बदलते समय के साथ देश में जन आंदोलनों की रूपरेखा बदली है। इसका मुजायरा कर रहे हैं देश भर के रिसर्च स्कॉलर्स जो इन दिनों अपनी फेलोशिप में 80 से 100 फीसदी तक की वृद्धि के लिए अांदोलनरत हैं। बीते 8 दिसंबर 2018 को ट्विटर अभियान की सफलता से उत्साहित आंदोलनकारियों ने अब भारत सरकार के सभी मंत्रालयों में ईमेल भेजने का निर्णय लिया है ताकि वे सत्तासीन नेताआें और नौकरशाहों को अपनी एकजुटता दिखा सकें। इस संबंध में व्हा्टसअप का भी खूब इस्तेमाल किया जा रहा है।
सोसायटी फॉर यंग साइंटिस्ट्स के तत्वावधान में व्हाट्सअप ग्रुपों में ईमेल आंदोलन के बाबत संदेश भेजा गया है। इसके लिए इसके लिए ‘वॉयस फॉर रिसर्च स्कॉलर्स’ की तरफ से ईमेल आईडी की सूची जारी की गई है। ‘वॉयस फॉर रिसर्च स्कॉलर्स’ की तरफ से कहा गया है कि पिछले चार महीने से लगातार फैलोशिप बढ़ोतरी को लेकर मंत्रालय व सचिवालय जाकर सभी से मिल रहे हैं। इसके लिए पूरे भारत में शोधार्थियों ने हर संस्थान में हस्ताक्षर अभियान भी चलाया, धरना भी दिया गया। पत्राचार, ईमेल, सोशल मीडिया के जरिए अपनी बात भी रखी, लेकिन इसके बावजूद अभी तक न तो फेलोशिप में बढ़ोतरी की गई है और न ही कोई लिखित जवाब आया है। यह स्थिति तब है जब गत 20 नवम्बर 2018 को भारत सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजय राघवन से मिल चुके हैं।
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‘वॉयस फॉर रिसर्च स्कालर्स’ की तरफ से कहा गया है कि मजबूर होकर उन सबों को अभियान की अगली कड़ी की तरफ बढ़ना पड़ रहा है। इसका एक मात्र मकसद यही है कि संबंधित मंत्रालय व उनके अधिकारियों को उनकी परेशानियों से भी वे लोग अवगत कराया जा सके। आह्वान में कहा गया है कि एक कॉमन मेल भी किया जाएगा और उसके बाद वे उनके जवाब का इंतजार करेंगे। जवाब के हिसाब से मुहिम को तेज किया जाएगा। इस बीच संबंधित वे अधिकारियों से मुलाकात का समय भी मांगेंगे।
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वहीं यह भी कहा जा रहा है कि आंदोलनकारियों द्वारा 10 दिसम्बर तक दी गयी डेडलाइन की अवधि समाप्त हो रही है। इसे दस दिन बढ़ा दिया गया है और 20 दिसम्बर तक भी अगर फैलोशिप बढ़ोतरी की घोषणा नहीं की गई तो उसके बाद देश भर के रिसर्च स्कालर्स दिल्ली की तरफ कूच करेंगे और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के समक्ष प्रदर्शन करेंगे।
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)