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1927 में प्रकाशित कैथरीन मेयो की किताब ‘मदर इंडिया’ ने भारतीय समाज में शूद्रों और महिलाओं की क्या स्थिति है, इसको दुनिया के सामने उजागर किया। इस किताब में दिए गए तथ्य और विवरण आंखें खोल देने वाले हैं। यह कैथरीन मेयो का आंखों-देखा विवरण है। यह किताब बताती है कि भारतवासी अपने ही भाई-बंधुओं और महिलाओं के साथ कैसा बुरा बर्ताव करते हैं और एक आम भारतीय का जीवन कितने दु:खों से भरा हुआ है। यह किताब हिंदू धर्म एवं संस्कृति पर हमला करती है, यह कहकर सवर्ण जाति के राष्ट्रवादी नेताओं ने इसकी निंदा की। निंदा करने वालों में गांधी भी शामिल थे। कंवल भारती ने इसका अनुवाद करके एक महत्वपूर्ण कार्य को अंजाम दिया है – जे. वी. पवार, दलित पैंथर्स के संस्थापकों में से एक
कँवल भारती ने कैथरीन मेयो की मदर इंडिया का एक सुपाठ्य और संप्रेषणीय अनुवाद करके एक ऐतिहासिक जरूरत की पूर्ति की है। यह एक चुनौतीभरा काम था, जिसे कँवल भारती जैसा जीवट आदमी ही कर सकता था। इस किताब में भारतीय समाज की उन सच्चाइयों को दुनिया के सामने उजागर किया है, जिन सच्चाइयों को फुले, आंबेडकर और पेरियार ने अपने तरीके से उजागर किया। पेरियार ने इसे एक जरूरी किताब के रूप में रेखांकित किया है। डॉ. आंबेडकर की रचनाओं में भी इसका जिक्र आया है। जो कोई भी बेहतर भारत के निर्माण का सपना देखता है, उसे यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए – मोहनदास नैमिशराय
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