न्याय क्षेत्रे-अन्याय क्षेत्रे
आज से लगभग एक सौ तीन साल पहले (1916) की बात है एक थी रगीना…रगीना गुहा। बचपन से ही उसका सपना था “बड़े होकर कानून पढ़ना है और वकील बनना है”। पिता प्रियमोहन गुहा फौजदारी कानून के वकील थे। वकील साहब की चार बेटियों में से एक थी रगीना गुहा। संयोग से कलकत्ता विश्वविद्यालय में विधि विभाग की स्थापना (1909) हो गई। एम.ए. करने के बाद सपना देखते-देखते, रगीना जा पहुँची विधि विद्यालय और कानून पढ़ते-पढ़ते एक दिन, विधि स्नातक की सनद उसके हाथ में थी। अगले ही दिन रगीना ने वकील बनने के लिए, निर्धारित फॉर्म भरा और फीस सरकारी ख़ज़ाने में जमा करवा दी।
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