदारी 30.55 प्रतिशत है। जबकि राज्य की आबादी...
क्यों दक्षिण भारत के उच्च न्यायालयों के अधिकांश जज ओबीसी, दलित और आदिवासी होते हैं तथा हिंदी पट्टी में द्विज-सवर्ण?
जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस खन्ना के कार्यकाल में देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में हुई जजों की नियुक्तियों में पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग,...
बिहार के गांवों में पति का प्रभुत्‍व और जाति की दबंगता दरकी, लेकिन खत्‍म नहीं हुई
रोहतास और औरंगाबाद जिले में सर्वेक्षण के मुताबिक, पिछले 35 वर्षों में ग्रामीण सत्‍ता में सवर्णों के आधिपत्‍य को यादव जाति ने चुनौती दी...