h n

सामाजिक-न्याय की कसौटी पर जाति-आधारित आरक्षण का औचित्य

तमिलनाडु की दलित एवं पिछड़ी जातियों, जनजातियों के संदर्भ में, एकमात्र जाति-आधारित आरक्षण वह रास्ता है, जिसके माध्यम से समाज में सामाजिक-न्याय के लक्ष्य को यकीनन और पुख्ता तौर पर प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए कोयटंबूर स्थित पेरियारवादी पत्रिका ‘कात्तारू’ द्वारा तमिल में प्रकाशित पुस्तिका का अध्ययन किया जा सकता है। पुस्तिका का तमिल से अंग्रेजी में अनुवाद टी. थमाराई कन्नन ने किया है

आरक्षण क्या है?

हमारे देश में हजारों वर्षों से जनसंख्या के बड़े हिस्से को, व्यक्ति के जन्म के आधार पर शिक्षा से दूर रखा गया। सभी महाप्रतापी सम्राट, जिन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप पर राज किया, ‘मनुस्मृति’ की अनुज्ञाओं से बंधे हुए थे। हिंदुओं का न्याय-विधान कही जाने वाली यह पुस्तक शूद्रों के लिए शिक्षा को निषिद्ध बताती है।  उस व्यवस्था में गैर-ब्राह्मणों को तरह-तरह से दबाया जाता था। उन्हें न केवल शिक्षा, अपितु प्रतिष्ठित नौकरियों और सत्ता में भागीदारी से भी वंचित रखा जाता था।

पूरा आर्टिकल यहां पढें : सामाजिक-न्याय की कसौटी पर जाति-आधारित आरक्षण का औचित्य 

 

लेखक के बारे में

टी. थमराई कन्नन

पेरियादवादी सामाजिक कार्यकर्ता टी. थमराई कन्नन "कात्तारु : वैज्ञानिक संस्कृति का तमिल प्रकाशन" की संपादकीय-व्‍यवस्‍थापकीय टीम के संयोजक हैं। उनकी संस्था 'कात्तारु' नाम से एक तमिल मासिक पत्रिका का प्रकाशन भी करता है।

संबंधित आलेख

बहुजनों के वास्तविक गुरु कौन?
अगर भारत में बहुजनों को ज्ञान देने की किसी ने कोशिश की तो वह ग़ैर-ब्राह्मणवादी परंपरा रही है। बुद्ध मत, इस्लाम, अंग्रेजों और ईसाई...
ग्राम्शी और आंबेडकर की फासीवाद विरोधी संघर्ष में भूमिका
डॉ. बी.आर. आंबेडकर एक विरले भारतीय जैविक बुद्धिजीवी थे, जिन्होंने ब्राह्मणवादी वर्चस्व को व्यवस्थित और संरचनात्मक रूप से चुनौती दी। उन्होंने हाशिए के लोगों...
मध्य प्रदेश : विकास से कोसों दूर हैं सागर जिले के तिली गांव के दक्खिन टोले के दलित-आदिवासी
बस्ती की एक झोपड़ी में अनिता रहती हैं। वह आदिवासी समुदाय की हैं। उन्हें कई दिनों से बुखार है। वह कहतीं हैं कि “मेरी...
विस्तार से जानें चंद्रू समिति की अनुशंसाएं, जो पूरे भारत के लिए हैं उपयोगी
गत 18 जून, 2024 को तमिलनाडु सरकार द्वारा गठित जस्टिस चंद्रू समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को सौंप दी। इस समिति ने...
नालंदा विश्वविद्यालय के नाम पर भगवा गुब्बारा
हालांकि विश्वविद्यालय द्वारा बौद्ध धर्म से संबंधित पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। लेकिल इनकी आड़ में नालंदा विश्वविद्यालय में हिंदू धर्म के पाठ्यक्रमों को...