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मुंबई और दिल्ली में ‘दलित पैंथर : एक आधिकारिक इतिहास’ का विमोचन
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दिल्ली में पुलिस छावनी में तब्दील हुआ बाबासाहब का बंगला
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राजद नेता तेजस्वी यादव ने ‘जाति का विनाश’ को बताया सबसे जरूरी किताब
एक बेहतर समाज का निर्माण तभी संभव है जब भेदभाव न हो। फिर चाहे यह भेदभाव जातिगत हो, नस्लीय हो, धार्मिक हो या फिर लैंगिक। संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने जिस सपने को साकार करने के लिए आजीवन संघर्ष किया, उसके मूल में यही भाव निहित था। कल 6 दिसंबर, 2019 को उनके 64वें महापरिनिर्वाण दिवस के मौके पर लोगों ने पूरे देश में कृतज्ञ भाव के साथ उन्हें याद किया।
मुंबई में बोले ज. वि. पवार
इस कड़ी में एक महत्वपूर्ण आयोजन गत 4 दिसंबर, 2019 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के दादर स्थित आंबेडकर पार्क में किया गया। अस्मिता प्रकाशन, मुंबइ के तत्वावधान में हुए इस आयोजन में फारवर्ड प्रेस बुक्स, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘दलित पैंथर : एक आधिकारिक इतिहास’ का लोकार्पण किया गया। समारोह में पुस्तक के लेखक व दलित पैंथर के सह-संस्थापक जयराम विट्ठल पवार भी मौजूद रहे।
ज. वि. पवार ने अपने संबोधन में कहा कि देश में कुछ ताकतें डॉ. आंबेडकर के विचारों को खत्म कर देना चाहती हैं, लेकिन वे सफल नहीं हो पा रही हैं। हो यह रहा है कि दिन- प्रति- दिन डॉ. आंबेडकर के विचार समाज और देश के लिए महत्वपूर्ण रूप से अनिवार्य बनते जा रहे हैं। उन्होंने अपने संबोधन में दलित पैंथर आंदोलन के बारे में विस्तार से चर्चा की और यह बताया कि किस तरह इस आंदोलन की शुरुआत हुई तथा साथियों के सहयोग से यह आंदोलन पूरे महाराष्ट्र में फैला। इस मौके पर उनके अलावा रमण मिश्र और श्रीधर पवार सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
दिल्ली से सटे गाजियाबाद में जुटे दलित-बहुजन बुद्धिजीवी
दिल्ली से सटे गाजियाबाद के आंबेडकर पार्क में डॉ. आंबेडकर को श्रद्धापूर्वक याद किया गया। कार्यक्रम का आयोजन डॉ. आंबेडकर विचार मंच एवं जन्मोत्सव समिति के तत्ववधान में किया गया। इस मौके पर ‘भारत की एकता और अखंडता का एकमात्र सूत्र :आंबेडकरवाद’ शीर्षक संगोष्ठी आयोजित की गई। सबसे पहले संयोजक लखमीचंद ने अतिथियों का स्वागत किया। मुख्य वक्ता के रूप में प्रसिद्ध दलित लेखक और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर श्योराज सिंह ‘बेचैन’ ने कहा कि जाति के विनाश के बिना भारत में एकता कायम नहीं हो सकती है और एकता के बिना हमेशा देश के टूटने-बिखरने का खतरा बना रहता है। आंबेडकर ने कहा था कि स्वतंत्रता और समता के बिना बंधुता कायम नहीं हो सकती है और बंधुता के बिना राष्ट्रीय एकता और अखंडता बरकार नहीं रह सकती है।
इस अवसर पर संगोष्ठी को संबोधित करते हुए फारवर्ड प्रेस के सलाहकार संपादक गोल्डी एम. जार्ज ने कहा कि देश की एकता एवं अखंडता के लिए धर्मनिरपेक्षता, जाति का उन्मूलन, पितृसत्ता की समाप्ति और पूंजीवादी विकास के वर्तमान मॉडल से मुक्ति जरूरी है। ये चारों चीजें मिलकर देश की बहुसंख्यक आबादी दलित-बहुजनों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को देश की मुख्य धारा से बहिष्कृत कर रही हैं। जब बहुसंख्यक आबादी को बहिष्कृत करने की परियोजना चल रही तो, आप कैसे देश की एकता और अखंडता को कायम रख पाएंगे। उन्होंने कहा कि चंद कार्पोरेट घरानों के हितों की पूर्ति के लिए किस बेरहमी से आदिवासियों को उनके जल, जंगल और जमीन से वंचित किया जा रहा है। यह जगजाहिर है।
अन्य वक्ताओं में हाजी मुबीन अहमद, मुहम्मद लारी और जमीर अहमद ने एक स्वर में इस बात को रेखांकित किया कि वर्तमान सरकार हिंदुओं और मुसलमानों के बीच में एक चौड़ी खाई पैदा करके देश की एकता को तोड़ रही है। ऐसे दौर में दलित-बहुजन और मुसलमानों के बीच मजबूत एकता की जरूरत है। तभी देश की एकता एवं अखंडता को बचाए रखा जा सकता है।
कई वामपंथी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी इस संगोष्ठी में हिस्सदारी की। सीपीआई (एमएल) रेडस्टार की दिल्ली इकाई के सचिव विमल त्रिवेदी ने कहा कि आज जय भीम और इंकलाब के नारे की एकता की सख्त जरूरत है।
इस अवसर पर फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित किताब ‘दलित पैंथर : एक आधिकारिक इतिहास’ का विमोचन किया गया। वक्ताओं ने एक स्वर में दलित पैंथर जैसे जुझारू संगठन की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित किया और कहा कि इस तरह की किताबों का प्रकाशन करके फारवर्ड प्रेस, दलित-बहुजन चेतना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। ]
इस अवसर पर प्रसिद्ध चित्रकार हिहानी गौतम और प्रमोद कुमार मौर्य के चित्रों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। संगोष्ठी में सावित्रीबाई फुले के व्यक्तित्व को रेखांकित करती हिहानी गौतम की पेंटिंग का भी विमोचन किया गया। उपस्थित लोगों ने इन चित्रों को काफी सराहा।
इस अवसर पर आईपीएस अधिकारी ओ.पी. सागर, सामाजिक कार्यकर्ता आर.पी. सिंह, डॉ. चरन सिंह, प्रोफेसर आशुतोष कुमार, प्रोफेसर सतीश कुमार और वर्कर्स यूनिटी के संदीप राऊ आदि ने भी सभा को संबोधित किया। सभा की अध्यक्षता रघुवीर सिंह और संचालन वीर सिंह ने किया। डॉ. आंबेडकर विचार मंच एवं जन्मोत्सव समिति के अध्यक्ष मदनपाल गौतम ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
दिल्ली में पुलिस छावनी में तब्दील हुआ बाबासाहब का बंगला
इन सबके बीच 26, अलीपुर रोड, नई दिल्ली पर जो हुआ, वह पहले कभी नहीं हुआ था। पुलिस ने उस मकान को चारों तरफ से घेर रखा था, जिसमें 6 दिसंबर, 1956 को बाबासाहब ने अंतिम सांस ली थी। दरअसल, दो अवसरों 14 अप्रैल (बाबासाहब की जयंती) और 6 दिसंबर (बाबासाहब का महापरिनिर्वाण दिवस) पर बड़ी संख्या में दलित बहुजन इस मकान में आते हैं। इसकी वजह यह भी कि इस मकान को एक संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है। इस मौके पर कई संगठनों के द्वारा कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इन आयोजनों का उद्देश्य बाबासाहब के विचारों का प्रचार-प्रसार करना होता है। साथ ही इन दोनों अवसरों पर बहुत सारे प्रकाशकों द्वारा स्टॉल लगाया जाता है। इनमें वे प्रकाशक होते हैं जो फुले-आंबेडकर-पेरियार के विचारों पर आधारित पुस्तकें प्रकाशित करते हैं।
हर वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी बाबासाहब के महापरिनिर्वाण दिवस के पूर्व संध्या पर 5 दिसंबर, 2019 को सैंकड़ों अनुयायी वहां एकत्रित हुए, जिन्हें अंदर जाने नहीं दिया गया। लोगों ने पहली दफा वहां इस तरह का माहौल पाया कि बाबासाहब का बंगला पुलिस छावनी में तब्दील हो चुकी थी।
माननीय डॉ. आंबेडकर राष्ट्रीय सामाजिक उत्थान संगठन के संचालक व सामाजिक कार्यकर्ता विजय बौद्ध के मुताबिक, सामान्य तौर पर महापरिनिर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर ही लोग बाबासाहब के आवास पर जुटने लगते हैं। हम पिछले 13 वर्षों से यह आयोजन करते आ रहे हैं। परंतु, इस बार ऐसा नहीं हो सका। पुलिस ने चारों तरफ से घेराबंदी कर रखी थी। किसी को अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था। उन्होंने दिल्ली पुलिस के इस कृत्य की निंदा करते हुए कहा कि सत्ता में बैठे लोग नहीं चाहते हैं कि बाबासाहब के विचारों का प्रचार-प्रसार हो। इसलिए इस तरह की घेराबंदी की गई। लेकिन वे नहीं जानते हैं कि इस तरह की बाधाएं उत्पन्न कर वे असफल ही होंगे।
झारखंड में तेजस्वी यादव ने चुनावी रैलियों के बीच किया बाबासाहब को याद
’बाबासाहब जीवनभर जातिगत भेदभाव की आग मे तपे पर ज्ञानार्जन के लिए बढ़े कदम नहीं रुके। उस तपिश से चमका सोना आज देश के वंचित वर्ग को संघर्ष की ताकत दे रहा है।’ कृतज्ञता से भरे यह उद्गार 6 दिसंबर, 2019 को बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने झारखंड के हजारीबाग में उस वक्त अभिव्यक्त किया जब छात्र राजद नेता जयंत जिज्ञासु ने उन्हें फारवर्ड प्रेस द्वारा प्रकाशित पुस्तक ‘जाति का विनाश’ भेंट किया। तेजस्वी ने कहा कि यह किताब उन सभी को अवश्य पढ़नी चाहिए जो भारत में समतामूलक समाज चाहते हैं। इस किताब में जातियों के बीच की खाई को पाटने का तरीका बताया गया है, जो समाज के सभी वर्गों के लिए जरूरी है।
(कॉपी संपादन : नवल/सिद्धार्थ)