h n

फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन से मोबाइल छीनने की कोशिश

फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन बुधवार को जैसे ही दफ्तर से बाहर निकले, स्कूटी पर सवार दो अपराधियों ने उनका मोबाइल छीनने का प्रयास किया। इस घटना में वे सड़क पर गिर पड़े

पूर्वी दिल्ली में चोरों और छिनतई करने वालों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। आज 6 फरवरी 2019 को फारवर्ड प्रेस के प्रबंध संपादक प्रमोद रंजन से मोबाइल छीनने की नाकाम कोशिश की गई। इस घटना में वे सड़क पर गिर पड़े। उन्हें हल्की चोट भी आयी।

घटना उस वक्त घटित हुई जब प्रमोद रंजन पूर्वी दिल्ली के गणेश नगर चौक पर स्थित फारवर्ड प्रेस के दफ्तर से बाहर निकले। पटपड़गंज की तरफ से स्कूटी पर सवार दो अपराधियों ने झपट्टा मारकर उनसे मोबाइल छीनना चाहा। उनका प्रयास असफल रहा। हालांकि प्रमोद रंजन लड़खड़ा गए और सड़क पर गिर पड़े। उनका मोबाइल व चश्मा दूर जा गिरा।

पूर्वी दिल्ली का गणेश नगर चौक जहां प्रमोद रंजन से मोबाइल छीनने की कोशिश की गई

सामान्य तौर पर गणेश नगर चौक पर गाड़ियों की कतार लगी रहती है। यह संयोग ही रहा कि जब प्रमोद रंजन सड़क पर गिरे तब कोई गाड़ी नहीं आ रही थी। बताते चलें कि गणेश नगर चौक पर दिल्ली पुलिस के जवान अक्सर तैनात रहते हैं। इसके बावजूद अपराधियों ने यह दुस्साहस किया।

प्रमोद रंजन, प्रबंध संपादक, फारवर्ड प्रेस

पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मीनगर और पटपड़गंज इलाके में मोबाइल छीने जाने की कई घटनाएं घटित हो चुकी हैं। हाल ही में 4 फरवरी को मदर डेयरी बस पड़ाव के पास चोरों ने महिला से मोबाइल छीने जाने की घटना सामने आयी थी। वहीं जनवरी महीने में फारवर्ड प्रेस के दफ्तर के उपर एक व्यवसायी के दफ्तर में चोरी करने की कोशिश की गई थी। लक्ष्मीनगर इलाके में ही हीरा स्वीट्स नामक एक दुकान के सामने चार-पांच अपराधियों ने एक पत्रकार से उनका मोबाइल और लैपटॉप छीन लिया था।

बहरहाल, स्थानीय लोगों के अनुसार पूरे इलाके में मोबाइल व अन्य इलेक्ट्रानिक गजट छीनने वालों के गैंग सक्रिय है। इनमें चलती स्कूटी से मोबाइल छीनने वाले भी शामिल हैं। वे राह चलते लोगों से मोबाइल छीनते हैं और पलक झपकते ही चंपत हो जाते हैं। एक दूसरा गैंग ‘ठक-ठक’ गैंग है। इस गैंग के सदस्य कार में बैठे लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। बीते दिनों हीरा स्वीट्स के पास हुई घटना को इसी गैंग ने अंजाम दिया था।

(कॉपी संपादन : एफपी डेस्क)


फारवर्ड प्रेस वेब पोर्टल के अतिरिक्‍त बहुजन मुद्दों की पुस्‍तकों का प्रकाशक भी है। एफपी बुक्‍स के नाम से जारी होने वाली ये किताबें बहुजन (दलित, ओबीसी, आदिवासी, घुमंतु, पसमांदा समुदाय) तबकों के साहित्‍य, सस्‍क‍ृति व सामाजिक-राजनीति की व्‍यापक समस्‍याओं के साथ-साथ इसके सूक्ष्म पहलुओं को भी गहराई से उजागर करती हैं। एफपी बुक्‍स की सूची जानने अथवा किताबें मंगवाने के लिए संपर्क करें। मोबाइल : +917827427311, ईमेल : info@forwardmagazine.in

फारवर्ड प्रेस की किताबें किंडल पर प्रिंट की तुलना में सस्ते दामों पर उपलब्ध हैं। कृपया इन लिंकों पर देखें

लेखक के बारे में

एफपी डेस्‍क

संबंधित आलेख

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव : जीत के बाद हवा में न उड़े महायुति सरकार
विमुक्त और घुमंतू जनजातियों और अन्य छोटे समुदायों ने संकट से उबरने में महायुति गठबंधन की मदद की है। हमारी नई सरकार से अपेक्षा...
राजस्थान : युवा आंबेडकरवादी कार्यकर्ता की हत्या से आक्रोश
गत 10 दिसंबर को राजस्थान के युवा दलित विशनाराम मेघवाल की हत्या कर दी गई। इसके विरोध में आक्रोशित लोग स्थानीय अस्पताल के शवगृह...
पटना पुस्तक मेला : सवर्णों के वर्चस्व के बीच दलित-बहुजन विमर्श की दस्तक
मेले के बहुजन परिप्रेक्ष्‍य की बात करें तो सांस्‍कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रमों का बहुजनों के संदर्भ से कोई लेना-देना नहीं है। आयोजकों में बहुजनों...
तमिलनाडु में दलितों की पार्टी वीसीके का बढ़ता कद और गठबंधन सरकारों के दौर का आगाज़
वीसीके जैसी पार्टियों के उदय, प्रमुख द्रविड़ पार्टियों में हो रहे आतंरिक परिवर्तनों और मतदाताओं की बढ़ती अपेक्षाओं के चलते ऐसा लगता है कि...
ओशो रजनीश पर पुनर्विचार करें दलित-बहुजन
चूंकि ओशो रजनीश ने बुद्ध की अत्यधिक प्रशंसा और गांधी की अतिरंजित निंदा की है, इसलिए दलित-बहुजन समाज ओशो की व्याख्याओं के जाल में...