h n

तेलंगाना में विजया भारती व मनीषा बांगर सहित चार को ईश्वरीबाई स्मृति सम्मान

आगामी 24 फरवरी को हैदराबाद में चार महिलाओं को ईश्वरीबाई स्मृति सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इनमें विजय भारती भी शामिल हैं जिन्होंने धनंजय कीर द्वारा लिखित जोतीराव फुले की जीवनी एवं डॉ. आंबेडकर के संपूर्ण वांग्मय के चार खंडों का तेलुगू में अनुवाद किया है। फारवर्ड प्रेस की खबर

तेलंगाना सरकार और ईश्वरीबाई ट्रस्ट के द्वारा समाजसेवा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए चार महिलाओं को ईश्वरीबाई स्मृति सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। इनमें प्रबुद्ध लेखिका व तेलुगू अकादमी की पूर्व निदेशक बी. विजया भारती तारगम, मासिक पत्रिका भूमिका की संपादक कोंडाविती सत्यवती, नेशनल इंडिया न्यूज की संपादक व चिकित्सक डा. मनीषा बांगर और तेलंगाना बॉडी एंड आर्गन डोनर्स एसोसिएशन से संबद्ध के. भारती शामिल हैं। इन सभी को हैदराबाद में यह सम्मान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी के हाथों आगामी 24 फरवरी को दिया जाएगा।

जानें, कौन हैं ईश्वरीबाई?

दलितों-शोषितों के लिए आजीवन संघर्ष करने वाली ईश्वरीबाई का जन्म सिकंदराबाद के दलित परिवार में 1 दिसंबर, 1918 को हुआ। मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण होने के साथ ही उनकी शादी डा. जे. लक्ष्मीनारायण से हो गई जो पुणे में चिकित्सक थे। ईश्वरीबाई ने सिकंदराबाद में ही एक स्कूल शिक्षिका के रूप में अपने कैरियर की शुरूआत की। 1952 में वह डॉ. आंबेडकर के संपर्क में आयीं और शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन से जुड़ी। बाद में आजीवन उनकी पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया की सदस्य रहीं। उन्हें 1960 में सिकंदरबाबाद कोर्ट में दो वर्षों के लिए मानद दंडाधिकारी नियुक्त किया गया।

ईश्वरीबाई (1 दिसंबर,1918 – 25 फरवरी, 1991)

बाद में ईश्वरीबाई रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के विभिन्न पदों पर रहीं। कालांतर में आंध्र प्रदेश सरकार के अधीन महिला व बाल कल्याण निगम की अध्यक्ष के रूप में मनोनीत हुईं। इसके अलावा वह 1972 में आंध्र प्रदेश विधानसभा के लिए निर्वाचित हुईं। पृथक तेलंगाना आंदोलन में वह सक्रिय रहीं तथा इस दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उनका निधन 24 फरवरी, 1991 को हुआ।

तेलुगू पाठकों के बीच फुले-आंबेडकर को परिचित कराने का श्रेय है विजया भारती को

विजया भारती तारगम पूर्व तेलेगु अकादमी के निदेशक हैं और इन्होंने फुले-आंबेडकर के विचारों पर आधारित अनेक किताबें लिखी हैं। इनमें धनंजय कीर के द्वारा लिखित महात्मा फुले की जीवनी का तेलुगू में रूपांतरित पुस्तक भी शामिल है। सबसे महत्वपूर्ण यह कि इन्होंने डॉ. आंबेडकर के संपूर्ण वांग्मय के खंड 1,4, 10 और 14 का भी तेलुगू में अनुवाद किया है। इसके अलावा उन्होंने आंबेडकर का जीवन इतिहास भी लिखा है। करीब 70 वर्षीया विजया भारती को तेलुगू पाठकों को फुले-आंबेडकर के विचारों से परिचित कराने के लिए जाना जाता है। 

ईश्वरीबाई सम्मान के लिए चयनित विजया भारती तारगम व डा. मनीषा बांगर

फारवर्ड प्रेस से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि ईश्वरीबाई एक अत्यंत ही सशक्त आंबेडकरवादी महिला थीं। मेरे ससुर भोजा अप्पलास्वामी शेड्यूल्ड कास्ट फेडरेशन [पार्टी] की ओर से पूर्व गोदावरी से विधायक रहे है। मेरे पिता बोई भीमन्ना एक जनकवि थे, जिन्होंने आंबेडकरवाद पर कई नाटक, कविताएं आदि की रचनाएं की। इस तरह आंबेडकर के माध्यम से मैं ईश्वरीबाई से जुड़ी। उन्होंने बताया कि इस सम्मान को पाकर बहुत खुश हूं। 

ईश्वरीबाई सम्मान मेरे लिए महत्वपूर्ण : मनीषा बांगर

पेशे से चिकित्सक और सामाजिक कार्यकर्ता डा. मनीषा बांगर का कहना है कि ईश्वरीबाई सम्मान मिलना मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। ईश्वरीबाई दलित परिवार से थीं और उन्होंने अपने बूते राजनीति में जगह बनाई। उन्होंने डॉ. आंबेडकर के साथ मिलकर काम किया। सम्मान के संबंध में पूछने पर मनीषा बांगर ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। लेकिन यह जानकर अच्छा लगा कि मैं भले ही मूल रूप से महाराष्ट्र की हूं और मेरी पढ़ाई-लिखाई भी यही हुई, केवल पिछले दस वर्षों से हैदराबाद में काम कर रही हूं, वहां के लोगों ने सम्मान दिया है। यह सम्मान मुझे आगे काम करने के लिए प्रेरित करेगा।

(संपादन : गोल्डी)

लेखक के बारे में

नवल किशोर कुमार

नवल किशोर कुमार फॉरवर्ड प्रेस के संपादक (हिन्दी) हैं।

संबंधित आलेख

बहुजनों के वास्तविक गुरु कौन?
अगर भारत में बहुजनों को ज्ञान देने की किसी ने कोशिश की तो वह ग़ैर-ब्राह्मणवादी परंपरा रही है। बुद्ध मत, इस्लाम, अंग्रेजों और ईसाई...
ग्राम्शी और आंबेडकर की फासीवाद विरोधी संघर्ष में भूमिका
डॉ. बी.आर. आंबेडकर एक विरले भारतीय जैविक बुद्धिजीवी थे, जिन्होंने ब्राह्मणवादी वर्चस्व को व्यवस्थित और संरचनात्मक रूप से चुनौती दी। उन्होंने हाशिए के लोगों...
मध्य प्रदेश : विकास से कोसों दूर हैं सागर जिले के तिली गांव के दक्खिन टोले के दलित-आदिवासी
बस्ती की एक झोपड़ी में अनिता रहती हैं। वह आदिवासी समुदाय की हैं। उन्हें कई दिनों से बुखार है। वह कहतीं हैं कि “मेरी...
विस्तार से जानें चंद्रू समिति की अनुशंसाएं, जो पूरे भारत के लिए हैं उपयोगी
गत 18 जून, 2024 को तमिलनाडु सरकार द्वारा गठित जस्टिस चंद्रू समिति ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को सौंप दी। इस समिति ने...
नालंदा विश्वविद्यालय के नाम पर भगवा गुब्बारा
हालांकि विश्वविद्यालय द्वारा बौद्ध धर्म से संबंधित पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। लेकिल इनकी आड़ में नालंदा विश्वविद्यालय में हिंदू धर्म के पाठ्यक्रमों को...