मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री व राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी (रालोसपा) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने सोमवार को केंद्रीय मंत्रिपरिषद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही बिहार में नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) दो फाड़ हो गया है। उन्होंने अपना इस्तीफा नई दिल्ली में एनडीए की होने वाली बैठक के ठीक पहले दिया। पहले यह कयास लगाया जा रहा था कि इस बैठक में भाजपा कुशवाहा की मांग पर विचार करेगी और बिहार में उन्हें सम्मानजनक सीटें देने पर राजी हो जाएगी।
कुशवाहा के इस्तीफा के संबंध में उनकी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामबिहारी सिंह ने फारवर्ड प्रेस से बातचीत में कहा कि उनके नेता ने अपना इस्तीफा सही समय पर दिया है। उन्होंने कहा, “आज देश और बिहार को सामाजिक न्याय की राजनीति की जरूरत है। हमारे नेता ने इस्तीफा देकर यह साबित कर दिया है कि हमारे लिए हमारे मुद्दे महत्वपूर्ण हैं, कुर्सी नहीं।”

यह पूछे जाने पर कि इस्तीफा देने की एक वजह यह तो नहीं कि एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर रार चल रही थी, रामबिहारी सिंह ने कहा, “हमारे नेता ने सीटों के लिए इस्तीफा नहीं दिया है। उन्होंने व्यवस्थागत समस्याओं को दूर करने के लिए जो सवाल उठाए थे, उनके उपर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। हमलोगों ने शिक्षा का सवाल उठाया। हमलोगों ने न्यायपालिका में कालेजियम सिस्टम को खत्म करने की मांग की। लेकिन हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। ऐसे में हमारे लिए सरकार में बने रहने का कोई औचित्य नहीं था।”

वहीं नीतीश कुमार के एनडीए में दुबारा वापसी के बाद बढ़े मनमुटाव के सवाल पर रालोसपा नेता ने कहा, “सच तो यह है कि नीतीश कुमार हमारे कारण घुटन महसूस कर रहे थे। हमलोग तो व्यवस्था में बदलाव की राजनीति करते हैं। हम पद के लिए राजनीति नहीं करते हैं। रही बात नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी की तो उससे हमारी पार्टी, हमारे विचार और हमारे जनाधार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।”
महागठबंधन में शामिल होने के सवाल पर रामबिहारी सिंह ने कहा, “राजनीति करने के लिए किसी गठबंधन की आवश्यकता नहीं होती है। गठबंधन की आवश्यकता चुनाव के समय होती है। जब चुनाव का समय आएगा तब देखा जाएगा। फिलहाल हमारा फोकस उन सवालों पर है जिसके लिए हम वर्षों से संघर्षरत रहे हैं। हम आपको बताना चाहते हैं कि आज बिहार में हमारी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी है। इसका आधार हमारा संगठन है। इसलिए किसी को किसी तरह के मुगालता में नहीं रहना चाहिए।”
(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)
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