देश में भले ही ओबीसी वर्ग से आने वाले नरेंद्र मोदी की सरकार हो और ओबीसी के लिए आरक्षण लागू हो परंतु अब भी नौकरशाही में द्विजवाद हावी है। सार्वजनिक उपक्रमों में काम करने वाले ओबीसी वर्ग के ग्रुप सी और डी कर्मियों की संतानों को आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा रहा है। परिणाम यह है कि वे अभ्यर्थी, जिन्होंने कड़ी मेहनत कर संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की परीक्षा न केवल उतीर्ण की बल्कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में नियुक्ति लायक रैंक भी हासिल की, उन्हें भी पदों की समतुल्यता संबंधी नियमों में अस्पष्टता का लाभ उठाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अधीन केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) द्वारा कम महत्वपूर्ण सेवाओं मसलन इंडियन रेवेन्यू सर्विस (आईआरएस), इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस (आईआरटीएस), इंडियन पोस्टल सर्विस और इंडियन कॉरपोरेट लॉ सर्विस (आईसीएलसी) में नियुक्त किया गया है। वे ओबीसी अभ्यर्थीगण, जो 2018 से सुप्रीम कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, उनसे प्राप्त जानकारी के मुताबिक करीब 55 ओबीसी अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्होंने डीओपीटी के ऑफर को स्वीकार नहीं किया है।