अभी जब कोरोना के खौफ से प्रवासी मजदूर बिहार में वापस घरों की ओर लौटने लगे तो दिखने लगा कि पलायन और विकास का असली चेहरा कैसा है। पलायन करने वाले ज्यादातर लोग दलित और पिछड़ी जातियों के हैं। चमकी बुखार (जापानी इंसेफलाइटिस) से मरनेवाले भी ज्यादातर इसी जाति समूह से आते हैं। आप कह सकते हैं कि इनकी संख्या ज्यादा है इसलिए ऐसा है। लेकिन यह भी तो कहना चाहिए कि इनकी संख्या ज्यादा है तो इनका विकास भी ज्यादा होना चाहिए। इनकी भागीदारी भी अधिक होनी चाहिए। इनकी संख्या ज्यादा है, पर ये सताए हुए लोग हैं।
बिहार में कोरोना, प्रवासी मजदूर औेर दलितों व ओबीसी के सवाल
प्रणय बता रहे हैं बिहार के प्रवासी मजदूरों के बारे में जो कोरोना के दहशत के बीच अपने घरों को लौट रहे हैं। उनके मुताबिक इन मजदूरों में अधिकांश दलित और ओबीसी हैं। उनके लौटने की एक वजह यह भी कि सामंत कहीं उनकी जमीनें न हड़प लें